#LOCKDOWN:झारखण्ड में लॉकडाउन के दौरान गायब हो गए 100 से ज्यादा बच्चे,इनमे ज्यादतर लड़कियां शामिल है.
राँची।मासूमों को लेकर जताई गई आशंकाएं सच साबित हो रही हैं। झारखण्ड के गरीब बच्चों पर लॉकडाउन कहर बनकर टूटा है। गांवों से बच्चों के के गायब होने की रफ्तार तेज हो गई है। 1 मार्च से लेकर 15 जून के बीच झारखण्ड से 116 बच्चे गायब हो गए हैं। औसतन एक बच्चा प्रतिदिन गायब हुआ। आशंका है कि लॉकडाउन के दौरान ये बच्चे मानव तस्करों के आसान शिकार बने हैं। सबसे खतरनाक बात तो ये है कि इनमें से 89 लड़कियां हैं।
इस सम्बंध में बैद्यनाथ कुमार बाल अधिकारी कार्यकर्ता,राँची ने कहा कि हर महीनें औसतन 20 बच्चे राज्य से लापता हो रहे हैं। इनमें से आधे बच्चों का सुराग नहीं मिल पाता है। लॉकडाउन पीरियड के दौरान खूंटी की बच्ची को नालंदा में बेचे जाने का मामला भी सामने आ चुका है। लॉकडाउन में तस्करी से जुड़े केस भी सामने आ रहे हैं।
धनबाद में गायब बच्चे सबसे ज्यादा
आंकड़ों की मानें तो राज्य के तीन जिलों में सबसे ज्यादा बच्चे गायब हुए हैं। हजारीबाग में 27 बच्चे गायब हुए हैं जिनमें 17 लड़कियां और 10 लड़के शामिल हैं। उसी प्रकार धनबाद में 23 बच्चे गायब हुए , जिनमें 19 लड़कियां और चार लड़के हैं। पूर्वी सिंहभूम में 21 बच्चे मिसिंग हैं जिनमें 19 लड़कियां और दो लड़के शामिल हैं। हालांकि रांची समेत सात जिले ऐसे हैं जहां इस बीच एक भी बच्चा गायब नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने आशंका जाहिर की थी कि लॉकडाउन से उभरी परिस्थितियों में मजदूरी के साथ-साथ देह व्यापार के लिए लड़कियों की तस्करी हो सकती है। ऐसे में इस संभावना को बल मिल रहा है कि राज्य से गायब हुए बच्चों को तस्करी कर बाहर के राज्यों में बेचा जा सकता है। हैरत की बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान आवागमन के सारे ससाधान बंद थे। इसके बावजूद इतनी बड़ी संख्या में बच्चे अपने गांव-घरों से गायब हुए हैं।
बीते साल गायब हुए 148 बच्चों का सुराग नहीं
साल 2019 में राज्य के अलग अलग हिस्सों से गायब हुए 148 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते साल 201 लड़के व 176 लड़कियों के गायब होने या अपहरण का मामला दर्ज कराया गया था। इस तरह कुल 377 बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई थी। लेकिन पुलिस ने 126 लड़के व 123 लड़कियों समेत कुल 229 बच्चों को बरामद किया। लेकिन 148 बच्चों का सुराग पिछले साल नहीं मिल पाया था। पुलिस को हजारीबाग से 19, देवघर से 17, धनबाद से 16, लोहरदगा से 15, रांची से 9 बच्चों का सुराग नहीं मिल पाया है। रेल जमशेदपुर में भी बीते साल 11 बच्चों के गायब होने की शिकायत दर्ज की गई थी, लेकिन एक भी बच्चा बरामद नहीं किया गया।
ट्रैफिकिंग मामलों में अब तक की कार्रवाई
राज्य से गायब लड़कियों को बड़े पैमानें पर प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए महानगरों में बेचा जाता है। लेकिन साल 2015 से 2019 के बीच ट्रैफिकिंग को लेकर बड़ी कार्रवाईयां हुई हैं। 2015 से 2019 तक ट्रैफिकिंग के 490 केस एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट थानों में दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने इस दौरान 131 पुरुष व 585 महिलाओं समेत 716 लोगों का रेस्क्यू कराया। वहीं पुलिस ने पांच सालों में 139 महिला ट्रैफिकर समेत कुल 539 ट्रैफिकर को गिरफ्तार किया है।
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