बालासोर रेल हादसा:दूसरे के शव को अपना बेटा समझकर लौट आये थे परिजन,अचानक जिंदा घर लौटा बेटा….
गिरिडीह।ओडिशा के बालासोर हुए भीषण रेल हादसे में झारखण्ड के कई लोग बाल-बाल बचे। इस हादसे में कई घायल लोगों को मरा हुआ समझ लिया। इस हादसे में घायल पवन जब घर लौटा तो परिजन सहित सभी हैरान रह गये। गांव में बात फैल गयी थी कि इस हादसे में पवन की मौत हो गयी। जब गिरिडीह के पवन भुइयां अपने घर गावां के पथलडीहा पहुंचा। उससे मिलने के लिए दिनभर लोगों का हुजूम लगा रहा। पूर्व विधायक से लेकर अन्य जनप्रतिनिधियों ने उससे मुलाकात की।
पवन ने हादसे के संबंध में विस्तार से बातचीत की कहा,गुरुवार को अपने घर से चेन्नई जाने के लिए निकला था। शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के शालीमार रेलवे स्टेशन से वह कोरामंडल एक्सप्रेस पर चढ़कर चेन्नई के लिए रवाना हो गया। इसी बीच लगभग शाम 7 बजे ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उन्होंने बताया कि जब ट्रेन एक दूसरे में टकराने लगा तो एक तेज सा आवाज आया और ट्रेन की कई कोच पलट गया। इसमें सबसे पहले ट्रेन के अंदर रखे बेग व झोला से भरे सामान बिखरकर गिरने लगा। इसके बाद वह भी गिरकर बेहोश हो गया। बाद में उसे कटक के एक अस्पताल में राहत बचाव कर्मियों द्वारा भर्ती कराया गया। जहां करीब 48 घंटे के बाद होश आया तो वहां मुझसे नाम पता व घर वालों का संपर्क पूछा गया।इसके बाद झालसा के सहारे मेरे घर वालों को जीवित होने की सूचना दी गई। मेरे सर पर कई टांके लगे हुए थे, हाथ, पैर और पेट के कई स्थान पर बैंडज का पट्टी बंधा हुआ था। इस बीच अस्पताल में कई और भी घायल मरीज पड़ा हुआ था। कुछ लाशों का ढ़ेर भी लगा हुआ था। जिसे देखकर मैं अचंभित होकर डर गया था। बाद मेरे पिताजी और चाचा हमसे मिलने पहुंचे व मुझसे हालचाल लिया।
चार भाई है पवन, रोजगार नहीं मिलने के कारण तीन भाई प्रदेश में करता है काम
पवन ने बताया कि वह चार भाई है,जिसमें उसके सबसे बड़े भाई मुकेश भुइयां एवं मंझला भाई विकास भुइयां दिल्ली के एक होटल में रहकर मजदूरी करता है, जबकि उसका छोटा भाई गांव में ही रहकर सरकारी विद्यालय में पढ़ाई करता है। पवन का कहना है कि गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण उन्हें दूसरे राज्यों में जाकर कम वेतन पर अधिक काम करना पड़ता है। अगर गांव में रोजगार होता तो उनलोगों को बाहर जाकर मजदूरी करने का आवश्यकता नहीं पड़ता। पवन के पिता गंगा भुइयां राज मिस्त्री है और उसकी माँ अनरवा देवी गृहणी है। पवन का पूरा परिवार एक गरीब परिवार के श्रेणी में आता है। उसके बाद भी उसे सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। अनाज छोड़कर उसके परिवार को किसी अन्य सरकारी योजना का लाभ इस समय उसे नहीं मिल रहा है।
छाया मातम बदल गई खुशी में
पवन की माँ अनरवा देवी ने बताया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकार झालसा के सचिव सौरभ कुमार गौतम के एक फोन पर उसके घर में बेटे की मौत अफवाह से पसरा हुआ मातम खुशियां में बदल गई और बेटे को एक नई जिंदगी मिल गई। उन्होंने बताया जैसे ही मुझे पवन का जीवित होने की सूचना मिली। उसके बाद से पूरे घर और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। इसके बाद पवन के पिता ने अस्पताल पहुंचकर उससे मुलाकात की व घर वालों को इसकी जानकारी दी।
दूसरे के शव देखकर पवन को मृत मानकर लौट रहे थे परिजन
बता दें कि रेल हादसा के बाद पवन के पिता व उसके चाचा एवं पूर्व वार्ड सदस्य सहित गांव के कुछ लोग को उसके खोजबीन के लिए गांव से घटना स्थल भेजा गया था। युवक के पिता गंगा भुइयां, पूर्व वार्ड सदस्य लालो भुइयां, पड़ोसी मन्नु शर्मा व वाहन चालक शनि दास घटना स्थल पर पहुंचे। घटना स्थल पर इन्होंने अपने बेटे की खूब तलाश की। कई शव के चेहरे को देखा। एक शव की पहचान बेटे के रूप में की। चूंकि वह उसके बेटे जैसा मिलता जुलता था। शव अत्यंत ज्यादा क्षत विक्षत था। जिस कारण शव देखकर परिजन वापस लौट गये। बेटे का शव अपनी आंखों से देखा था परिजन परेशान थे, घर में मातम था। बाद में देर रात घर लौटने के दौरान आसनसोल पहुंचने पर पिता को झलासा के सचिव द्वारा बेटे का जीवित होने की सूचना मिली।
पूर्व विधायक के पहल पर बेतहर इलाज के लिए भेजा गया रिम्स
इधर पवन के घर पहुंचने की सूचना मिलने के बाद पूर्व विधायक राजकुमार यादव भी उसके घर पहुंचे व घायल पवन से मुलाकात की। साथ ही कुछ आर्थिक सहायता राशि भी दिया। बाद में उन्होंने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से बात कर पवन को रांची के रिम्स अस्पताल में बेहतर इलाज हेतु भेजने की बात कही। उन्होंने प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से घर में तत्काल राशन उपलब्ध कराने का भी आग्रह किया। इधर शुक्रवार को पवन को बेहतर इलाज के लिए राँची के रिम्स अस्पताल भेज दिया गया है।