दुमका:चार दिन पहले पिता ने हॉस्टल में भर्ती कराया था,8 वर्षीय छात्र ने स्कूल की छत से कूदकर दे दी जान….पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है..

दुमका।झारखण्ड के दुमका जिले के मुफस्सिल क्षेत्र के महुआडंगाल स्थित पीजी स्कूल के हॉस्टल में रहने वाले कक्षा दो के आठ वर्षीय छात्र आर्यमन मंडल ने बुधवार दोपहर करीब साढ़े ग्यारह बजे चौथी मंजिल की छत से कूद गया। गंभीर हालत में उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया,जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।बताया जाता है कि आयर्मन 2020 से ही इसी स्कूल में पढ़ रहा था और चार दिन पहले ही परिजन ने हॉस्टल में डाला था। वह रोज स्कूल प्रबंधन से घर भेजने की जिद भी करता था।आर्यमन के माता पिता मिहिजाम में रहते हैं। वह बचपन में विजयपुर रोड निवासी नाना प्रकाश गंधर्व के साथ रहता था। नाना ने ही 2020 में उसका पीजी स्कूल में यूकेजी में नामांकन कराया था। तब से वह इसी स्कूल में पढ़ रहा था।

मिली जानकारी के मुताबिक,चार दिन पहले ही पिता ने स्कूल के हॉस्टल में डाल दिया। इसके बाद वह रोज स्कूल प्रबंधन से घर जाने की जिद करता था।बुधवार की दोपहर को करीब 11 बजे टिफिन के समय वह स्कूल की तीसरी मंजिल पर चलने वाली मेस में नाश्ता करने के लिए गया।सारे बच्चों ने उसके साथ नाश्ता किया। इसके बाद आर्यमन चौथी मंजिल पर गया और तीन फुट की रेलिंग के पास बेंच लगाकर कूद गया।इधर बच्चे की जमीन पर गिरने के बाद सामने के एक दुकानदार ने तुरंत इसकी सूचना स्कूल के प्रिंसिपल सौरव कुमार दत्ता को दी। इसके बाद स्कूल के शिक्षक आनन फानन में उसे अस्पताल लेकर आए, जहां उसकी मौत हो गई।

सूचना मिलने के बाद परिजन पहुँचे और पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार नहीं हुए लेकिन काफी समझाने के बाद पिता आशीष मंडल पोस्टमार्टम के लिए तैयार हुए।वहीं मृतक छात्र के पिता आशीष मंडल का कहना था कि जब बच्चा ही स्कूल की छत से कूद गया तो किसी को क्या दोष दें। बेटा शरारती था लेकिन ऐसा कर लेगा, यह सपने में सोचा नहीं था। छात्र कैसे कूद गया, इसके लिए स्कूल प्रबंधन कम दोषी नहीं है।नाना का कहना है कि नाती तीन साल से पढ़ रहा था, कभी कोई शिकायत नहीं सुनने को मिली। अचानक ऐसा क्या हो गया कि वह छत से कूद गया।कोई बच्चा घर से दूर हॉस्टल में जल्दी रहना नहीं चाहता है। नाती के मन जान देने का विचार कहां से आया,यह जांच का विषय है।

इधर प्रधानाध्यापक सौरव दत्ता ने बताया कि टिफिन के समय गली में दुकान चलाने वाले एक व्यक्ति ने आकर बताया कि कोई बच्चा गिर गया है। अस्पताल भेजने के बाद छत पर जाकर देखा तो रेलिंग के पास बेंच लगी थी। बेंच छत के एक कोने में थी, उसे खींचकर रेलिंग तक लाया गया।इसके बाद छात्र उस पर चढ़ा और नीचे छलांग लगा दी। जिस समय वह छत पर गया, उस समय सारे बच्चे तीसरी मंजिल पर थे। छोटे-छोटे बच्चों पर हर समय नजर तो नहीं रखी जा सकती है।पुलिस की जांच पड़ताल में स्कूल में गतिविधियों पर नजर रखने के लिए करीब आधा दर्जन सीसीटीवी लगे हुए हैं लेकिन एक भी चालू स्थिति में नहीं मिला। छत पर तो सीसीटीवी था ही नहीं।

इस सम्बंध में पुलिस अवर निरीक्षक वीरेंद्र सिंह ने जब प्रधानाध्यापक से सीसीटीवी चालू नहीं रहने की बात पूछी तो उन्होंने कहा कि सीसीटीवी खराब हैं। अभी नामांकन चल रहा है। बच्चे आते हैं, इसलिए थोड़ा-बहुत पढ़ाया जाता है। अप्रैल से कक्षाएं व्यवस्थित रूप से शुरू होंगी, उससे पहले सीसीटीवीपी ठीक करा लिए जाएंगे।

पुलिस का कहना है कि हर एंगल से मामले की जांच कर रहे हैं। उन्होंने आर्यमन के साथ पढ़ने वाले बच्चों से भी इस बाबत बात की। बच्चों ने एक ही बात बताई कि वह रोज घर जाने की जिद करता था। बच्चों ने बताया कि आर्यमन यह भी कहता था कि बिना बताए घर जाने पर मम्मी की डांट सुननी पड़ेगी। वह किस समय छत पर चला गया, किसी ने नहीं देखा।