राँची वीमेंस कॉलेज में करमा पर्व के पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित की गई….
राँची।राँची विश्वविद्यालय अंतर्गत राँची विमेंस कॉलेज राँची में करमा पर्व की पूर्व संध्या पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।इस कार्यक्रम में साइन ब्लॉक एवं आर्ट्स ब्लॉक की शिक्षिकाएं एवं छात्र-छात्राएं शामिल हुई।यह कार्यक्रम जनजाति एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के द्वारा आयोजित की गई।कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ सुषमा दास गुरु ,डा. लिल्ली बनर्जी,डॉ पुष्पा सिंह,डॉ नन्दा बनर्जी,डॉ सीमा प्रसाद ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
मांदर की थाप पर छात्र-छात्राएं भादो कर एकादशी करम गड़ाय रे.., करम-करम कहले संवारों.., आइजे तो आले करम..आदि नागपुरी गीत पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।कार्यक्रम में ड़ॉ विजय सिंह गागराई ने करमा पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि आदिवासी समाज ही प्रकृति के सबसे ज्यादा करीब है।लेकिन यह ध्यान रखने वाली बात है कि हम प्रकृति पूजक हैं और हमारे आसपास से प्रकृति समाप्त हो रही है।हरियाली का कहीं कोई नामो निशान नहीं बचा है।शहर से दूर होने पर ही हरियाली दिखती है.अपने-अपने घरों में खाली स्थान पर पेड़-पौधा लगाएं।उन्होंने कहा करमा पर्व प्रेम और सद्भावना का पर्व है।यह भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के तौर पर भी मनाया जाता है।सभी लोग आपसी भाईचारगी में त्योहार का आनंद लें उन्होंने कहा कि आदिवासी प्रकृति पूजक हैं। आदिवासी प्रकृति के अनुरूप जीवन जीते हैं। यहां तक कि समस्त आचार-व्यवहार प्रकृति के अनुरूप ही होता है। ऐसी संस्कृति कहीं और देखने को नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा खुद के कर्म और धर्म पर चिंतन करना चाहिए।
पूर्वजों के स्थापित मान्यताओं के अनुसार आदिवासी प्रकृति को देव तुल्य मानकर उन्हीं की पूजा करते हैं। युवा वर्ग से कहा कि पढ़ाई लिखायी खूब करें।लेकिन अपने संस्कृति और संस्कारों को न भूलें। हमारी जड़ संस्कृति में भी विद्यमान है।
इस मौके पर क्षेत्रीय भाषा विभागाध्यक्ष डॉ करमी माझी, डॉ विजय सिंह गागराई,डॉ सविता मुंडा, डॉ मंजुला कुमारी,डॉ रितु घासी, कंचन वर्णवाल, शैलजाबला बरवार, जयंती कुमारी, रीता कुमारी, डॉ. इंदिरा बिरूवा, सोनी कुमारी, डॉ सिलमनी बढ़ायऊद के साथ कॉलेज की छात्राएं मौजूद थी।