गढ़वा:नाबालिग को पहले बेरहमी से पड़ोसी ने पीटा,मन नहीं भरा तो लड़की को गाड़ियों से कुचलने के लिए सड़क पर फेंका, बस चालक की सूझबूझ से बच्ची की जान बची…
गढ़वा। झारखण्ड के गढ़वा थाना क्षेत्र के ओबरा गांव में आदिवासी परिवार की नाबालिग़ को उसके गांव के ही एक व्यक्ति ने बेरहमी से पीटकर अधमरा कर दिया।उससे उसका जी नहीं भरा तो ओबरा में ही सुनसान स्थान पर एनएच-343 पर गाड़ियों से कुचलने के लिए फेंक दिया। लेकिन एक बस चालक की सूझबूझ से बालिका की जान बच गई। यह घटना गुरुवार की है। पीड़िता का गढ़वा सदर अस्पताल में इलाज चल रहा है।नाबालिग की उम्र करीब 12 साल है।
जानकारी के अनुसार,पीड़िता के पिता बाहर काम करने गए हैं। माँ गढ़वा में प्रतिदिन आकर दिहाड़ी मजदूर का काम करती है।माँ के अनुसार गुरुवार सुबह करीब आठ बजे वह मजदूरी करने के लिए गढ़वा जाने लगी तो अपनी बेटी को 1140 रुपये स्वयं सहायता समूह के ऋण का किस्त जमा करने के लिए देकर गई। इसके अलावा उसने मजदूरी करके तथा समूह से ऋण लेकर 50 हजार रुपये जमा कर घर में रखे थे। पैसे निकालने के दौरान बच्ची के साथ उसकी सहेली भी वहीं मौजूद थी। माँ के घर से चले जाने के करीब आधा घंटा बाद बच्ची ने अपनी सहेली को घर से जाने को कह दिया। घर के दरवाजे में कुंडी चढ़ाकर बिना ताला बंद किए ही 1150 रुपये स्वयं सहायता समूह में जमा करने चली गई।
इस बीच सहेली ने बच्ची के घर का दरवाजा खोलकर 50 हजार रुपये निकाल लिए। तब तक वहां बच्ची पहुंच गई तो उसे देखकर सहेली भागने लगी। बच्ची ने बताया कि वह भी सहेली के पीछे पीछे उसके घर तक चली गई। वहां सहेली के पिता आसिम अंसारी ने बच्ची की डंडे से पिटाई कर दी। इतना पीटा की वह अधमरा हो गई। इसके बाद बच्ची को सुनसान सड़क पर फेंक दिया। लेकिन एक बस चालक ने बच्ची को बेहोश हालत में देखकर उसे सड़क से हटा दिया। फिर एक ग्रामीण के माध्यम से घरवालों को सूचना दी। इसके बाद बच्ची के दादा व दादी वहां पहुंचे। बच्ची को लेकर घर आए। इसके पश्चात बच्ची की माँ को पड़ोसियों की मदद से फोन कर घर बुलाया गया। इसके बाद बच्ची को इलाज के लिए गढ़वा सदर अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया। गढ़वा सदर अस्पताल में इलाजरत बच्ची की हालत स्थिर बनी हुई है।
इधर पुलिस को सूचना दी गई है।पीड़िता के परिजनों का बयान पर मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।