सरायकेला में भाकपा माओवादी संगठन के एरिया कमांडर और एक महिला माओवादी ने किया सरेंडर
सरायकेला। झारखण्ड के सरायकेला खरसांवा जिला में भाकपा माओवादी संगठन के एरिया कमांडर राकेश मुंडा उर्फ सुखराम मुंडा और संगठन में दस्ता की सदस्य चांदनी उर्फ बुधनी सरदार ने गुरुवार को सरायकेला-खरसावां पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया। राकेश मुंडा के ऊपर सरायकेला जिले के दो थाने में पांच मामले दर्ज हैं जबकि चांदनी उर्फ बुधनी सरदार के ऊपर एक मामला दर्ज है। इस वर्ष अलग-अलग संगठनों के नौ नक्सलियों ने झारखण्ड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
महाराजा प्रमाणिक के कहने पर दस्ते में शामिल हुआ था राकेश उर्फ सुखराम मुंडा
पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाले राकेश मुंडा ने कहा कि आर्थिक तंगी के कारण कमाने के लिए गुजरात चल गये थे। वर्ष 2016 में अपने गांव आये तो उस समय महाराजा प्रमाणिक का दस्ता गांव के आसपास के जंगलों में सक्रिय था। इसी दौरान महाराजा प्रमाणिक का दस्ता राकेश मुंडा के गांव आया और दस्ता के साथ चलने को कहा बोला और कहा इसके बदले में अच्छा वेतन देंगे। इसके बाद राकेश मुंडा को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। इसी दौरान राकेश मुंडा हार्डकोर नक्सली प्रशांत बोस अनल दा से मिला। वर्ष 2019 में पुलिस के साथ चारसुईड पहाड़ पर मुठभेड़ हुई। इसके बाद राकेश मुंडा को कुचाई क्षेत्र का एरिया कमांडर बनाया गया और एसएलआर हथियार दिया गया।
संगठन से मोहभंग होने के बाद चांदनी उर्फ बुधनी सरदार ने किया सरेंडर
पुलिस के समक्ष सरेंडर करने के बाद चांदनी उर्फ बुधनी सरदार ने कहा कि 2017 में महाराजा प्रमाणिक के बहकावे में आकर संगठन में शामिल हो गयी। इसी दौरान दस्ते में राकेश मुंडा से दोस्ती हो गयी। लेकिन महाराजा प्रमाणिक दोनों को आपस में बातचीत करने से रोकता था। और एक दूसरे को मिलने नहीं दिया जाता था। चांदनी ने कहा कि मुसीबत के समय में महाराजा प्रमाणिक से रुपयी की मांग की, लेकिन महाराजा प्रमाणिक ने नहीं दिये।इस वजह से संगठन से मोहभंग हो गया। इसी दौरान राकेश मुंडा और चांदनी सरदार ने निर्णय लिया कि संगठन में रहने से अच्छा है कि संगठन से भाग कर शादी कर आम लोगों की तरह गांव में जीवन गुजर-बसर कर सकें।इसके बाद अप्रैल में दोनों संगठन छोड़कर फरार हो गये। सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर दोनों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
नक्सलियों के बीच लोकप्रिय हो रही ‘नयी दिशा’
झारखण्ड सरकार ने राज्य को नक्सल मुक्त राज्य बनाने का संकल्प लिया है। इसी संकल्प को धरातल पर उतारने के लिए डीजीपी एमवी राव के निर्देश पर झारखण्ड पुलिस की नक्सली संगठनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है और इस दिशा में झारखंड पुलिस को सफलताएं भी मिल रही हैं। राज्य को नक्सल मुक्त करने के लिए सरकार की महत्वपूर्ण आत्मसमर्पण नीति ‘नयी दिशा’ भी नक्सली संगठनों के बीच काफी लोकप्रिय होती जा रही है और कई नक्सली संगठनों के नक्सली इससे प्रभावित होकर झारखण्ड पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर रहे हैं।