#खुशखबरी:झारखण्ड के लोग अब बाबा बैद्यनाथ और बाबा बासुकिनाथ के दर्शन कर सकेंगे,सरकार की तरफ से आपदा प्रबंधन विभाग ने दुमका और देवघर डीसी को अनुमति दे दी है।

राँची।भोले के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी है।अब बाबा बैद्यनाथ और बाबा बासुकीनाथ के दर्शन झारखण्ड के लोग कर सकेंगे इसके लिए सरकार की तरफ से आपदा प्रबंधन विभाग ने दुमका और देवघर डीसी को अनुमति दे दी है।अनुमति देने पीछे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया जा रहा है।

सिर्फ झारखण्ड के नागरिकों की ही सुविधा

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मंदिर खोलने के लिए इंतजाम करने को कहा था।जिसके बाद सरकार की तरफ से यह अनुमति दी गयी है. दर्शन कुछ शर्तों के साथ किय़ा जा सकेगा।पहली शर्त यह है कि दर्शन करनेवाला झारखण्ड का ही निवासी हो। देवघर में हर घंटे 50 और बासुकीनाथ धाम में हर घंटे 40 से ज्यादा लोग दर्शन नहीं करेंगे।दर्शन उन्हीं को करने दिया जायेगा जिनके पास ऑनलाइन एंट्री पास होगा साथ ही दोनों जिलों के प्रशासन को विभाग की ओर से कोविड-19 के मद्देनजर सभी गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है।

●झारखण्ड के निवासियों को दर्शन करने की अनुमति दी जाएगी।

●आम जनता को दर्शन करने की अनुमति देने वालों की संख्या 40 प्रति घंटे से अधिक नहीं होगी।

●आम जनता के लिए दर्शन की अवधि प्रति दिन 4 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए।

●मंदिर परिसर में ऑनलाइन प्रवेश पास के आधार पर हो सकती है।

●गृह मंत्रालय और आपदा प्रबंधन विभाग,झारखण्ड सरकार द्वारा जारी किए गए COVID 19 के संबंध में विशेष रूप से जारी किए गए आदेश, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो सामाजिक सुरक्षा मानदंडों / मास्क पहनने और स्वच्छता के साथ संबंधित हैं।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया था कि कोरोना संकट काल में भीड़ न लगे, इसके लिए मंदिर में सीमित संख्या में दर्शन करने की व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी. दरअसल, झारखण्ड हाइकोर्ट ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे को श्रावणी मेला के लिए अनुमति नहीं दी थी. ये मेला बैद्यनाथ मंदिर में हर साल आयोजित किया जाता है. बीजेपी सांसद ने बासुकीनाथ मंदिर को भी दर्शन के लिए खोलने की अपील की थी. बीजेपी सांसद निशीकांत दुबे ने हाइकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था कि ई-दर्शन को दर्शन नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा था कि सीमित संख्या में और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन कराते हुए लोगों को मंदिर में दर्शन करने की इजाजत दी जा सकती है।

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