Jharkhand:क्यों पड़ गई आईपीएस अधिकारी की जांच धीमा,क्या आईपीएस अनुराग गुप्ता किसी के टारगेट पर,अनुराग गुप्ता अपने निलंबन विरुद्ध पहुँचा कोर्ट..
राँची।अपर पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता की परेशानी कम होती नहीं दिख रही है। लिहाजा उन्होंने अब अपने निलंबन के विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।झारखण्ड कैडर के एडीजी स्तर के अधिकारी अनुराग गुप्ता ने न्यायालय से आग्रह किया है कि उन्हें बेवजह निलंबित किया गया है। उनका कोई दोष नहीं है।
आपको बता दें कि पूर्व की भाजपा सरकार के समय में योगेंद्र साव द्वारा सरकार पर आरोप लगाया गया था की जब सरकार चला रहे लोग ही आरोपी हैं तो ऐसे में निष्पक्ष जांच कैसे होगी। इतना ही नहीं राज्यसभा चुनाव 2016 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग कीआ सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाइकोर्ट से सुप्रीमकोर्ट तक का दरवाजा योगेंद्र ने खटखटाया था। लेकिन अब जब उनकी खुद की पार्टी की सरकार है बावजूद वो न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं। मूलयंत्र जिससे वीडियो बनाया गया था, जमा करवाने के लिए न्यायालय ने योगेंद्र साव को तीन बार नोटिस दी है। लेकिन वो न तो गैजेट ही जमा कर रहें हैं और न ही कोई ठोस जबाब न्यायालय या राँची पुलिस को दे रहें हैं। क्या योगेंद्र साव किसी के इशारे पर काम कर रहें हैं? क्या किसी ने एडीजी को टारगेट पर लिया हुआ है? इसका जबाब तो जांच अधिकारी या सरकार ही दे सकती है।
अधिकारी के कोर्ट जाने के बाद गृह विभाग से मांगी गई रिपोर्ट
इधर आईपीएस अधिकारी के कोर्ट की शरण में जाने के बाद महाधिवक्ता कार्यालय से उनके निलंबन के संबंध में एक रिपोर्ट गृह विभाग से मांगी गई है। इसमें कहा गया है कि शपथ पत्र दायर करने के लिए तथ्य विवरणी उपलब्ध कराई जाये। गृह विभाग के एक अवर सचिव ने एक पत्र पुलिस मुख्यालय को भेजकर पूरी रिपोर्ट मांगी है।
सरकार के स्तर से भी सिर्फ अनुराग गुप्ता पर कार्रवाई की हो रही जांच को जानबूझकर धीमा किया गया ताकि अनुराग गुप्ता को परेशान किया जा सके।
गैजेट नहीं जमा कर योगेंद्र साव ने लटका रखा है मामला
आपको बता दें राज्यसभा चुनाव 2016 के हॉर्स ट्रेडिंग के मामले से जुड़ा गैजेट (कैमरा लगा चश्मा जिसका उपयोग वीडियो बनाने में हुआ था) को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव द्वारा अबतक जमा नहीं किया गया है। DIG व वरीय अधिकारी इस मामले की निगरानी कर रहे हैं। अबतक इस मामले में योगेंद्र, पत्नी निर्मला देवी, और मंटू सोनी का गवाह के तौर पर पुलिस बयान ले चुकी है।
जबकि आरोपी पक्ष से तत्कालीन CM के सलाहकार रहे अजय कुमार और बैजनाथ कुमार से अनुसंधानकर्ता पूछताछ कर चुके हैं। राज्यसभा चुनाव 2016 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग की शिकायत के बाद चुनाव आयोग के निर्देश पर जगन्नाथपुर थाना में केस दर्ज कराया गया था।
अनुराग गुप्ता के हाइकोर्ट चले जाने के बाद अब यह लगने लगा है कि अनुराग गुप्ता को जानबूझ कर परेशान किया जा रहा है। ऐसे में उन्हें कोर्ट से राहत मलने की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि अब तक पुलिस की जांच भी धीमी है और जहां जांचकर्ता द्वारा गैजेट जमा नहीं किये जाने पर कोर्ट में अनुराग गुप्ता का पक्ष मजबूत होता दिख रहा है वहीं शिकायतकर्ता कि मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रह है।
मुलयंत्र (ऑडियो)कोर्ट में जमा हो चुकी है
जिस मुलयंत्र बात हो रही है उस मुलयंत्र को जुलाई 2020 में कोर्ट में जमा हो चुका है।लेकिन अभी तक पुलिस की ओर से उस मुलयंत्र की जाँच करवाने के लिए नहीं भेजा गया है।
बता दें इससे पहले भी मुलयंत्र (ऑडियो सीडी) की जांच रिपोर्ट 2019 में आ चुकी है।जिसमे जांच पाया गया था कि कई जगहों पर ऑडियो में कट किया गया।ये मामला पूरी तरह एक सीडी पर आधारित है।वहीं अनुराग गुप्ता को सस्पेंड किये करीब एक साल होने वाला है।सवाल यहाँ यही उठता है क्या जानबूझकर कोई जांच को रोककर एक आईपीएस को परेशान किया जा रहा है।
अखबार का कतरन