ई-पास मामला: सरकार को मिला हाईकोर्ट का साथ, बताया सरकार का नीतिगत फैसला
राँची। झारखण्ड हाईकोर्ट ने ई-पास की पेचीदगियों को खत्म करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका ख़ारिज कर दी है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि ई-पास जरूरी है। झारखण्ड हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से आदेश पारित करते हुए कहा कि सब्ज़ी और दूध लाने के लिए मोटरसाइकिल से जाने की जरूरत नहीं है। लोग पैदल चलकर भी यह काम कर सकते हैं। राज्य सरकार का यह कदम कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए उठाया गया है। और सरकार का यह नीतिगत निर्णय है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद इस याचिका को ख़ारिज कर दी है।
बता दें की राँची के धुर्वा निवासी राजन कुमार सिंह ने झारखण्ड हाईकोर्ट के अधिवक्ता अनूप अग्रवाल के माध्यम से ई-पास की पेचीदगियों को खत्म करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. इस जनहित याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए अदालत से विशेष आग्रह किया गया है।अधिवक्ता अनूप अग्रवाल के मुताबिक जनहित याचिका के माध्यम से अदालत से गुजारिश की गयी है कि हाईकोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे और लोकल मूवमेंट के लिए ई-पास की बाध्यता खत्म के लिए निर्देश जारी करे प्रार्थी ने अपनी याचिका में कहा है कि इ-पास लेना एक जटिल प्रक्रिया है और सरकार द्वारा जारी ई पास से संबंधित आदेश में कई खामियां हैं।
मसलन अगर किसी व्यक्ति को दूध लेने के लिए भी जाना है और वो व्यक्ति मोटरसाइकल या किसी अन्य वाहन से सड़क पर निकलता है. तो उसे ई पास की जरूरत होगी. ई पास उपलब्ध नहीं होने की सूरत में उक्त व्यक्ति के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई हो सकती है. वहीं इस जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान लोगों की आवाजाही काफी कम है और बिना जरूरत के लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं. ऐसे में ई पास जारी किये जाने के लिए जो जानकारी मांगी जा रही है उससे निजता का हनन होने की भी पूरी संभावना है. क्योंकि ई पास लेने के लिए आपको आपकी हर गतिविधि की जानकारी साझा करनी होगी।सरकार की तरफ से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने इस याचिका का पुरजोर विरोध किया।