Jharkhand Politics:देर रात राँची के विधायक सीपी सिंह की सुरक्षा छीन ली,सीपी सिंह पांच बार के विधायक व पूर्व मंत्री रहने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

राँची।राज्य में पीछे एक साल जब से नई सरकार बनी है गजब बदले की राजनीति देखी जा रही है।कभी अधिकारी,कभी विधायक इसके राजनीति शिकार हो रहें हैं अब नई राजनीति विवाद शुरू हो गया है जहां राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री और राँची के लोकप्रिय विधायक श्री सीपी सिंह की सुरक्षा छीन ली है। सरकार के आदेश पर राँची पुलिस ने सीपी सिंह के आवास पर तैनात हाउस गार्डों की टीम को बुधवार देर रात वापस बुला लिया। इस टीम में चार जवान व एक हवलदार थे। हाउस गार्ड वापस बुलाए जाने के बाद सीपी सिंह ने डीजीपी एमवी राव को एक मैसेज किया, जिसमें लिखा था – थैंक्स फॉर रिवेंज। इस मामले में राँची पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते रहे। सीपी सिंह के यहां पिछले 17 साल से हाउस गार्ड तैनात थे। उस वक्त डोमिसाइल आंदोलन को देखते हुए उन्हें सुरक्षा मुहैया कराई गई थी, जिसे लगातार जारी रखा गया। बुधवार देर रात अचानक उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई।

पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि बुधवार की रात करीब साढ़े नौ बजे उनके आवास के पास एक वज्र वाहन आकर रुका। तब हाउस गार्ड के जवान खाना बना रहे थे। वज्रवाहन में तैनात जवानों ने खाना बना रहे हाउस गार्ड के जवानों को खाना भी नहीं खाने दिया और वज्र वाहन में बैठाकर अपने साथ लेकर चले गए। इस घटना के बाद सीपी सिंह आक्रोशित थे। उन्होंने कहा कि डीजीपी के आयरन हैंड की शुरुआत उन्हीं से हुई है। यह सरकार बदले की भावना से काम कर रही है। इस घटना से राज्य में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव और बढऩे की संभावना दिख रही है।इसी बीच उन्होंने कहा वह अपना अंगरक्षक हटाने पर भी विचार कर रहे हैं।एक दो दिन में वह अपना अंगरक्षक सरकार को वापस कर देंगे।

बता दें कि मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने महिलाओं से बढ़ते दुष्कर्म के मामले, विधि-व्यवस्था व अन्य मामलों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। प्रखंड स्तर पर धरना प्रदर्शन के साथ-साथ भाजपा के पूर्व मंत्री विभागवार प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार की नाकामियां बिंदुवार गिना रहे हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष की तल्खी चरम पर है। ऐसे में वरिष्ठ विधायक सीपी सिंह की सुरक्षा वापस लिए जाने से सरकार से तल्खी और बढ़ेगी। सीपी सिंह लगातार पांच बार के विधायक व पूर्व मंत्री रहने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। सरकार की नाकामियां गिनाने की शुरुआत भी इन्होंने ही की थी।आगे आगे देखिए झारखण्ड राजनीति कहाँ तक जाती है ।