झारखण्ड के राज्यपाल श्री रमेश बैस चंडीगढ़,राजभवन में पूज्य संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महराज जी द्वारा प्रस्तुत श्री राम कथा अमृत वर्षा कार्यक्रम में भाग लिया
राँची।माननीय राज्यपाल श्री रमेश बैस ने आज चंडीगढ़,राज भवन, पंजाब में पूज्य संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महराज जी द्वारा प्रस्तुत श्री राम कथा अमृत वर्षा कार्यक्रम में भाग लिया।उक्त अवसर पर माननीय राज्यपाल, पंजाब और प्रशासक, चंडीगढ़ श्री बनवारीलाल पुरोहित जी भी मौजूद थे।
पंजाब राजभवन, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित श्री राम कथा के अवसर पर माननीय राज्यपाल महोदय ने सम्बोधित करते हुआ कहा-
सर्वप्रथम, मैं माननीय राज्यपाल, पंजाब और प्रशासक, चंडीगढ़ श्री बनवारीलाल पुरोहित जी को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देता हूँ और उनका आभार प्रकट करता हूँ कि इस कार्यक्रम में मुझे आमंत्रित किया। मैं राज भवन, पंजाब के सभी अधिकारियों व कर्मियों को भी बधाई देता हूँ।
यह मेरा सौभाग्य है कि परम पूज्य संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महाराज के श्रीमुख से मुझे श्री राम कथा सुनने का अवसर प्राप्त होने जा रहा है। मैं महाराज जी के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ तथा झारखंड की जनता की सुख, समृद्धि के लिए उनसे आशीर्वाद माँगता हूँ।
जब भी धार्मिक स्थलों व कार्यक्रमों में जाता हूँ तो मैं वहाँ कथा, भजन, कीर्तन आदि सुनना पसंद करता हूँ, न कि भाषण देना। भजन, कीर्तन, कथाओं को सुनने से मन को सुकून तो प्राप्त होता ही है, चित को एक अलग प्रकार की शांति की अनुभूति प्राप्त होती है।
जो कण-कण में बसे हैं, वही राम है। श्रीराम के जीवन की अनुपम कथाएं महर्षि वाल्मिकी जी ने बड़े ही सुंदर ढ़ंग से रामायण में प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस रच कर जन-जन के हृदय तक श्रीराम के विचारों व आदर्शों को पहुंचाने का सफल कार्य किया।
करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति भगवान राम ने विनम्रता, मर्यादा, धैर्य और पराक्रम के उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया। भगवान राम को दुनिया में एक आदर्श पुत्र के रूप में माना जाता है।
भगवान श्री राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र के साथ आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श मित्र, आदर्श शिष्य और आदर्श राजा भी थे। उनके लिए जन-सेवा सर्वोपरि था। वे प्रजा के हर सुख-दुःख में उनके साथी थे। इसलिए प्रजा भी उनसे उतना ही प्रेम करती थी। भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक हैं।
शबरी के जूठे बेर खाकर, उन्होंने सबके सामने एक आदर्श रखा कि सच्चे प्रेम के आगे बड़े से बड़े व्यक्ति को झुकना पड़ता है। साथ ही, इसमें अस्पृश्यता का समाज से उन्मूलन करने का संदेश निहित है। निषाद राज से घनिष्ट मित्रता जाति विभेद को दूर करने की प्रेरणा देता है।
जिस प्रकार वेदों व शास्त्रों ने मानव के बेहतर भविष्य संबंधी कई मंत्र दिये, उसी प्रकार रामायण ने मानव जीवन को बेहतर जीवन जीने के तरीके सिखाए हैं। जो व्यक्ति रामायण में लिखी बातों व श्री राम के आदर्श को आत्मसात कर ले, वह अपने जीवन में आए समस्त दुखों से लड़ने की क्षमता रख सकता है।
रामायण, रामचरितमानस ऐसे पवित्र ग्रंथ है जो रामकथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादाओं को प्रस्तुत करते हैं। इन ग्रन्थों में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं।
रामकथा सर्वदा लोकप्रिय बनी रहेगी। रामकथा की लोकप्रियता सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है। भारत ही नहीं विश्व की अनेक लोक-भाषाओं और लोक-संस्कृतियों में रामायण और भगवान राम के प्रति सम्मान और प्रेम झलकता है।
एक बार पुनः माननीय राज्यपाल, पंजाब और प्रशासक, चंडीगढ़ श्री बनवारीलाल पुरोहित जी का श्री राम कथा के आयोजन के लिए बधाई। जय सिया राम!