Jharkhand:बूढ़ा पहाड़ छकरबंधा कॉरीडोर को सक्रिय करने की फिराक में भाकपा माओवादी !

राँची।झारखण्ड के बूढ़ापहाड छकरबंधा कॉरीडोर को सक्रिय करने की फिराक में है भाकपा माओवादी।मिली जानकारी के अनुसार नक्सली संगठन भाकपा माओवादी कोयल शंख जोन में नए कमांडर की तलाश बूढ़ापहाड़ क्षेत्र में बैठक कर रहा है। इस बैठक का नेतृत्व माओवादियों का सेंट्रल कमेटी सदस्य और बूढ़ा पहाड़ का टॉप कमांडर मिथिलेश मेहता कर रहा है।जबकि इस बैठक में नवीन यादव, नीरज सिंह खरवार, छोटू खरवार, रविंद्र गंजू, मृत्युंजय भुइयां, अमन गंझू, समेत कई टॉप कमांडर शामिल हैं।

नए कमांडर की तलाश कर भाकपा माओवादी

सूत्रों से मिली जानकारी में अनुसार 15 लाख रूपया का इनामी बुद्धेश्वर उरांव के मारे जाने और विमल यादव के सरेंडर के बाद माओवादी कोयल शंख जोन में नए कमांडर की तलाश कर रहे हैं। माओवादियों के कोयल शंख जोन में दक्षिणी पलामू, लातेहार, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा का इलाका आता है.इस बैठक में कई माओवादी कमांडरों के रैंक बढ़ाए जाने की सूचना है।

बूढापहाड़ में हाल के दिनों में माओवादी गतिविधि बढ़ी है:

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माओवादी गतिविधियों के हिसाब से गढ़वा जिला को डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा है. गढ़वा जिले के बूढा पहाड़ में हाल के दिनों में माओवादी गतिविधि बढ़ी है. झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और बिहार तक फैले बूढापहाड़ के इलाके में माओवादियों की कमान बिहार के मिथिलेश के द्वारा संभाली जा रही है।यहां छत्तीसगढ़ के माओवादी हथियारबंद दस्ता भी कैम्प कर रहा है।

माओवाद प्रभाव वाले 25 में 8 जिले झारखण्ड के हैं

झारखण्ड के आठ जिले माओवादियों की सक्रियता के लिहाज से अति माओवाद प्रभाव श्रेणी में हैं. वहीं राज्य के 16 जिलों में माओवादियों का प्रभाव है.केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्र की एसआरआई स्कीम के तहत माओवाद प्रभाव वाले जिलों की समीक्षा की थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक, पूर्व में देशभर के 90 जिले माओवाद प्रभावित थे, अब संख्या घटकर 70 रह गयी है. केंद्र ने 70 में से 25 जिलों को अति माओवादी प्रभाव वाला माना है. देश के अति माओवाद प्रभाव वाले 25 में 8 जिले झारखण्ड के हैं।झारखण्ड में माओवाद प्रभाव वाले 16 जिलों में राँची, खूंटी, बोकारो, चतरा, धनबाद, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सिमडेगा, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं. वहीं आठ अति माओवाद प्रभावित जिलों में चतरा, गिरिडीह, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, सरायकेला पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं।