आईएएस पूजा सिंघल मामला:तीन डीएमओ उगलेंगे लेनदेन का राज,काला धन पहुंचाने वाले अधिकारियों से ईडी पूछताछ कर रही है

राँची।झारखण्ड में ईडी की गिरफ्त में आई निलंबित आईएएस पूजा सिंघल को कथित तौर पर खनन का ‘काला धन’ पहुंचाने वाले अधिकारियों से एजेंसी पूछताछ कर रही है।राज्य के तीन जिलों दुमका, साहेबगंज और पलामू जिलों के जिला खनन पदाधिकारियों को समन भेजकर ईडी ने राँची बुलाया है। पिछले एक हफ्ते से ईडी की पूजा सिंघल के पति और उनके करीबी सीए से लगातार पूछताछ में मिली जानकारी के बाद उन तीन जिलों के खनन पदाधिकारियों को बुलाया गया है।सिस्टम में पैसों के लेनदेन और अवैध वसूली को लेकर निलंबित आईएएस और सीए सुमन से पूछताछ के बाद ईडी पैसों की अवैध वसूली को लेकर इन तीन अधिकारियों से एजेंसी पूछताछ करेगी। उस पूछताछ के दौरान कई सफेदपोशों तक पैसों के लेनदेन का राज खुलेगा।

जिनसे पूछताछ की जा रही है उसमें दुमका के डीएमओ कृष्ण कुमार किस्कु, साहेबगंज के विभूति कुमार और पलामू के आनंद कुमार शामिल हैं। दुमका के किस्कु इससे पहले साहेबगंज में पोस्टेड थे और उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई भी हुई थी। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो उन्होंने कथित अवैध वसूली के लिए गुर्गो की एक टीम भी पाल रखी है। उसी तरह के आरोप साहेबगंज के मौजूद जिला खनन पदाधिकारी के ऊपर भी लगते हैं। दरअसल साहेबगंज के बरहेट से सीएम हेमन्त सोरेन विधायक हैं और उस इलाके में उनके विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा का काफी दबदबा है। इसका अंदाजा इकाई से लगाया जा सकता है कि वहां के डीएमओ पिछले चार साल से उसी पद और बने हुए हैं। वहीं पलामू जिले से भी ऐसी शिकायतें आम हैं।

अवैध उत्खनन पर नजर डाले तो जिले में 100 से अधिक अवैध पत्थर खदान हैं और लगभग एक दर्जन से ज्यादा कोयला खदान हैं जहां अवैध खुदाई होती है। दुमका के शिकारीपाड़ा और गोपीकांदर के इलाकों में अवैध खनन आम है
वहीं साहेबगंज की बात करें तो झारखण्ड के इस जिले के बिहार और पश्चिम बंगाल से सटने वाले इलाकों तक अवैध खनन होता है। वहीं पलामू के छत्तरपुर, हरिहरगंज, पिपरा और नौवाडीह अवैध खनन के लिए जाने जाते हैं। इन तीनों जिलों से अवैध उत्खनन के बदले बड़ी राशि वसूली जाती है और उसका एक बड़ा हिस्सा बड़े अधिकारियों तक बाकायदा ‘सिस्टम’ से पहुंचता है।

खबरों के अनुसार राज्य के 24 जिलों में साहेबगंज एक ऐसा इलाका है जहां पत्थर खनन को लेकर सबसे अधिक वसूली होती है। वहां की पोस्टिंग के लिए एक तरफ ‘बड़ी बोली’ लगती है। साथ ही बार महीने बड़ा चढ़ावा राँची के दरबार में देना पड़ता है। वहां के खनन पदाधिकारी के कार्यालय और घर पर बड़े बड़े पत्थर व्यवसायियों की लाइन लगी रहती है

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