Ranchi:नगर निगम में मेयर की बैठक नहीं पहुँचे नगर आयुक्त,निगम सभाकक्ष में नगर आयुक्त का इंतजार करने के बाद मेयर ने बैठक स्थगित करने की घोषणा की,शुक्रवार को फिर 11 बजे बैठक होगी।
राँची।राजधानी राँची शहर के दो लाख घरों से होल्डिंग टैक्स कलेक्शन के लिए नगर विकास विभाग द्वारा चयनित एजेंसी श्री पब्लिकेशन के साथ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।जहां गुरुवार को राँची मेयर आशा लकड़ा ने इस विवाद को समाप्त करने के लिए बैठक बुलाई थी। नगर आयुक्त मुकेश कुमार को इसमें उपस्थित होकर मेयर द्वारा पूछे गए 4 सवालों पर स्थिति स्पष्ट करनी थी। साथ ही कंपनी द्वारा दिए गए कागजात को भी प्रस्तुत करना था। लेकिन मेयर के पहुंचने के बावजूद नगर आयुक्त बैठक में नहीं पहुंचे।करीब 1 घंटे तक निगम सभाकक्ष में नगर आयुक्त का इंतजार करने के बाद मेयर ने बैठक स्थगित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त को पूर्व में ही बैठक बुलाने की सूचना दे दी गई थी। लेकिन, उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया या सरकार के दबाब में नहीं आया।बैठक के दौरान उन्हें लगातार मोबाइल पर फोन किया गया, लेकिन मोबाइल स्विच ऑफ बताता रहा। इससे साबित होता है कि वह इस बैठक से बचना चाह रहे हैं।
बताया गया कि शुक्रवार को फिर से होगी बैठक
राँची मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि किसी भी संस्था को चलाने के लिए नियम और कानून होते हैं। नगर निगम का संचालन झारखण्ड नगर पालिका अधिनियम के तहत होता है। इसमें जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि को सर्वोपरि माना गया है। इसके बावजूद निगम के पदाधिकारियों ने स्वयं निर्णय लेकर विभाग द्वारा चयनित एजेंसी के साथ एग्रीमेंट कर लिया। इसकी सूचना न तो मुझे दी गई और न जनप्रतिनिधियों को दिया। इसलिए यह बैठक बुलाई गई थी ताकि हर बिंदु पर स्थिति स्पष्ट हो सके। लेकिन नगर आयुक्त इससे बचने का प्रयास कर रहे हैं, यह नहीं चलेगा। वह नियम कानून से अधिक दिन नहीं भाग सकते। मेयर ने कहा कि 16 अक्टूबर को सुबह 11:00 बजे इस मुद्दे पर फिर बैठक बुलाई गई है। इसमें नगर आयुक्त को भी उपस्थित रहने के लिए कहा गया है।
बता दें नगर निगम ने करीब 12 दिन पहले श्री पब्लिकेशन कंपनी के साथ टैक्स कलेक्शन के लिए एग्रीमेंट किया है। लेकिन कंपनी ने अभी तक काम शुरू नहीं किया है। कंपनी कब से काम शुरू करेगी इसका जवाब भी निगम के किसी अफसर के पास नहीं है। क्योंकि विवाद बढ़ने के बाद अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। निगम के कार्यालय अधीक्षक से लेकर नीचे के पदाधिकारी भी इस मामले पर जवाब देने से बच रहे हैं।