Ranchi:रातू किला परिसर में एनडीआरएफ की टीम ने किया मॉक ड्रिल,स्कूली बच्चों को सिखाए गए बचाव के गुर
राँची।आजादी का अमृत महोत्सव के तहत एनडीआरएफ द्वारा राँची के एतिहासिक रातू का किला परिसर में भूकंप और भगदड़ सुरक्षा पर आधारित मॉक ड्रील का आयोजन शुक्रवार (24 दिसम्बर) को किया गया। राँची में स्कूली छात्रों और पर्यटको की सुरक्षा को ध्यान में रख कर इसका आयोजन किया गया। इसका मकसद बच्चों और वहां उपस्थित लोगों को भूकंप तथा भगदड़ पर आधारित मॉक अभ्यास तथा प्रदर्शनी लगाकर जागरूक करना था।भूकंप आने पर किस प्रकार सुरक्षात्मक सावधानी बरतनी चाहिए तथा आपदा के दौरान आपदा प्रबंधन समीति जो स्कूलों में गठित की जाती है।उसकी रेस्पांस टीमों की भूमिका और उनके कार्यो को श्री अवनीश कुमार शाही,सहायक समादेष्टा व श्री विनय कुमार ,सहायक समादेष्टा के द्वारा 9 बटालियन टीम के डेमों के माध्यम से बखूबी समझाया गया। इस कार्यक्रम के दौरान छात्रो एवं मौजूद शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया तथा लाभान्वित हुए।
श्री अवनीश कुमार ने बताया कि 9 वीं बटालियन एनडीआरएफ की टीम द्वारा भूकम्प आने पर अपनाये जाने वाले सुरक्षात्मक पहलूओं तथा रेस्पांस मैकेनिज्म को सभी को जानना अतिआवश्यक है, ताकि आपदा के दौरान सही तरीके अपना कर लोग अपनी और अपने आस पास के लोगों की जान माल की सुरक्षा कर सकें। उन्होंने आगे बताया कि आपदा को रोका नहीं जा सकता लेकिन आपदा से पूर्व हमारी तैयारी, प्रशिक्षण तथा जागरूकता निश्चित तौर पर आपदा से होने वाले नुकसान को रोक सकती है।
किसी भी प्रकार के आपदा आने पर घबड़ाये नहीं बल्कि सूझबूझ के साथ अपनी जिम्मेदारियों को निभाये।अगर हम आपदाओं के दौरान नहीं घबराएंगे तभी सीखे हुए तरीके अपना सकेंगे। इस आयोजन में एनडीआरएफ के श्री अवनीश कुमार साही एवं श्री विनय कुमार सहायक कमान्डेट के साथ साथ श्री आकाश कुमार, क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी,रातु, श्री देवेन्द्र कुमार पांडेय सहकारिता प्रसार अधिकारी ,रातु , श्री सुमित एक्का ,अंचल अधिकारी,रातु,श्री आलोक कुमार पांडेय,अग्निशमन अधिकारी रातु एवं थाना प्रभारी रातु भी मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम में आस पास के पांच स्कूलों के करीब साढ़े चार सौ बच्चे व उनके अध्यापकों ने हिस्सा लिया।उन्होने आगे बताया कि सर्वप्रथम डेमो के माध्यम से आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलूओं की जानकारियों दी गई। तत्पश्चात घायलों को अस्पताल पूर्व चिकित्सा के विभिन्न पहलूओं जैसे रक्तश्राव नियंत्रण तकनीक, हृदयाघात तुरन्त बाद दी जाने वाली प्राथमिक उपचार हडडी टूटने के बाद प्राथमिक उपचार के तौर पर खपच्ची (Splinting) लगाने की तकनीक तथा घायलों को ले जाने की अलग-अलग तरीकों पर प्रशिक्षण दिया गया। साथ ही, छात्रों से इस उपयोगी प्रशिक्षण का अभ्यास भी करवाया गया। फिर भूकंप आने पर झुके (Duck), ढके (Cover) तथा पकड़े (Hold) डील का प्रशिक्षण तथा अभ्यास छात्रों से कराया गया,और भगदड़ के दौरान घायल व्यक्तियों को उपचार के तरीके आने पर अपना काम बखूबी करते हैं और आपदा मे फंसे लोगो को बचाते है। किस तरह से सुरक्षा उपाय अपनाना चाहिए और इससे होने वाले नुकसान को कैसे कम किया जाये, एवं साथ ही एन०डी०आर०एफ० द्वारा आपदा प्रबंधन उपकरणों का एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया और श्री सुनील कुमार सिंह, कमाण्डेंट 9 बटालियन एन०डी०आर०एफ० बताया कि विभिन्न प्रकार के आपदाओं में जोखिम को कम करने के लिए आवश्यक है,कि आपदा प्रबंधन तैयारी तथा कार्यवाही योजनाओं को सुचारू रूप से तैयार किया जाए तथा इसे अमल में लाया जाए।
कमांडेंट एनडीआरएफ ने आपदा से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए बच्चों को तीन मंत्र दिए..
*आपदा के दौरान घबराएं नहीं संयम और धैर्य बना कर रखें तभी आप आपदा से निपटने के लिए सिखाए गए तरीके अपना सकेंगे ।
*आपदा के दौरान हमेशा एक दूसरे को मदद करने की भावना रखें।
*विशेषकर भूकंप के दौरान सभी लोग झुको,ढको और पकड़ो का मंत्र याद रखें।
वहीं समादेष्टा महोदय ने ऐतिहासिक रातु का किला की मालकिन श्रीमती माधुरी मंजरी दीदी का भी धन्यवाद दिया जिनके सहयोग से इस कार्यक्रम को सफल बनाया जा सका और बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिला।उन्होंने आगे कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में झारखण्ड के नागरिक व छात्रों को जागरूक करने की दिशा में 9 बटालियन एन0डी0आर0एफ0 द्वारा लगातार इस प्रकार के अभ्यास किए जा रहे है और आगे भी जारी रहेंगे।
एनडीआरएफ, राँची।