बोकारो:जैविक उद्यान में अपने बाड़े में गंगा मृत पायी गई,अब गंगा की दहाड़ नहीं सुनायी देगी
बोकारो।झारखण्ड के बाेकारो के सेक्टर-4 स्थित जवाहर लाल नेहरू जैविक उद्यान में इकलौती सफेद बाघिन ‘गंगा’ की दहाड़ अब सुनायी नहीं देगी।बताया जा रहा है कि शुक्रवार को सफेद बाघिन गंगा की मौत हो गयी है। वह लंबे अर्से से बीमार चल रही थी। शुक्रवार को सफेद बाघिन गंगा अपने बाड़े में मृत पायी गयी।
बीएसएल के संचार प्रमुख मणिकांत धान ने बताया कि एक अप्रैल को जैविक उद्यान में बाघिन गंगा अपने बाड़े में मृत पायी गयी। जैविक उद्यान प्रबंधन ने तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी। इसके बाद सरकारी पशु चिकित्सकों द्वारा डीएफओ, बोकारो के प्रतिनिधियों एवं जैविक उद्यान के अधिकारियों की उपस्थिति में मृत बाघिन का पोस्टमार्टम किया गया। बाघिन गंगा को भिलाई के चिड़ियाघर से लाया गया था।
मिली जानकारी के मुताबिक सफेद बाघिन गंगा का जन्म 08 अगस्त, 2006 को हुई थी।इसकी उम्र साढ़े पंद्रह वर्ष से अधिक हो गयी। आमतौर पर माना जाता है कि सफेद बाघों की औसत आयु 12 वर्ष की होती है।पोस्टमोर्टम के बाद बाघिन के मृत्यु का कारण उसकी अधिक उम्र की वजह से हार्ट अटैक से होने की जानकारी मिली है।सफेद बाघिन गंगा जैविक उद्यान आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थी, खासकर बच्चों की
बताया जाता है कि सफेद बाघिन गंगा और सफेद बाघ सतपुड़ा की जोड़ी को मैत्री बाग, भिलाई से 22 जनवरी 2012 को बोकारो के इस जैविक उद्यान लाया गया था। 25 अगस्त, 2012 को अपने पुरुष साथी सतपुड़ा की मृत्यु के बाद बाघ परिवार में सिर्फ एक गंगा ही जीवित थी।वर्ष 2012 में भिलाई से आने के बाद गंगा और सतपुड़ा बोकारो के माहौल और मौसम में तुरंत ढल गये थे।दोनों को बोकारो भा गया था। इसके कुछ दिन बाद ही गंगा ने उद्यान परिवार को ‘खुशखबरी’ सुनायी थी।जब सफेद बाघिन गंगा ने तीन शावकों को जन्म दिया।लेकिन, दुर्भाग्य से सभी शावक जिंदा नहीं रह पाये।तीनों की मौत जन्म के कुछ दिन बाद ही हो गयी। शावकों की मौत के बाद बाघ सतपुड़ा की भी मृत्यु 2012 में ही हो गयी। तब से गंगा एकाकी जीवन व्यतीत कर रही थी। इस कारण बाघ परिवार में सिर्फ गंगा की ही दहाड़ जैविक उद्यान में सुनायी पड़ती थी। गंगा बूढ़ी हो गयी थी।दांत उम्र के साथ चले गये थे। शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस लिया।