इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी राँची में अनियमितता मामला: राज्यपाल के निर्देश पर वर्तमान चेयरमैन,चार डाक्टरों सहित छह के विरुद्ध धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज…

–दर्ज प्राथमिकी में कहा गया वर्तमान चेयरमैन ने दोषी व्यक्तियों को बचाने का किया गया प्रयास इसलिए नहीं दर्ज कराई प्राथमिकी, इसमें उनकी भी संलिप्तता होती है प्रतीत

राँची।इंडियन रेड क्रास सोसाइटी राँची में हुए 74 लाख रुपए के अनियमितता मामले में राज्यपाल के निर्देश पर लालपुर थाना में 8 सितंबर को वर्तमान चेयरमैन, चार डाक्टरों सहित छह के विरुद्ध धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज की गई है। अनियमितता को लेकर जिन पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है उनमें वर्तमान चेयरमैन डॉ शंभू प्रसाद सिंह, इंडियन रेड क्रास सोसाइटी राँची के तत्कालीन सेक्रेटरी डॉ सुशील कुमार, तत्कालीन सेक्रेटरी उषा नामसरिया, तत्कालीन एक्जीक्यूटिव कमेटी मेंबर डॉ अशोक कुमार प्रसाद, एक्जीक्यूटिव मेंबर डॉ जय प्रकाश गुप्ता और ट्रैज़रर मलकीत सिंह शामिल है। प्राथमिकी इंडियन रेड क्रास सोसाइटी झारखण्ड राज्य के अध्यक्ष व राज्यपाल के निर्देश पर जिला शाखा के पदेन अध्यक्ष सह उपायुक्त इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी राँची की ओर से कार्यपालक दंडाधिकारी राँची ब्रजलता ने दर्ज कराई है। इनके विरुद्ध धोखाधड़ी (भादवि की धारा 420), लोक सेवक होकर विश्वास का आपराधिक हनन (भादविरी की धारा 409) व कई लोगो द्वारा आपराधिक कृत्य (भादवि की धारा 34) में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि पूर्व में दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने के लिए वर्तमान चेयरमैन डॉ शंभू प्रसाद सिंह को आदेश दिया गया था। लेकिन उनके द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान चेयरमैन ने दोषी व्यक्तियों को बचाने का प्रयास किया। इस घोटाले में उनकी भी संलिप्तता प्रतीत होती है।

74 लाख रुपए की अनियमितता की बात आई थी सामने, राज्यपाल ने कराया था जांच

वर्ष 2022 में राज्यपाल को रेड क्रॉस सोसाइटी की कार्यकारिणी समिति के सदस्यों द्वारा अनियमितता किए जाने की शिकायत मिली थी। इसके बाद राज्यपाल ने इस पूरे मामले की जांच कराई थी। जांच कमेटी ने इस मामले में पाया था कि सोसाइटी के पूर्व सदस्यों ने 74 लाख रुपए से अधिक की वित्तीय अनियमितता की। साथ ही सरकारी राशि से लगभग सात लाख रुपए निजी कार्य में खर्च किया। इसके साथ ही गलत ढंग से ब्लड बैंक संचालन किया और जरूरतमंद को ब्लड शुल्क के एवज में अधिक राशि वसूली की। जांच में यह बात भी सामने आई कि वर्ष 2017 से पहले की कमेटी और वर्ष 2018-2019 में बनी कमेटी के कई सदस्यों ने राज्य सरकार द्वारा दी गई राशि सहित गलत वॉउचर, एडवांस, कार्यालय में प्राप्त एक लाख 17 हजार से अधिक रुपए नकद खर्च कर दिए। इस वित्तीय अनियमितता की शिकायत ऑडिट रिपोर्ट में भी आई थी। जिसके बाद पिछले साल ही इस मामले में आरोपियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं करा इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। इस मामले में जांच के लिए अनुसंधान पदाधिकारी लालपुर थाना के दारोगा ननिंद्र कुमार शर्मा को बनाया गया है।