Jharkhand:बहु-बेटियां कितना सुरक्षित है देंखे ये रिपोर्ट:राज्य में जनवरी से जुलाई तक 1033 महिलाएं हुईं दुष्कर्म की शिकार…
झारखण्ड में जनवरी से जुलाई तक 1033 महिलाएं हुईं दुष्कर्म की शिकार
बेटियां कितना सुरक्षित है देंखे एक रिपोर्ट:
नई दिल्ली। आज जहां उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुई रेप की घटना ने एक बार फिर देश को झकझोर दिया है।बता दें दो हफ्ते पहले 19 साल की एक युवती की रेप के बाद जिस तरह अपराधियों ने कुरुरता दिखाई,रेप के बाद युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई। उसकी जीभ काट दी गयी। वह जिंदा रहने के लिए लड़ती रही। इलाज के लिए उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। लेकिन मंगलवार को वह जिंदगी की जंग जंग हार गई। इस घटना से सोचने पर मजबूर कर दिया है।आखिर बेटी बहन कैसे सुरक्षित रहेगी ?दूसरी ओर राजनीति हो रही है।
आइये देखिये एक रिपोर्ट झारखण्ड में कितना सुरक्षित है महिलाएं :
झारखण्ड में एक साल में 1033 दुष्कर्म के मामले
राँची।झारखण्ड में भी रेप की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। चाहे वह कोविड-19 से पहले की स्थिति हो या फिर कोविड-19 के दौरान की बात हो।ये झारखण्ड पुलिस की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से लेकर जुलाई तक कुल 1033 लड़कियों-महिलाओं के साथ रेप की घटना हुई है। इनमें सबसे अधिक जून महीने में राज्य में रेप के 176 मामले दर्ज किए गए हैं। यानी इस दौरान हर दिन पांच लड़कियों-महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना घटी है।
हर दिन पांच दुष्कर्म की घटनाएं
पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में 151, फरवरी में 142, मार्च में 150, अप्रैल में 104 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं मई में 169, जून में 176 और जुलाई में 141 मामले राज्यभर में दर्ज की गई है। पुलिस की ओर से फिलहाल अगस्त और सितंबर माह के आंकड़े नहीं दिए गए हैं। इस लिहाज से देखें तो हर दिन पांच महिलाओं संग रेप की घटनाएं हुए हैं। ये वो घटनाएं हैं जो राज्यभर के विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज किए गए हैं।वहीं लोकलाज के भय से बड़ी संख्या में मामले दर्ज ही नहीं किए जाते रहे हैं।
27 प्रतिशत मामलों में ही आरोपियों को सजा
वहीं एनसीआरबी के आंकड़ों के हवाले से इंडिया टुडे में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में साल 2018 में हरेक 15 मिनट में रेप की घटनाएं होती हैं। उस साल पूरे देशभर में कुल 34,000 रेप के मामले दर्ज हुए थे। इसी रिपोर्ट के मुताबिक कुल 84 प्रतिशत मामलों में चार्जशीट में से सिर्फ 27 प्रतिशत मामलों में आरोपी को सजा हो पाई।
सजा की दर इतनी कम क्यों ?
आखिर सजा की दर इतनी कम क्यों हैं। इसे आसानी से समझा जा सकता है। बीते महीने के 12 अगस्त को पुलिस गेस्ट हाउस में एक नाबालिग लड़की के साथ दो लोगों ने रेप किया। इस घटना में एक पुलिसकर्मी पर भी आरोप लगा। पीड़िता भी एक पुलिसकर्मी की ही बेटी थी। पहले तो घटना को दबाने की कोशिश की गई। दर्ज एफआईआर में घटनास्थल का जिक्र ही नहीं किया गया। फिर बाल अधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद मामला मीडिया में सामने आ पाया। उसके बाद आनन फानन एक पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी हुई।
पुलिस की घोर लापरवाही
लापरवाही का आलम देखिये जिस कमरे में छात्रा के साथ रेप हुआ, उसकी बेडशीट को एफएसएल जांच के लिए नहीं भेजा गया। घटना के दिन छात्रा ने जो कपड़े पहने थे, उसे भी एफएसएल जांच के लिए जब्त नहीं किया गया। गिरफ्तारी के बाद भी घटना के मुख्य आरोपी की मेडिकल जांच नहीं करवायी गयी। जाहिर सी बात है इतना सबकुछ होने के बाद पुलिस के पास इस घटना को वैज्ञानिक रूप से साबित करने के लिए कोई सबूत ही नहीं रहेगा।
दहेज के कारण मार दी गई 161 महिलाएं
महिलाओं के प्रति हिंसा में दहेज के कारण हत्या के भी मामले बड़ी संख्या में दर्ज कराए गए हैं। पूरे झारखंड में 161 महिलाओं की हत्या हो गई है। सबसे अधिक हत्या जून माह में हुई है। आंकड़ों के अनुसार जनवरी में 22, फरवरी में 20, मार्च में 18, अप्रैल में 20 महिलाओं की हत्या हुई है। वहीं मई में 20, जून में 34 और जुलाई में 27 महिलाओं को दहेज के कारण मार दिया गया।
11 महिलाओं को डायन करार देकर मारा गया
ध्यान देनेवाली बात है जून माह में रेप की घटनाएं भी सबसे अधिक हुई हैं और दहेज के कारण हत्याएं भी इसी माह में सबसे अधिक हुई हैं। इस दौरान डायन बिसाही में भी महिलाओं को जान गंवानी पड़ी है। जनवरी से जुलाई तक में कुल 11 महिलाओं को डायन घोषित कर मार दिया गया है।
जिलेवार आंकड़ों पर एक नजर
एक खबर के मुताबिक बीते छह सालों में कुल 9088 रेप की घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसमें साल 2020 के आंकड़े शामिल नहीं हैं। जिलावार आंकड़ें देंखे, तो रांची में 1051, सिमडेगा में 254, पाकुड़ में 379, कोडरमा में 142 मामले दर्ज किए गए थे। वहीं हजारीबाग में 431, गिरिडीह में 443, दुमका में 435, चतरा में 448 , चाईबासा में 363, साहिबगंज में 613 मामले दर्ज हुए थे। इसके अलावा पलामू में 376, लातेहार में 240, जामताड़ा में 148, जमशेदपुर में 483, देवघर में 447, सरायकेला खरसावां में 210, रामगढ़ में 210, लोहरदगा में 323, खूंटी में 100, गुमला में 505, गढ़वा में 505, धनबाद में 496 और बोकारो में 486 रेप के मामले दर्ज कराए गए थे।
रिपोर्ट सौजन्य:the followup team;