बसंत पंचमी पर बाबा मंदिर देवघर में भक्तों का लगा तांता, मिथिलांचल के भक्तों ने जमकर खेली होली
देवघर। बसंत पंचमी पर बाबा मंदिर में भक्त उमड़ पड़े. इस अवसर पर बड़ी संख्या में मिथिलांचल के भक्त मौजूद थे. मिथिलांचल के भक्तों ने बाबा को तिलक चढ़ाया. इसके साथ ही ये अबीर की होली खेल रहे हैं. आज पूरा बाबा मंदिर भक्तों से पटा रहा. हर हर महादेव, हर हो भोला, जय शिव से मंदिर गूंजता रहा. भक्तों ने बाबा पर जल, अबीर, आम्र मंजरी, धान के शीश चढ़ा कर मंगल कामना की.
माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी को मंदिर के प्रधान पुजारी सह सरदार पंडा श्री श्री गुलाब नंद ओझा ने बाबा की षोडशोपचार विधि से पूजा की. मंगलवार को बाबा मंदिर का पट प्रातः 3:30 बजे खुलते ही सरदार पंडा श्री श्री ओझा मंदिर गर्भ गृह प्रवेश किए. शाम की श्रृंगार पूजा की सामग्रियों को हटा कर मलमल के कपड़े से द्वादश ज्योतिर्लिंग को साफ कर सर्वप्रथम वैदिक मंत्रोचार के बीच बाबा पर कांचा जल अर्पित किया. इसके बाद तीर्थ पुरोहितों ने बारी बारी से बाबा पर कांचा जल चढ़ाया. आधे घंटे बाद सरदार पंडा ने बाबा की सरकारी पूजा शुरू की. बाबा को गंगाजल, दूध, दही, घी, मधु, नैवेद्य, फुल, विल्व पत्र, चंदन आदि अर्पित किया।इसके साथ ही सभी भक्तों के लिए बाबा मंदिर का पट खोल दिया गया. हर हो भोला, हर हर महादेव की जयकारा करते हुए भक्त मंदिर की ओर बढ़ने लगे. मंदिर प्रशासन ने सभी भक्तों को मानसरोवर तट स्थित फुट ओवर ब्रिज प्रवेश द्वार से बाबा मंदिर गर्भ गृह प्रवेश बाबा बैद्यनाथ की पूजा कर मंगकामना की.
शाम सात बजे सरदार पंडा श्री श्री गुलाब नंद ओझा, मंदिर ईस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित, मंदिर पुजारी अजय झा एवं मंदिर उपचारक भक्ति नाथ फलाहारी के द्वारा बाबा का तिलक चढ़ाया जायेगा. इस दौरान लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में बाबा के तिलक के निमित्त विशेष पूजा होगी. उन्हें पंचोपचार विधि से पूजा कर बाबा को आम्र मंजरी, अबीर, पंचमेवा, फल, नवैद्य, विशेष भोग मालपुआ अर्पित करेंगे. इसके बाद बाबा मंदिर परिसर स्थित सभी 22 मंदिरों में धूप-दीप दिखा कर मालपुआ का भोग लगायेंगे. इसके बाद सबसे अंत में बाबा का श्रृंगार होगा. इसके साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा तक प्रतिदिन बाबा की सुबह की पूजा में अबीर-गुलाल व माल पुआ भोग लगेगा. इसके 21 दिन बाद फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को शिवरात्रि के दिन बाबा की शादी होगी. इस दिन बाबा की चतुष्प्रहर पूजा की जायेगी।
सभी भक्तों के लिए कतार की व्यवस्था की गई थी।सुबह में भक्तों की कतार जलसार पार्क तक चली गई थी. सुबह 8:00 बजे कतार खत्म हो गई. इसके बाद सभी को बसंती मंडप स्थित मानसरोवर तट से प्रवेश कराया जाने लगा।बाबा नगरी में चारों ओर तिलकहरुए आश्रय लेते दिखे. कई भक्त सड़क किनारे खुले आसमान के नीचे भी रहे, जबकि अधिकतर भक्त आरएल सर्राफ स्कूल परिसर, केके एन स्टेडियम, टाउन हॉल, पं बीएन झा पथ, शिवगंगा के आसपास, मानसरोवर के आसपास, हरिहर बाड़ी, बिलासी, भूरभूरा, देवघर कॉलेज, बीएड कॉलेज परिसर, जलसार रोड के किनारे गाड़ी लगा कर आश्रय लेते दिखे.
बाबा को तिलक चढ़ाने के लिए माता पार्वती के मायके के लोग आए हैं. इसमें मिथिलांचल के तिरहुत, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया, मधुबनी, सहरसा, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, मधेपुरा, मुंगेर, कोसी, नेपाल के तराई का क्षेत्र मुख्य रूप से शामिल रहा.
बसंत पंचमी में भक्तों को सुलभ जलार्पण करने के लिए मंदिर प्रशासन का पुख्ता इंतजाम था. इसके लिए मंदिर गर्भगृह से लेकर रूट लाइन तक दो पालियों में 12 जगहों में दंडाधिकारी, 54 जगहों में पुलिस पदाधिकारी नियुक्त किए. मंदिर परिसर से लेकर रूट लाइन तक बड़ी संख्या में दंडाधिकारी पुलिस पदाधिकारी एवं सुरक्षा कर्मियों की नियुक्त थे. बाबा मंदिर गर्भगृह, बाबा मंदिर निकास द्वार, पार्वती मंदिर, संस्कार मंडप ऊपरी एवं निचली तल्ला व फुटओवर ब्रिज, ओवरब्रिज के अंतिम बिंदु पर, क्यू काम्पलेक्स स्टेटिक, फुटओवर ब्रिज से क्यू कंम्पलेक्स होते नेहरू पार्क होते मानसिंघी हनुमान मंदिर तक, मानसिंघी हनुमान मंदिर से चिल्ड्रंस पार्क तक, बी. एन. झा पथ चौक, चिल्ड्रन पार्क मोड़ से तिवारी चौक, बी.एड कॉलेज गेट एवं टेल, उमा मंडप में दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी की नियुक्ति की गई है।
बसंत पंचमी पर वैश्विक महामारी कोरोना का साफ असर दिखा. इस बार चतुर्थी तिथि एवं पंचमी तिथि मात्र दो दिन भक्तों की भीड़ दिखी. शिवभक्तों की स्वागत में जिला प्रशासन, मंदिर प्रशासन व देवघर नगर निगम एक्टिव दिखी . भक्तों के सुविधा देने के लिए मंदिर व रूट लाइन में पानी, बिजली, सफाई के साथ-साथ सुलभ जलार्पण के लिए पं शिवराम झा चौक के पास बेरिकेटिंग की गई थी. सभी भक्तों को रोक-रोक कर मंदिर प्रवेश कराया जा रहा था.
बसंत पंचमी के दिन विधि व्यवस्था को लेकर डीसी मंजूनाथ भजंत्री एवं एसडीओ दिनेश कुमार यादव खुद एक्टिव रहे. मंदिर परिसर में घूम-घूम कर विधि व्यवस्था का जायजा लेते रहे. बीच-बीच में कंट्रोल रूम आ कर सीसीटीवी फुटेज भी देख रहे थे. बसंत पंचमी को शीघ्र दर्शन सेवा की व्यवस्था थी। इसमें प्रशासनिक भवन होते हुए फुट ओवर ब्रिज से मंदिर गर्भ गृह प्रवेश कराया जा रहा था. बसंत पंचमी को लेकर बाबा मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रही. सीताराम सीताराम के मूल मंत्र से मंदिर प्रांगण 48 घंटे तक पवित्र होता रहा. इसमें महिला – पुरुष सभी भक्त भेदभाव भुलाकर समान रूप से शामिल हुए.
बसंत पंचमी का मेला विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला से भी प्राचीन है. इसमें माता पार्वती के मायके के भक्त तिलक चढ़ाने बाबा धाम आते हैं. सभी भक्त बाबा को तिलक चढ़ाने के बाद पूरे फाल्गुन मास तक होली खेलेंगे. समय के साथ तिलक उत्सव मेला के स्वरूप में बदलाव हो रहा है. पहले महिलाएं शामिल नहीं होती थीं. अब परंपरा में महिलाएं भी शामिल हो गई हैं. महिलाएं भी विधि-विधानपूर्वक जल लेकर आ रही हैं.
सभी भक्त माघ मास अमावस्या को जल उठाने के लिए अपने अपने घरों से निकल जाते हैं. पंचमी से पहले बाबा धाम पहुंच जाते हैं. इसमें अधिकतर भक्त पैदल ही घरों से निकलते हैं. गंगा जल लेकर पैदल ही बाबा धाम आते हैं. जबकि कुछ भक्त गाड़ी से बाबा धाम आते हैं. मिथिलांचल के भक्त बाबा पर चढ़ाने के लिए दो डब्बा गंगा जल, धान का शीष, शुद्ध घी, भांग आदि लाते हैं.
सभी भक्त कांवर में दो डब्बा जल लाए. दोनों जलों को अलग-अलग नामों से पुकारते हैं. पहला जल सलामी जल के नाम से जाना जाता है. यह आते ही बाबा को अर्पित किए. दूसरा जल खजांची जल के नाम से पुकारते हैं. यह पंचमी के दिन बाबा पर अर्पित करते हैं. इस जल को पंचमी को बाबा पर अर्पित किए. बसंत पंचमी में तिलकहरुए मात्र दो बार भोजन किए. इसमें बाबा के जलार्पण बाद दिन में दही-चूड़ा व रात्रि में दाल-भात सिद्ध भोजन किए.
सभी भक्त बाबा की पूजा करने के बाद भैरव की पूजा की. उन्हें लड्डू भोग लगाया. इसके बाद होली खेला शुरू कर दी. सभी ने आपस में एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर बाबा के तिलकोत्सव का जश्न मनाया. मिथिलांचल के भक्तों के द्वारा बाबा पर शुद्ध घी अर्पित करने की परंपरा है. सभी भक्त अपने अपने घरों में बाबा को चढ़ाने के लिए शुद्ध घी जमा करते हैं. इसे पंचमी के दिन बाबा पर अर्पित करते हैं.
मिथिलांचल के भक्तों के द्वारा बाबा को शुद्ध घी चढ़ाई जाती है. बाबा मंदिर ईस्टेट की ओर से इस शुद्ध घी से बाबा की सालोंभर चिराग जलती है. ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी मेला में सबसे पहले जरेल गांव के भक्त बाबाधाम आये थे. उस समय कुछ जरूरी नियम बनाए गए थे। वह परिपाटी को आज तक मिथिलांचल के लोग निभा रहे हैं. सभी भक्त अपने अपने ग्रुप को कैंप के नाम से पुकारते हैं. हर कैंप में एक जमादार, एक खजांची व एक सिपाही होते हैं. आज भी हर कैंप में जरेल गांव के ही कोई सदस्य जिला जमादार होते हैं. उनके नेतृत्व में परंपरा का निर्वाह होता है. सभी कैंप के जमादार शाम में जिला जमादार से मिलते हैं. एक-दूसरे की समस्याओं से अवगत होते हैं. जिला जमादार निदान बताते हैं.