सुरक्षाबलों ने ऐसी घेराबंदी की इस बार चकमा देने में असफल हुआ और मारा गया 15 लाख का इनामी नक्सली बुद्धेश्वर
पलामू।झारखण्ड और बिहार का मोस्ट वांटेड इनामी नक्सली बुद्धेश्वर उरांव का आतंक का अंत हो गया।बता दें गुमला के चैनपुर थाना क्षेत्र के जंगलों में बीते दो दिनों में हुए दो आईईडी विस्फोट के तीसरे दिन गुरुवार को सुबह केरागानी जंगल में सुरक्षाबलोंं और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हो गई।इस दौरान पुलिस ने एक नक्सली 15 लाख रुपए का इनामी जोनल कमांडर बुद्धेश्वर उरांव को मार गिराया है। इसकी आधिकारिक पुष्टि हो गई है।इस मामले में गुमला एसपी हृदीप पी जनार्दनन ने की। घटनास्थल से एक AK-47 रायफल के अलावा कई नक्सली साहित्य, बैग, पिट्ठू, नगद राशि आदि भी बरामद किया गया है।
20 वर्षों से आतंक मचा रहा था
बताया जा रहा है की पिछले 20 वर्षों से चार जिलों समेत दो राज्यो में आतंक का पर्याय बने भाकपा माओवादियों के रीजनल कमांडर सह प्रवक्ता बुद्धेश्वर उरांव को आखिरकार गुरुवार को सुबह मार गिराने में सुरक्षा बल कामयाब रहे। बुधेश्वर को पकड़ने के लिए दर्जनों स्पेशल अभियान चलाया जा चुका था। इस दौरान वह करीब एक दर्जन बार पुलिस के सामने आने के बाद भी बच निकला था। इसके बाद बुधेश्वर इलाके में सरेंडर करने का दुष्प्रचार कर दिया था। इस दुष्प्रचार के बाद पुलिस ने भी उसके व दस्ते के प्रति अपना दवाब कम कर दिया। मगर वह हाल के दिनों में फिर से उत्पात मचाना शुरू कर दिया था। विकास कार्यों को बाधित कर ठेकेदारों से लेवी उगाही में जुट गया था।बुद्धेश्वर उरांव हर बार पुलिस की पकड़ से बच निकलता था।
दरअसल, पिछले दो दिनों से जिला पुलिस और सीआरपीएफ की टीम जंगल में सर्च ऑपरेशन चला रही है। गुरुवार को अहले सुबह पुलिस को सूचना मिली थी कि केरागानी व मरवा को बीच स्थित जंगल में नक्सली बुद्धेश्वर का दस्ता जमा है। वे किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं। इसी बीच पुलिस उन्हें घेरने निकली। इसी दौरान नक्सली आमने-सामने आ गए। जिसके बाद दोनों तरफ से घंटों गोलीबारी हुई। इसी फायरिंग में एक नक्सली ढेर हो गया। जबकि उसके बाकी नक्सली साथी सुरक्षाबलों को भारी पड़ता देख जंगल की तरफ भाग निकले।
103 मामले दर्ज है
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन भाकपा माओवादी के रीजनल कमेटी मेंबर एवं सेक्रेटरी कोयल संघ जोन दुर्दांत बुद्धेश्वर उरांव की मुठभेड़ में मौत हो गई। मुठभेड़ में मारा गया बुद्धेश्वर उरांव पर 103 मामले दर्ज हैं। जिसमें हत्या, डकैती, लूट, रंगदारी, आगजनी, पुलिस पार्टी पर हमला एवं अन्य नक्सल घटनाओं से संबंधित मामले हैं। दुर्दांत बुद्धेश्वर उरांव के मुठभेड़ में मारे जाने की सूचना के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में खुशी है। आज सुबह झारखण्ड पुलिस व सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में पुलिस को सफलता मिली है। दुर्दांत बुद्धेश्वर उरांव के मुठभेड़ में मारे जाने को झारखण्ड पुलिस व सीआरपीएफ बड़ी उपलब्धि मान रही है।
मारे गए नक्सली के भाई ने कहा:
नक्सली बुद्धेश्वर के भाई चरण उरांव ने बताया कि बुद्धेश्वर 2001 में मैट्रिक पास किया था। पर आर्थिक तंगी से जुझने के कारण नक्सली नकुल यादव से संपर्क कर नक्सलवाद की राह पर चल पड़ा। तब से वह जंगलों में नक्सलियों के साथ रहा करता था। वर्ष 2010 में नक्सली रंथु उरांव की बहन कुंती देवी से शादी रचाया था। जो कुल्ही गांव की रहने वाली है। उसका एक बेटा पवन उरांव (15) व बेटी पूजा उरांव (12) है। माँ व बच्चे राँची में रहती हैं। चरण ने बताया कि बुद्धेश्वर की पत्नी कभी-कभी राशन लेने के लिए गांव आती है। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा भाई सोमरा उरांव, जिसकी दो माह पूर्व बीमारी से मौत हो गई। मंझला भाई भोला उरांव जो टोटो में घर बनाकर रह रहा है। तीसरा वह स्वयं है जो गांव में रहता है। तीनों भाई खेतीबारी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।
बुद्धेश्वर के आईईडी ब्लास्ट में शहीद हुआ था आईईडी स्पेशलिस्ट बेल्जियन शेफर्ड नस्ल का डॉग ड्रोन
बताते चलें कि जिले के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र कुरमगढ़ व सदर थाना के सीमावर्ती इलाके में पड़ने वाले केरागानी जंगल में मंगलवार को हुए ब्लास्ट में कोबरा बटालियन का हिस्सा रहे आईईडी स्पेशलिस्ट बेल्जियन शेफर्ड नस्ल का डॉग ड्रोन शहीद हो गया था। वहीं, डॉग हैंडलर कोबरा जवान विश्वजीत कुंभकार गंभीर रूप से जख्मी हो गया था। घायल जवान को वायुसेना के हेलिकॉप्टर से राँची लाया गया। इसके अगले दिन बुधवार की अहले सुबह एक बार फिर प्रेशर आईईडी के ब्लास्ट होने से एक ग्रामीण रामदेव मुंडा (45) मौत हो गई थी। यह आईआईडी बुद्धेश्वर दस्ते के नक्सलियों ने बिछाया था।