सालों से पुलिस को चकमा देने वाली बबिता और उसके दो साथी चढ़े गुजरात एटीएस के हत्थे
राँची। झारखण्ड में वांछित और राज्य सरकार के खिलाफ गुजरात में आदिवासियों को भड़काने की कोशिश कर रहे तीन कथित नक्सलियों को गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने 24 जुलाई को गिरफ्तार किया गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान झारखण्ड के सामू ओड़िया, बिरसा ओड़िया और बेलोसा बबिता कच्छप के रूप में की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार सामू ओड़िया पर दो, बिरसा ओड़या पर 10 के करीब और बेलोसा बबिता पर सात केस खूंटी जिले में दर्ज हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इनकी गिरफ्तारी 24 जुलाई को हुई। सामू और बिरसा ओड़िया को आदिवासी बहुल तापी जिले के व्यारा तालुका से गिरफ्तार किया गया है जबकि बबिता को महिसागर जिले के संतरामपुर तालुका से गिरफ्तार किया गया।
मीडिया रिपोर्ट में एटीएस के हवाले से कहा गया है कि यह झारखण्ड में पत्थलगड़ी आंदोलन के सक्रिय सदस्य थे। जिन्होंने सरकार के खिलाफ स्थानीय लोगों को उकसाया था. दावा किया जा रहा है कि ये लोग राज्य सरकार के खिलाफ सतीपति आदिवासी समुदाय के सदस्यों को उकसाने की कोशिश कर रहे थे।उनके कब्जे से माओवादी साहित्य जब्त किया गया था।
गौरतलब है कि ये संगठन खुद को भारत सरकार कहता है और ये पूरा संगठन गुजरात से जुड़ा हुआ है। बबिता और बिरसा झारखंड के खूंटी जिला में कई मामलों में वांछित थे। तीनों पर आईपीसी की धारा 124-ए (सेडिशन) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
झारखण्ड के मुंडा अंचल में सक्रिय है संगठन
जानकार कहते हैं सतीपति वाले खूंटी में मुंडा समाज को बांटने और विद्वेष फैलाने का काम कर रहे हैं. जब खूंटी में 2014 के बाद ग्रामसभा के अधिकार के लिए पेसा कानून लागू करने की मांग एवं लैंड बैंक और सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन के विरोध में अंदोलन हुए तब एसी भारत सरकार कुटुंब परिवार कहीं नजर नहीं आया. सीएनटी संशोधन के विरोध में खूंटी में हुए आंदोलन में एक-दो गांवों में पत्थलगड़ी की गई थी. जिसमें विवादित पत्थलगड़ी की बात नहीं लिखी गयी थी। जानकार कहते हैं कि इसी का लाभ उठा कर गुजरात से जुड़े संगठन ने झारखंड में पत्थलगड़ी के नाम पर प्रशासन और आदिवासी समाज के बीच टकराव की स्थिति पैदा करा दी. संगठन ने मुंडा समाज में विरोध के स्वर को अलगावाद में बदल देने का काम किया.
जिसे राजनीतिक लाभ के लिए ईसाई मिशनरियों की सजिश बताकर प्रचारित किया गया. जानकार कहते हैं कि खूंटी में पत्थलगड़ी शुरू होने के कुछ दिनों पहले ही झारखंड से कुछ लोग गुजरात गये. और प्रशिक्षित होकर लौटे. जिसमें बेलोसा बबिता, यूसुफ पूर्ति, विजय कुजूर जैसे पत्थलगड़ी के स्वंयभू नेता शामिल हुए थे।
बेलोसा बबिता, यूसुफ पूर्ति, विजय कुजूर ने गुजरात जाकर लिया था प्रशिक्षण
सफेद कपड़े में बिरसाईत के अलावा भी खूंटी में कुछ लोग नजर आने लगे हैं। इन लोगों को कुंवर केसरी सिंह के संगठन से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है. संगठन और पार्टी में शामिल कुछ नेताओं का कहना है कि उन्होंने ये सिद्धांत गुजरात के सतीपति आश्रम से प्राप्त किया है. इसके बाद झारखण्ड के मुंडा अंचल में इनकी गतिविधियां बढ़ीं। संविधान की गलत व्याख्या कर स्थानीय लोगों को भ्रमित करने का काम किया। इनके संगठन के द्वारा चुनाव में भागीदारी न करने और आदिवासियों को वोट बहिष्कार करने की बात की जाती है. राशन कार्ड और आधार कार्ड को खत्म करने के लिए आदिवासियों को प्रेरित करते हैं. जानकार कहते हैं खूंटी जिला में संगठन की गतिविधियों के कारण 5000 से अधिक वोटर कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड राजभवन भेजे जाने की सूचना है। खूंटी जिला के मुरहू में तीन दिन विश्व शंति के नाम पर सम्मेलन किया गया।सम्मेलन 14 से 16 अक्टूबर 2019 के बीच मुरहू प्रखंड के गुंटीगड़ा जंगल हुआ था. जिसमें आधार कार्ड, वोट और चुनाव से दूर रहने की सीख दी गयी. चुनाव के बाद भी संगठन की सक्रियता खूंटी और पश्चिम सिंहभूम जिले में सक्रिय है।
बुरुगुलिकेरा हत्याकांड में सतिपति पंथ का आया था नाम
आदिवासी अधिकार मंच ने बुरुगुलिकेरा नंरसहार के बाद कहा था कि सतिपति पंथ के विरोध के कारण झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के गुदरी ब्लाक अंतर्गत बुरुगुलिकेरा गांव में सात लोगों की पीट-पीटकर हत्या और सर कलम करने की दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी।
22-23 जनवरी को इस घटना की खबरें मीडिया में आने के बाद झारखण्ड में चल रहे पत्थलगड़ी आंदोलन की वजह माना जा रहा था। इस घटना में पत्थलगड़ी की भूमिका होने के आरोपों पर जांच के लिए सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकारों के एक दल ने बुरुगुलिकेरा का दौरा किया।दल के वापस लौटने के बाद आदिवासी अधिकार मंच ने दावा किया कि इस जघन्य हत्याकांड के पीछे पत्थलगड़ी नहीं,सतिपति पंथ का बढ़ता प्रभाव है।
संगठन ने क्या कहा आदिवासी समुदाय से
इस दल ने बताया था कि गांव की आधे से अधिक आबादी सतिपति पंथ की समर्थक है. जेम्स बुढ़ और गांव के छह अन्य लोगों की हत्या का आरोप भी सतिपति पंथ का नेतृत्व करने वाले गांव के रणसी बुढ़ और अन्य पर है. गांव में पिछले एक साल से सक्रिय इस पंथ ने लोगों को अपना राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड जमा करने और सरकारी योजनाओं से दूरी बनाने को कहा गया था. आदिवासी अधिकार मंच ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि गांव के आधे से अधिक परिवारों ने दस्तावेज जमा किये।
लेकिन जेम्स और कई अन्य ने ऐसा नहीं किया. जेम्स गांव के उप मुखिया थे और उन्होंने दस्तावेज जमीन के कागजात आदि जमा कराने का विरोध किया। साथ ही लोगों के चर्च में जाने और आदिवासी त्योहार नहीं मनाने को कहने का भी विरोध किया. प्राप्त जानकारी के अनुसार सामू ओड़िया पर दो, बिरसा ओड़या पर 10 के करीब और बेलोसा बबिता पर सात केस खूंटी जिले में दर्ज हैं।