Jharkhand:विधवा महिला के साथ दुष्कर्म करने वाला दोनों आरोपी आईआरबी जवान बर्खास्त,बर्खास्तगी के बाद कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा,पंजियों से दोनों के नाम हटाया…..
राँची।झारखण्ड के लोहरदगा जिले के सेरेंगदाग थाना क्षेत्र में एक आदिवासी विधवा से हैवानियत करने वाले आईआरबी-5 गुमला के दोनों जवानों को जांच के बाद घटना के तीन दिनों के भीतर पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर कमांडेंट अजय बाड़ा ने बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त जवानों में कृष्ण कांत तिवारी व अजय बाड़ा शामिल हैं। दोनों लोहरदगा जिले के सेरेंगदाग पिकेट में तैनात थे,जहां चार अक्टूबर की दोपहर खेत में घास काटने गई एक 50 वर्षीया आदिवासी विधवा से सामूहिक दुष्कर्म के बाद मारपीट कर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया था और उसके प्राइवेट पार्ट को भी किसी वस्तु से मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था। महिला को नाजुक हालत में पहले लोहरदगा और उसके बाद रिम्स में भर्ती कराया गया था, जहां वह इलाजरत है।
आइआरबी-5 गुमला का कैंप मुख्यालय धुर्वा में है। लोहरदगा के सेरेंगदाग पिकेट में इस बटालियन के जवानों की तैनाती है,जिसमें ये दोनों जवान भी तैनात थे। कमांडेंट ने दोनों जवानों को बर्खास्त करने संबंधित आदेश सात अक्टूबर की तिथि में निकाला है। उन्होंने अपने आदेश में लिखा है कि पुलिस की छवि को बरकरार रखने तथा पुलिस बलों में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए संविधान में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्होंने बर्खास्त किया है। बर्खास्तगी के बाद उन्हें कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा। सभी बलों की पंजियों से उनके नाम हटा दिए गए हैं।
क्या है मामला:
लोहरदगा के महिला थाने में पांच अक्टूबर 2022 को पीड़िता के बयान के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म व जान से मारने की कोशिश से संबंधित धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। महिला की मेडिकल जांच कराई गई थी, महिला थानेदार व लोहरदगा के एसपी ने भी पीड़िता का बयान लिया था। कांड के अनुसंधानकर्ता लोहरदगा के डीएसपी मुख्यालय परमेश्वर प्रसाद हैं। पीड़िता ने पुलिस को बताया था कि महानवमी का प्रसाद खाने के लिए उसके पड़ोसी के यहां दोनों जवान गए थे। वह भी अपने बेटे के साथ गई थी और प्रसाद खाकर सभी वापस हो गए थे। दोनों जवानों ने वहां प्रसाद खाने के साथ-साथ शराब भी पीया। उसी दिन दोपहर में महिला मवेशी के लिए घास लेने गई थी, जहां अकेला पाकर दोनों जवानों ने उसके साथ हैवानियत किया।
इधर बर्खास्त दोनों जवानों के विरुद्ध जांच में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों जवान पिकेट से सवा बारह बजे से दोपहर साढ़े तीन बजे तक बिना किसी को सूचित किए गायब थे। सेरेंगदाग घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है, जहां पिकेट से बाहर निकलने के लिए एसओपी बना हुआ है, इसकी जवानों ने अवहेलना की है। जांच अधिकारी ने दोनों जवानों को भी अपने बचाव में पक्ष रखने का पूरा मौका दिया, जिसमें वे असफल रहे। विभाग ने उन्हें घोर अनुशासनहीनता, कर्तव्यहीनता, कुआचरण व चरित्रहीनता का दोषी पाया।
कमांडेंट ने आदेश में लिखा है कि दोनों जवान विभागीय कार्रवाई के दायरे में आते तो वे पीड़िता व उसके परिवार पर दबाव बनाते, विभागीय कार्रवाई को प्रभावित कर सकते थे। वे न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए विभागीय कार्रवाई भी ससमय पूरा नहीं हो पाता, जिसका अनुचित लाभ उन्हें मिलता। यह न्यायोचित नहीं होता, इसलिए उनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर ही उन्हें बर्खास्त किया गया है।