एक साथ उठी तीन अर्थियां, रो पड़ा पूरा गांव,एक ही परिवार के दादा-दादी और पोते की मौत
हजारीबाग।झारखण्ड के हजारीबाग जिले में चौपारण थाना क्षेत्र के कसीयाडीह में एक साथ तीन अर्थी उठने से पूरा गांव एक साथ रो उठा। हर आंखें भर आई, हर दिल रोया, ना चूल्हा जला ना निवाला उतरा। हर शख्स की जुबान खामोश थी, तो हर कोई भगवान से एक ही प्रार्थना कर रहा था कि ऐसा मंजर फिर कभी देखने को ना मिले।
बता दें कि बुधवार 5 अप्रैल को विजय साहू का लगभग सारा परिवार कोडरमा के महुआटांड में आयोजित गायत्री यज्ञ में शामिल होने के लिए बोलेरो से जा रहा था।उसी बीच उरवां में जामुखांडी के पास वाहन दुघर्टनाग्रस्त हो गया, जिसमें बोलरो में सवार 9 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इसमें विजय साहू के पिता चंद्रभूषण नायक (75) ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया. बाकि अन्य को नजदीक के आस्था हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वहां से प्राथमिक उपचार के बाद सभी को रेफर कर दिया गया। सभी को हजारीबाग के आरोग्यम अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां विजय की मां निर्गुण देवी और चक्रसार गांव की निवासी विजय की चाची चंचला (82) ने अंतिम सांस ली। फिर अन्य घायलों को राँची स्थित पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां विजय साहू के लगभग पांच वर्षीय इकलौते पुत्र देवराज ने भी दम तोड़ दिया।वहीं घायल विजय साहू की पत्नी सोनम देवी, भाभी रीता देवी, भतीजा शिवराज, जीजा रामचंद्र साव और भगिनी उषा कुमारी (22) का फिलहाल ईलाज चल रहा है, जिसमें विजय साहू की पत्नी सोनम देवी और जीजा रामचंद्र साव की हालत नाजुक बताई जा रही है। घटना के बाद से गांव में शोक की लहर फैल गईम बारी-बारी से शव को घर में लाने के क्रम में परिजनों के चीत्कार से सभी का हृदय फट रहा था।
एक चिता पर जले पति-पत्नी: सती प्रथा काल में पति-पत्नी को एक ही चिता पर जलाने की प्रथा थी, उसका तो अंत हुआ, लेकिन ईश्वर की लीला से उसी के जैसे एक ही चिता पर पति-पत्नी का दाह संस्कार किया गया, जो काफी दर्दनाक दृश्य था।विजय साहू के माता-पिता का एक साथ दाह संस्कार किया गया। वहीं पांच वर्षीय बालक देवराज को मिट्टी दे दिया गया। इसके अलावा चाची चंचला (82) का चक्रसार श्मशान घाट में दाह संस्कार किया गया।
बहुत ही मन्नत के बाद विजय साहू का इकलौता पुत्र देवराज पैदा हुआ था. तभी से विजय का सारा परिवार ईश्वर के प्रति समर्पित भाव से लगा रहता था.विजय अपने जिगर के टुकड़े देवराज को अपने आंखों से दूर नहीं रखना चाहते थे. उसी के कारण चौपारण में अपने नव निर्मित मकान में रहकर बेटे को पढ़ाने के लिए ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल में नामांकन कराया गया था.स्कूल के डायरेक्टर मंटु यादव ने भी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए बताया कि बच्चा बहुत अच्छा था. इसलिए घटना पर शोक व्यक्त करते हुए स्कूल में शोक सभा कर एक दिन के लिए स्कूल बंद कर दिया गया.
घटना की सुचना मिलते ही घर पर शोक संवेदना व्यक्त करने वालों का तांता लगता रहा, जिसमें विधायक उमाशंकर अकेला, चौपारण-1 जिप सदस्य राकेश रंजन, तिसासे अध्यक्ष अरुण साहू, अरविंद सिन्हा, सुमन सिंह, डब्लू अंसारी सहित सैकड़ों लोग शामिल हुए और इस हृदय विदारक घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया।
2004 में भी हुई थी ऐसी घटना:ग्रामीणों ने इस घटना से मर्माहत होते हुए पहले की घटना की भी चर्चा की. लोगों ने बताया कि इसी तरह 2004 में बाबा बाल योगेश्वर के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए रामगढ़ जाने के क्रम में मांडू के पास एक सड़क दुघर्टना हुई थी. उसमें भी लगभग एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें चयकला गांव के सात लोग शामिल थे, जिसमें एक परिवार से दो की मौत हुई थी. शेष अन्य परिवार से थे. उस समय भी एक ही श्मशान घाट पर सभी का अलग-अलग चिता सजाकर दाह संस्कार किया गया था.