#JHARKHAND:लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में झारखण्ड के लाल भी शहीद हो गए हैं,साहिबगंज जिला के रहने वाले जवान कुंदनकांत ओझा शहीद हुए है..
राँची।लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में झारखण्ड के साहिबगंज जिले के डिहरी गांव के रहने वाले कुंदनकांत ओझा भी शहीद हो गए हैं ।जैसे इसके जानकारी घर वालों को मिली गांव में कोहराम मच गया। इस झड़प में कुंदन के अलावा भारतीय सेना के एक अधिकारी और एक अन्य युवा शहीद हो गए हैं। चीन की सीमा पर लगभग 45 साल बाद, भारतीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की इस तरह शहादत की पहली घटना है।
चीन सीमा पर साहिबगंज के जवान के शहीद होने पर सीएम हेमंत सोरेन ने दुख जताया है। उन्होंने जवान की शहादत पर संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि ईश्वर इस दुख की घड़ी में उनके परिवार को शक्ति प्रदान करे।वहीं बाबुलाल मरांडी समेत कई नेताओं ने दुःख जताया है।
मिली जानकारी में अनुसार शहीद जवान कुंदन कुमार ओझा (26) साहिबगंज जिले के मिर्जाचौकी थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले हैं. शहीद जवान के पिता रविशंकर ओझा का पुत्र है। शहीद ओझा के दो भाई और एक बहन है. शहीद ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी।एक महीने पहले ही उन्हें पुत्री की प्राप्ति हुई थी. ग्रामीणों से मिली जानकारी के 7 साल पहले उसकी बहाली आर्मी में हुई थी।फिलवक्त कुंदन लद्दाख के लेह में पदस्थापित थे कुंदन के शहादत की खबर उसके पिता को फोन से दी गयी है. खबर सुनकर पूरा परिवार सदमे में है. परिजनों का रो-रोकर हाल बुरा है. वहीं उनके घर पर लोग ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंगला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, गलवान घाटी में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान सोमवार रात हिंसक टकराव हो गया। इस दौरान भारतीय सेना का एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए। बताया जा रहा है कि हिंसक टकराव के दौरान शहीद हुआ अधिकारी गलवान में एक बटालियन का कमांडिंग अफसर था। बताया जा रहा है तीनों सैनिक चीन की ओर से किए गए पथराव में घायल हुए जिसके बाद उनका निधन हो गया।
भारत ने इसका कड़ा विरोध करते हुए चीनी सैनिकों को इलाके में शांति बहाल करने के लिये तुरंत पीछे हटने के लिये कहा। दोनों देशों के बीच इस विवाद को सुलझाने के लिये बीते कुछ दिनों में कई बार बातचीत हो चुकी है। इस विवाद को खत्म करने के लिये पहली बार गंभीरता से प्रयास करते हुए लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और तिब्बत सैन्य जिले के मेजर जनरल लीयू लिन ने छह जून को करीब सात घंटे तक बैठक की थी। बैठक के बाद मेजर जनरल स्तर की दो दौर की वार्ता हुई।भारतीय पक्ष उन क्षेत्रों में से हजारों चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दे रहा है, जिन्हें भारत अपना क्षेत्र मानता है।