Jharkhand:पद्मश्री दिगंबर हांसदा का निधन,मुख्यमंत्री समेत इंकलाबी नौजवान लेखक संघ ने शिक्षाविद पद्मश्री प्रो दिगम्बर हांसदा के निधन पर दुःख व्यक्त किया है।
राँची।इंकलाबी नौजवान लेखक संघ ने पद्मश्री दिगंबर हांसदा के निधन गहरा दुःख व्यक्त किया है।संघ अध्यक्ष सुनील मिंज और महासचिव डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो ने संयुक्त रुप से कहा कि यह झारखंड के आदिवासी व मूलवासियों के लिये बहुत बड़ी क्षति है।संताली भाषा व साहित्य को एक नयी पहचान दिलाने में इनका अविस्मरणीय योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने कहा कि पद्मश्री हांसदा ट्राईबल्स और उनकी भाषा-साहित्य के उत्थान के क्षेत्र में पद्मश्री प्रो हांसदा का महत्वपूर्ण योगदान को कभी भूलाया नहीं जा सकता है।
दिगंबर हांसदा ने आदिवासियों के सामाजिक व आर्थिक उत्थान के लिए झारखण्ड ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल व ओडिशा में भी काम किया।उन्होंने कहा कि वे ज्वलंत समस्या पत्थलगढ़ी को गलत परम्परा मानने वाले विद्वान पद्मश्री प्रो. हांसदा सादगी पूर्ण जीवन जीने वाले वृहत व्यक्तिव के स्वामी थे।
ट्राइबल्स में शिक्षा के प्रसारक, शिक्षाविद, साहित्यकार, ट्राइबल एक्टीविस्ट, समाजसेवी व उससे बढ़कर नेक इंसान के रूप में पद्मश्री प्रो. हांसदा से झारखण्ड की अलग पहचान है. साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनका असाधारण योगदान रहा. कई बेहतरीन साहित्य की रचना कर समाज को नयी दिशा प्रदान किया. आदिवासियों और उनकी भाषा साहित्य के उत्तरोत्तर विकास के क्षेत्र में पद्मश्री हांसदा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. संघ के प्रवक्ता डॉ लालदीप गोप और पुष्कर महतो ने कहा कि पद्मश्री हांसदा एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था थे. केन्द्र सरकार के आदिवासी अनुसंधान संस्थान के सदस्य रहें और उन्होंने सिलेबस की किताबों का देवनागरी से संताली भाषा में अनुवाद करने का काम किया. इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन उन्होंने इंटरमीडिएट, स्नातक और स्नातकोत्तर के लिए संताली भाषा का कोर्स संग्रहित किया. उनके इस कार्य के लिये झारखंडी समाज हमेशा ऋणी रहेगा।
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने शिक्षाविद पद्मश्री प्रो दिगम्बर हांसदा के निधन पर दुःख व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संताली भाषा को विश्व पटल पर ले जाने में हांसदा जी का अभूतपूर्व योगदान रहा है। उनका निधन शिक्षा और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। परमात्मा उनकी आत्मा को शांति प्रदान कर परिवार को दुःख की इस घड़ी को सहन करने की शक्ति दें।
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