एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के ओड़िसा स्थित टायरंगपुर आवास पर मिलने वाले लोगों की भारी भीड़ जुटी

राँची/जहेरस्थान। एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ओडिसा के जहेरस्थान में पूजा करने गईं है।वहीं द्रौपदी मुर्मू के ओडिसा स्थित टायरंगपुर आवास पर मिलने वाले लोगों की भीड़ लगी हुई है।आवास के बाहर लोग कतार में खड़े होकर उनसे मिलने के लिए इंतजार कर रहे है।भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।जहेरस्थान से पूजा-पाठ करने के बाद द्रौपदी मुर्मू अपने आवास पहुंची है।

वहां उन्होंने लोगों से मुलाकात की।लोगों से मुलाकात के दौरान द्रौपदी मुर्मू काफी खुश नजर आई।उन्होंने लोगों का अभिवादन स्वीकर किया। उनसे मिलने के लिए भारी संख्या में लोग उनके आवास के बाहर खड़े है।बाहर खड़े लोगों से मिलने के बाद उन्होंने अपने आवास पर भी मौजूद लोगों से मुलाकात की।उनके प्रशंसक मिलने के दौरान सेल्फी भी ली।

एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू से मिलने के दौरान मीडिया में उन्होंने अभी इसपर कुछ भी बोलने से साफ मना कर दिया।उन्होंने कहा कि उन्हें खुद ये जानकारी टेलीविजन के माध्यम से मिली है।

आदिवासी राजनीति पर भाजपा का मास्टर स्ट्रोक

आजादी के बाद देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार किसी आदिवासी को आगे कर राजग ने एक तीर से कई निशाना साधा है । देशभर में आदिवासियों की आबादी 12 करोड़ से अधिक है और सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक मोर्चे पर इनकी भागीदारी अन्य समुदायों की अपेक्षा कम है।ऐसे में राजग ने द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे बढ़ाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उसके एजेंडे में समरस और सर्वस्पर्शी समाज की परिकल्पना सर्वोपरि है।उसका समाज के हर तबके के उन्नयन में विश्वास है । इसका राजनीतिक प्रभाव भी व्यापक तौर पर पड़ेगा । वैसे दल जिनका आधार भाजपा विरोध की राजनीति रही है , वे इसे लेकर राजग के साथ आ सकते हैं । इसकी चर्चा झारखण्ड से ही करते हैं।द्रौपदी मुर्मू का नाम राज्यपाल के लिए पहली बार आश्चर्यजनक तौर पर आया था लिहाजा उनके लिए यह धर्मसंकट की स्थिति होगी।अगर वे राजग के साथ जाएंगे तो कांग्रेस असहज होगी । विपक्ष का साथ देने पर हेमंत सोरेन को भविष्य में राजनीतिक नुकसान का डर सताएगा। झारखण्ड विधानसभा के 81 में से 28 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है। इसमें से फिलहाल 26 सीटों पर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस का कब्जा है । झारखण्ड से सटे ओड़िशा में बीजू जनता दल का शासन है।द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक आसानी से उनके समर्थन के लिए आगे आ सकते हैं।ओड़िशा में 28 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं।द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा के साथ ही नवीन पटनायक ने उन्हें समर्थन के स्पष्ट संकेत दिए हैं।इसके अलावा गुजरात के आगामी विधानसभा चुनाव में भी यह प्रभावी कदम साबित होगा।गुजरात में दो दर्जन से अधिक विधानसभा सीटों पर आदिवासियों का झुकाव चुनाव में जीत-हार तय करता है ।

ममता बनर्जी का दांव पड़ सकता है उल्टा

बंगाल में आदिवासी समुदाय की आबादी झारखण्ड से सटे जिलों में सर्वाधिक है।इसके अलावा उत्तर बंगाल में इनकी काफी तादाद है । तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने यशवंत सिन्हा का नाम आगे किया है। ऐसे में भाजपा को भविष्य में उनकी राजनीतिक घेराबंदी में मदद मिलेगी । ममता बनर्जी बांग्ला मानुष पर जोर देती हैं,लेकिन बंगाल के बाहर से एक राजनीतिक व्यक्ति को आगे करने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ सकता है ।

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