Ranchi:बाल मजदूरी विरोधी अभियान (सीएसीएल),झारखण्ड इकाई की ओर से एचपीडीसी सभागार में यूएनसीआरसी की 30वीं वर्षगांठ पर बच्चों की आवाज विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
राँची:बाल मजदूरी विरोधी अभियान (सीएसीएल), झारखंड इकाई की ओर से एचपीडीसी सभागार में यूएनसीआरसी की 30वीं वर्षगांठ पर बच्चों की आवाज विषय पर दो दिवसीय राज्यस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से सीएसीएल के राज्य समन्वयक रामलाल प्रसाद, आशा संस्था के अजय जयसवाल, सवेरा फाउंडेशन के सचिव अशोक कुमार, रिर्सोस पर्सन के रूप में मनोहर कुमार आदि उपस्थित थे। संचालन समर्पण के सचिव इन्द्रमणि साहू ने किया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए रामलाल प्रसाद ने कहा कि हम संस्थाओं के पास संसाधनों का घोर अभाव होता है परंतु, विचार, समय एवं कुछ नया करने की जिद एवं समाज के प्रति समर्पण की भावना होने के कारण लगातार संस्थाएं संघर्ष कर रही है। इसी के बदौलत आज बाल अधिकारों को जमीनी स्तर पर लागू कराने में एक हद तक सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकार संधी ऐसा पहला अंतर्राष्ट्रीय समझौता (1989) है, जो सभी बच्चों के नागरिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकारों को मान्यता देता है। इस समझौते को 193 देशों ने हस्ताक्षर करते हुए क्रियान्वयन की प्रतिबद्धता दी है। जिसमें भारत भी एक है। बाबजूद आज भी बाल शोषण चहुंओर होता दिख रहा है। सरकार को इसके प्रति गंभीर होने एव हम स्वैच्छिक संस्थाओं को अपनी भुमिका और तेज करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी भी कई क्षेत्रों में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाने के बजाय मजदूरी के काम में लगे हुए हैं। बच्चियों को जन्म लेने से रोका जाता है। देश व राज्य में कई योजनाएं, कानून एवं नीतियाॅ है इसके बावजूद घर व स्कूल में यौन उत्पीड़न की घटनाएं हो रही है। जबकि, बच्चों के लिए यह सबसे सुरक्षित माने जानेवाले जगह है।
आशा के सचिव अजय जयसवाल ने बच्चों के साथ नियमित हो रही घटनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि बच्चों के हित में कानूनों एवं नीतियों के क्रियान्वयन के लिए जिला व राज्य में जो आवंटन है उसका खर्च तरीके से नहीं हो रहा है। बाल मजदूरी के विरूद्ध चलाये गये अभियान से वसूले गये राशि का भी उपयोग बाल हित में नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि बाल अधिकार को धरातल पर उतारने के लिए बच्चे को समाज का हिस्सा एवं बाल मुद्दों को राजनीति का मुद्दा बनाना होगा।
अशोक कुमार ने बाल मजदूरी कौन करता है, बच्चे क्या चाहते हैं, बच्चों से काम कराने वाले कौन है, इससे देश को क्या नुकसान होता है एवं संवैधानिक अधिकार क्या-क्या है आदि बिन्दुओं पर विस्तार से चर्चा की।
दूसरे सत्र में प्रशिक्षक मनोहर कुमार ने अपने पीपीटी एवं अन्य गतिविधियों के माध्यम से संवैधानिक अधिकारों एवं देश व दूनिया के वस्तुस्थिति को बताते हुए कहा कि कुछ वर्षो में भारत ने कुछ क्षेत्रों में अभूतपूर्व तरक्की की है, लेकिन, इस उजाले तस्वीर पर कई दाग आज भी बरकरार है। हमारा मुल्क अभी भी भ्रूण हत्या, बाल व्यापार, यौन दुवर््यवहार, लिंग अनुपात, बाल विवाह, बाल श्रम, स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण, मलेरिया, खसरा, निमोनिया आदि बीमारियोंसे मरने वाले बच्चों के हिसाब से दुनियां के कुछ सबसे बदतर देशों में शामिल हैं।
कार्यक्रम में मुख्यरूप से राज्य के विभिन्न जिलों के स्वैच्छिक संस्था प्रतिनिधियों एवं चयनित बाल प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें मुख्य रूप से पलामू से गणेश रवि, प्रभा कुमारी, गिरिडीह से सुचीत कुमार, आकांक्षा कुमारी, राजू महतो, मधुपुर से सुचिन्द्र भगत, देवघर से रामू आनंद, कोडरमा से शाम्पी मंडल, सूरज कुमार, चांदनी कुमारी, मुकेश कुमार यादव, पाकुड से विनोद कुमार, राजीव रंजन, रांची से राजन कुमार, हजारीबाग से रंजीत कुमार चैबे आदि ने भाग लिया।धन्यवाद ज्ञांपन गणेश रवि ने किया।
इन्द्रमणि साहू।
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