झारखण्ड आंदोलनकारियों के मान सम्मान स्वाभिमान एवं पहचान के सवाल को लेकर राँची के मोरहाबादी मैदान में आज मानव श्रृंखला कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

राँची।झारखण्ड आंदोलनकारियों के मान सम्मान स्वाभिमान एवं पहचान के सवाल को लेकर राँची के मोरहाबादी मैदान में आज मानव श्रृंखला कार्यक्रम का आयोजन किया गया।राज्य के दुमका, गोड्डा, गिरिडीह, कोडरमा, रामगढ़, डालटेनगंज, रांची, खूंटी, गुमला, धनबाद, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, चाईबासा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां सहित अन्य जिलों के आंदोलनकारी प्रतिनिधि उपस्थित होकर अपनी मांगों के समर्थन में नारा लगाएं।

गौरतलब है कि झारखण्ड आंदोलनकारियों के त्याग, बलिदान एवं लंबे संघर्ष के परिणाम स्वरूप झारखण्ड अलग राज्य का गठन हुआ. झारखंड आंदोलनकारियों ने अपने संघर्ष काल में अनेक तरह की उपेक्षाएं एवं तमाम यातनाएं झेली हैं, पलायन हुए हैं, हाशिए का जीवन जीते रहे हैं, घर- व्यापार सभी बर्बाद हुए हैं. इस बात को संज्ञान में लेते हुये राज्य सरकार को भारत के मानचित्र में झारखंड अलग राज्य को स्थापित एवं स्वर्णिम इतिहास गढ़ने वाले झारखंड आंदोलनकारियों के मांगो का समाधान कर उन्हें उचित सम्मान देना चाहिये।

झारखण्ड आंदोलनकारियों की मांगों में मुख्य रूप से शामिल मांगों में –

1- मांरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, एन ई होरो, बिनोद बिहारी महतो, निर्मल महतो, देवेंद्र माझी, सीपी तिर्की, डॉ रामदयाल मुंडा, डॉ बीपी केसरी, लाल रंग विजय नाथ शाहदेव, रीतलाल प्रसाद वर्मा, एके राय, सोबरन अंसारी, बसीर अहमद सहित हमारे सभी अमर पुरोधा झारखंड आंदोलनकारियों को महान झारखंड रत्न देकर अविलंब राजकीय पहचान व सम्मान प्रदान किया जाए। राज्य के दिशुम गुरु शिबू सोरेन से लेकर सुदेश कुमार महतो तक 1-1 झारखंड आंदोलनकारियों, साहित्यकारों, कलाकारों एवं पत्रकारों को भी चिन्हित कर राजकीय सम्मान एवं पहचान सुनिश्चित किया जाए। साथ ही सभी आंदोलनकारियों का नाम गजट में प्रकाशित किया जाए।
2. झारखंड सरकार,गृह विभाग,संकल्पसंख्या -6, विविध -1013/2008-2108 का पालन करते हुए झारखंड आंदोलनकारियों को चिकित्सा सुविधा, आश्रितों को पेंशन, नियोजन एवं बच्चों को नियोजन आदि का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
3. झारखंड आंदोलनकारी चिंहितिकरण आयोग का पुनर्गठन अभिलंब किया जाए। आयोग में अध्यक्ष सहित कम से कम 11 सदस्य हों एवं आयोग का कार्यकाल कम से कम 3 वर्ष के लिए हो। *आयोग में लंबित आवेदनों को चिन्हित करने के कार्य समयबद्ध हो।

  • छूटे हुए आंदोलनकारियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर सभी आवेदन आमंत्रित किया जाए।
    *उत्तराखंड शासन, गृह अनुभाग – 4 , उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारियों को की जाने वाली पेंशन को नियमित करने संबंधी विनियमित करने संबंधी नियमावली 2009, दिनांक 05/Nov/2009 का अनुसरण झारखंड आंदोलनकारियों के हितार्थ किया जाए।
    4. झारखंड आंदोलनकारियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया जाए एवं राज्य स्तरीय समारोह आयोजन कर विशिष्ट पहचान पत्र देकर आंदोलनकारियों को सम्मानित किया जाए।
    5. भारत सरकार के गृह एवं कारा, आपदा प्रबंध अधिनियम 1952 के तहत जेल जाने की बाध्यता को समाप्त करते हुए सभी झारखंड आंदोलनकारियों को ₹50,000 सम्मान पेंशन दिए जाएं।
    6. झारखंड आंदोलनकारियों के लिए शहीद कॉरिडोर का निर्माण हो, राजधानी सहित सभी चौक-चौराहों, मार्गों व सरकारी संस्थानों का नामकरण किया जाए।
    7. झारखंड आंदोलनकारियों के पुत्र/पुत्रियों को प्राथमिक स्तर से उच्चतर स्तर तक की शिक्षा की विशेष व्यवस्था की जाए।
    8. झारखंड आंदोलनकारियों को झारखंड राज्य आवास बोर्ड की कॉलोनियों में मकान आवंटित करने की नीति तय की जाए एवं आवास हेतु न्यूनतम 20 डिसमिल जमीन एवं कृषि कार्य हेतु न्यूनतम 5 एकड़ जमीन की बंदोबस्ती की जाए। झारखंड आंदोलनकारियों के वाणिज्य व्यापार के लिए वित्त रहित ऋण ₹50,00,000 तक मुहैया कराए जाएं।*साथ ही विशेष योजना बनाकर शहरी/ग्रामीण व अधिसूचित क्षेत्रों में झारखंड आंदोलनकारियों एवं उनके उत्तराधिकारी को स्वरोजगार का लाभ प्रदान किया जाए ।
    *9.* झारखंड आंदोलनकारियों के लिए राज्य व जिलों के परिसदनों में नि:शुल्क ठहरने की व्यवस्था हो।
    *राज्य के अंदर कहीं भी भ्रमण के लिए नि:शुल्क यात्रा व रेलवे कूपन की नीति सरकार तय करे।
    *आंदोलनकारियों के परिवार सहित सभी चिकित्सालय में विशिष्ट श्रेणी की मुफ्त चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए।
    10. राज्य/कमिश्नरी/जिला/अनुमंडल/प्रखंड स्तरीय राज्य सरकार की सभी समितियों, निगम, बोर्ड प्राधिकारों में झारखंड आंदोलनकारियों की सहभागिता का 50 फीसदी तय किया जाए एवं राज्य सरकार की 20 सूत्री/15 सूत्री/ निगरानी समितियों के सभी अवसरों पर आंदोलनकारियों को 50 फीसदी स्थान दिया जाए।
    11. खनन पट्टा स्वीकृति हेतु सभी प्रकार के खनिजों की लीज आर्डर में झारखंड आंदोलनकारियों को प्राथमिकता दी जाए एवं राज्य सरकार द्वारा निर्गत किए जाने वाले सभी प्रकार के व्यापारिक लाइसेंसों में आंदोलनकारियों का कोटा 25 फीसदी तय किया जाए एवं कार्य आदेश भी सुनिश्चित की जाए।

डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह
अध्यक्ष
राजू महतो
कार्यकारी अध्यक्ष
अश्विनी कुजुर
वरीय उपाध्यक्ष
अजीत मिंज,
प्रधान महासचिव
राजकमल महतो
उपाध्यक्ष
प्रफुल्ल तत्वा
उपाध्यक्ष
सूर्यदेव भगत
केंद्रीय सचिव
प्रवीण सहाय
सचिव
किशोर किस्कू
सचिव
डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो
मीडिया प्रभारी
आजम अहमद
वित्त अध्यक्ष
प्रवीण सहाय
वित्त प्रभारी
प्रेम मित्तल
प्रवक्ता
पुष्कर महतो
दिवाकर साहू, धर्म वेतन लकड़ा, जगदीश्वरा, ताहिर अंसारी, गोही राम भोक्ता, बनेश्वर महतो, बनारसी साहू, मुरलीधर प्रसाद, वीरेंद्र ठाकुर ,सत्येंद्र सिंह, अनिरुद्ध मंडल, राजेश महतो, जनार्दन महतो, राज किशोर साहू, अशोक साहू, आनंद उरांव, विनोद कुमार, गोपाल रवानी, हरमन लकड़ा, मोहम्मद रुस्तम खा, मसीह प्रकाश सांगा, विश्राम बाखला विश्वजीत प्रमाणिक, नसरुद्दीन अंसारी, आनंद सिंह, चंदा भगत, मोहना देवी, मोनिका देवी, विनीता अल्पना एरेन कच्छप सहित लगभग 500 झारखंड आंदोलनकारी गण उपस्थित हुए।

राज्य की स्थापना दिवस 15 नवंबर 2020 को प्रत्येक जिला में महापुरुषों की प्रतिमा के समक्ष उपवास कार्यक्रम, झारखंड आंदोलनकारियों के मान-सम्मान, स्वाभिमान, अस्तित्व एवं पहचान को लेकर करने का निर्णय लिया गया.
इस अवसर पर आंदोलनारियों के समर्थन में पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री सुबोध कांत सहाय का संदेश लेकर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी झारखंड प्रदेश के महासचिव अनादि ब्रह्म आए. उन्होंने समर्थन पत्र पढ़ते हुए कहा कि श्री सहाय झारखंड आंदोलनकारियों के साथ हैं और रहेंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड आंदोलनकारियों के कारण ही झारखंड अलग राज्य का निर्माण हुआ है. पूरी दुनिया में झारखंड की पहचान बनी है और अगर ऐसे में झारखंड आंदोलनकारियों की उपेक्षा होती है तो निंदनीय है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर झारखंड आंदोलनकारियों की समस्याओं का निदान कराया जाएगा.
पूर्व मंत्री नियल तिर्की ने कहा कि झारखंड आंदोलनकारी को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिलना चाहिए. एक लंबे संघर्ष करके झारखंड अलग राज्य का निर्माण कराएं हैं. झारखंड आंदोलनकारी का सम्मान ही राज्य का सच्चा सम्मान होगा.
मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि झारखंड अलग राज्य का गठन संविधान की धारा 3A के तहत हुआ है इस धारा में झारखंड अलग राज्य की भाषा संस्कृति परंपरा मूल तत्व हैं, इन मूल्यों की रक्षा और झारखंड आंदोलनकारियों के मान-सम्मान, स्वाभिमान, अस्तित्व एवं पहचान की रक्षा निश्चित तौर पर होनी चाहिये.
कार्यकारी अध्यक्ष राजू महतो ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड आंदोलनकारियों की आवाज बनें और झारखंड आंदोलनकारियों की मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए बेहतर झारखंड का निर्माण करें. आज झारखंड में झारखंड आंदोलनकारियों की स्थिति दयनीय हैं. इस पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए और उत्तराखंड के संकल्प को लागू करते हुए झारखंड आंदोलनकारियों को इसका लाभ देना चाहिए.

•• डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो
मीडिया प्रभारी
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा,
झारखंड प्रदेश, रांची
मोबाईल : 9934133172

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