पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की झारखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग,राज्यपाल को लिखा पत्र
राँची।झारखण्ड के पूर्व सीएम रघुवर दास ने राज्य में खराब कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।राज्यपाल रमेश बेस को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि राज्य में कानून और व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सीएम हेमंत सोरेन लोगों और अपने कार्यकर्ताओं को केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ सड़क पर उतरने के लिए उकसा रहे हैं।साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की जा रही जांच में सहयोग करने की बजाए राज्य की जनता को वर्तमान सरकार गुमराह कर रही है। वहीं, हिंसा भड़काने की साजिश करने और राज्य में संवैधानिक संकट पैदा करने का आरोप लगाया है।
राज्यपाल को भेजे पत्र में पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि हाल में केंद्रीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय द्वारा राज्य में हुए व्यापक भ्रष्टाचार के मामले सीएम हेमंत सोरेन को समन जारी की गयी है। ऐसे में भारतीय विधान के मुताबिक, एक भारतीय नागरिक के रूप में और संवैधानिक पद पर रहते हुए एक जिम्मेदार लोक सेवक के रूप में हेमंत सोरेन की यह जिम्मेवारी बनती है कि ईडी को जांच में सहयोग करे।ईडी के समन पर उन्होंने समय की मांग की, वहीं दूसरी ओर अपने आवास के बाहर हजारों कार्यकर्ता को बुलाकर ललकारा। इस दौरान उन्होंने चेतावनी के लहजे में कहा था कि ईडी समन देने के बजाए सीधा गिरफ्तार करे।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम आवास के बाहर हजारों की संख्या में कार्यकर्ताओं का जुटान कर सीएम हेमंत सोरेन ने जान-बूझकर ऐसा संवैधानिक संकट पैदा किया है, ताकि उनके समर्थक हिंसा हो जाए और ईडी को दबाव में लेकर दिग्भ्रमित किया जा सके।साथ ही कहा कि श्री सोरेन केंद्रीय एजेंसी को चुनौती देने का काम करते हुए राज्य की भोली-भाली आदिवासी जनता को भड़काने का काम कर रहे हैं, ताकि उनको सहानुभूति का राजनीतिक लाभ मिल सके।
पूर्व सीएम ने राज्यपाल को लिखे पत्र में आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री के पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा किया जा रहा ऐसा कृत्य गैर कानूनी तथा असंवैधानिक है।आरोप लगाया कि सीएम श्री सोरेन द्वारा हाल में दिये गये भाषणों से यह स्पष्ट है कि राज्य के मुखिया होकर राज्य सरकार को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं चला रहे हैं और वास्तव में वे राज्य में आतंक का शासन स्थापित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 365 के प्रावधानों से यह स्पष्ट है कि ऐसा लग रहा है कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधान एवं कानूनों के अनुसार नहीं चल रही है।ऐसे में राज्य में एकमात्र विकल्प राष्ट्रपति शासन बचता है। उन्होंने राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है, ताकि केंद्रीय एजेंसियां निष्पक्ष तौर पर अपनी जांच पूरी कर सके।