#मन की बात:कार्यक्रम में बोले पीएम मोदी,लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाने वालों को मिला करारा जवाब..
नई दिल्ली।मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी लद्दाख में वास्तवकि नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ जारी तनाव पर भी चर्चा की। पीएम मोदी अपने संवाद में गलवान में भारतीय सैनिकों के पराक्रम का जिक्र किया।लद्दाख में चीनी सेना के हुई भारतीय सैनिकों की झड़प का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने- यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
पीएम मोदी की बड़ी बातें…
◆लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है कि वो कभी भी मां भारती के गौरव पर आंच नहीं आने देंगे।
◆लद्दाख में भारत की भूम पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है।
◆लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मसत्क है। इन साथियों के परिवार की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोना का दर्द अनुभव कर रहा है। अपने वीर सपूतों के बलिदान पर उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जज्बा है, यही देश की ताकत है।
◆बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिताजी के शब्द तो कानों में गूँज रहे हैं। वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा। यही हौंसला हर शहीद के परिवार का है। वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है।
◆भारत-माता की रक्षा के जिस संकल्प से हमारे जवानों ने बलिदान दिया है, उसी संकल्प को हमें भी जीवन का ध्येय बनाना है, हर देश-वासी को बनाना है।
हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
◆कोई भी मिशन जन भागेदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता। इसलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहोयोग बहुत जरूरी है। आप लोकल खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे तो समझिए देश को मजबूत करने की दिशा में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
◆भारत का संकल्प है – भारत के स्वाभिमान और संप्रभुता की रक्षा। भारत का लक्ष्य है -आत्मनिर्भर भारत। भारत की परंपरा है -भरोसा, मित्रता। भारत का भाव है – बंधुता। हम इन्हीं आदर्शों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
अगर कोई स्वभाव से दुष्ट है तो विद्या का प्रयोग भी विवाद में, धन का प्रयोग घमेंड में और ताकत का प्रयोग दूसरों को तकलीफ देने में करता है। लेकिन सज्जन की विद्या, ज्ञान के लिए, धन मदद के लिए और ताकत रक्षा के लिए इस्तेमाल होती है। भारत ने अपनी दाकत हमेशा इसी भावना के साथ इस्तेमाल की है।
◆आज 28 जून को भारत अपने भूतपूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी को श्रद्धांजलि दे रहा है। आज से उनकी जन्म शताब्दी शुरू हो रही है। वह स्वाभाविक राजनेता थे। कई भाषाओं को जानते थे। वह अपनी आवाज बुलंद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते थे।
◆‘मन की बात’ में अनेक विषयों पर बात की गई। महामारी पर भी खूब बातें हुईं। लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर यह साल कब बीतेगा? लोग दोस्तों से कह रहे हैं यह साल अच्छा नहीं है, 2020 शुभ नहीं है।हो सकता है ऐसी बातचीत के कुछ कारण भी हों। हम कहां जानते थे कि कोरोना जैसा संकट आएगा। देश में नित नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। देश के पूर्वी छोर पर तूफान आया। किसान भाई बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं। देश में छोटे-छोटे भूकंप आ रहे हैं। इन सब के बीच पड़ोसी जो कर रहे हैं देश उससे भी निपट रहा है।
◆चुनौतियां आती हैं। एक साल में एक चुनौती आए या 50 चुनौती आए। इससे साल खराब नहीं होता। भारत का इतिहास चुनौतियों सो भरा रहा है। सैकड़ों आक्रांताओं ने देश पर हमला किया लेकिन इससे भारत और भी भव्य होकर सामने आया।
◆पीएम मोदी ने सुनाया यह गीत- यह कलकल छलछल बहती क्या कहती गंगा धारा, सदियों से बहती यह पुण्य प्रताप हमारा।
संकट चाहे कितना भी बड़ा हो भारत के संस्कार विश्वास देते हैं। भारत ने दुनियाभर की मदद की है। दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को महसूस किया है। दुनिया ने भारत की ताकत और प्रतिबद्धता को भी देखा है।
◆लद्दाख में भारत की तरफ आंख उठाने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर चुनौती देना भी जानता है।
◆मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं लेकिन इस वजह से यह नहीं मान सकते कि साल खराब है।
हमारे यहां कहा जाता है, सृजन शास्वत है, सृजन निरंतर है यह कल-कल छल-छल बहती क्या कहती गंगा की धारा? युग-युग से बहता आता यह पुण्य प्रवाह हमारा। क्या उसको रोक सकेंगे, मिटनेवाले मिट जाएँगे। कंकड़-पत्थर की हस्ती, क्या बाधा बनकर आए।
भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए,यानि संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही।
◆अब लॉकडाउन से देश बाहर आ चुका है और अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है लेकिन इस दौरान लॉकडाउन से ज्यादा सतर्कता बरतनी है। मास्क पहनना और दो गज की दूरी बनाना बहुत जरूरी है। आप लापरवाही न बरतें। अपना भी ख्याल रखें और दूसरों का भी।
इसी साल में, देश नये लक्ष्य प्राप्त करेगा, नयी उड़ान भरेगा, नयी ऊँचाइयों को छुएगा। मुझे, पूरा विश्वास, 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परंपरा है।
देश के बड़े हिस्से में मॉनसून पहुंच चुका है। बारिश को लेकर वैज्ञानिक भी उत्साहित हैं। बारिश अच्छी होगी तो किसान समृद्ध होगा। बारिश दोहन की भरपायी करती है। इसमें हमें अपना दायित्व निभाना है।
◆कोरोना के संकट काल में देश lockdown से बाहर निकल आया है। अब हम unlock के दौर में हैं। unlock के इस समय में, दो बातों पर बहुत focus करना है – कोरोना को हराना और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना, उसे ताकत देना।
इस अनलॉक के दौरान ऐसी चीजें अनलॉक हो रही हैं जिनमें देश दशकों से बंधा हुआ था। वर्षों से हमारा माइनिंग सेक्टर लॉकडाउन में था। कमर्शल ऑक्शन को मंजूरी देने के लिए निर्णयने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है। कुछ ही दिनों में स्पेस सेक्टर में ऐतिहासिक सुधार हुए।
अपने कृषि क्षेत्र को देखें, तो, इस sector में भी बहुत सारी चीजें दशकों से lockdown में फसी थीं। इस sector को भी अब unlock कर दिया गया है । इससे जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की आजादी मिली है।
◆हमारे देश के पारंपरिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है। जैसे आपने एक खेल का नाम सुना होगा- पचीसी। यह खेल तमिलनाडु में पल्लान्गुली कर्नाटक में अलि गुलि मणे और आध्र् में वामन गुंटलू के नाम से खेला जाता है। ये सब स्ट्रैटजी गेम हैं।
◆प्रधानमंत्री मोदी ने यूपी के बाराबंकी का जिक्र करते हुए कहा कि यहां बाहर से लौटे मजदूरों ने क्वारंटीन में रहते हुए कल्याणी नदी को लौटाया प्राकृतिक रूप।
◆गांव में आने के बाद, quarantine centre में रहते हुए, isolation centre में रहते हुए, हमारे श्रमिक साथियों ने जिस तरह अपने कौशल्य का इस्तेमाल करते हुए अपने आस-पास की स्थितियों को बदला है, वो अद्भुत है।