मध्यप्रदेश के बाद झारखण्ड में भी सरकार जाने के आसार? रखा जा रहा कांग्रेस विधायकों पर नजर!
राँची। मध्यप्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा के बाद भाजपा में शामिल होने के चर्चे बने हुए हैं। इस राजनीतिक उलटफेर के बाद कमलनाथ सरकार पर गहराते संकट केे बीच झारखंड में भी कांग्रेस के विधायकों पर पैनी नजर रखने के फरमान सुनाया जाने की बात सामने आ रही है। मंगलवार को होली के दिन मध्यप्रदेश में हुए राजनीतिक घटनाक्रम से झारखण्ड में भी उलटफेर होने की संभावना तेज हो गई है। झारखण्ड कांग्रेस के विधायकों पर पैनी नजर रखने का आलाकमान का फरमान जारी हुआ है।
वर्तमान में झारखण्ड में कांग्रेस और राजद के एक विधायक के सहयोग से झामुमो की गठबंधन वाली सरकार चल रही है। इसमें कांग्रेस कोटे से कुल 4 मंत्री शामिल हैं, इन चार मंत्रियों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रामेश्वर उरांव, बादल पत्रलेख, बन्ना गुप्ता, और आलमगीर आलम का नाम है। ऐसे में सूत्रों मिली जानकारी के अनुसार कुछ कांग्रेस विधायक मंत्री नहीं बनाए जाने से पार्टी से खासे नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि फिलहाल ऐसे विधायक खुलकर सामने आने से कतरा रहे हैं। लेकिन दलबदल के लिए बदनाम झारखंड मेंं कब कौन पाला बदल दे कहना मुश्किल है।
इधर हाल के दिनों में बाबूलाल मरांडी के पार्टी झाविमो का भाजपा में विलय कर भाजपा में वापसी करना और झाविमो के 2 विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के कांग्रेस में शामिल होने के बाद झारखण्ड में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी हुई है। प्रदीप यादव का कांग्रेस में शामिल होने को लेकर कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने खुलकर विरोध किया है। कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर इरफान अंसारी ने इस्तीफा देने तक की पेशकश करते हुए मीडिया और सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रिया दी थी।
कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने पार्टी द्वारा राज्यसभा चुनाव में फुरकान अंसारी को उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं। इरफान अंसारी ने मीडिया में खुलकर कहा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के समय ही फुरकान अंसारी को राज्यसभा में भेजने का कमिटमेंट किया था, हालांकि झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने ऐसे किसी भी तरह के वादा देने की बात से साफ इन्कार किया है।
राज्यसभा के लिए झारखंड से 2 सीटें खाली हो रही हैं। इस पर 26 मार्च को मतदान होना है। जैसा कि एक सीट पर झामुमो ने पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि दूसरी सीट के लिए कांग्रेस की ओर से अभी तक किसी भी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की गई है। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह खुद ही झारखण्ड से राज्यसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। ताजा घटनाक्रम को देखें तो यह जाहिर हो रहा है कि कांग्रेस में अभी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा। अब मध्यप्रदेश के सियासी तूफान से झारखंड में भी बवंडर आने के संकेत मिल रहे हैं। मध्य प्रदेश के उठापटक के बीच कांग्रेस आलाकमान की ओर से ऐसे नाराज विधायकों पर पैनी नजर रखने को कहा गया है। कांग्रेस आलाकमान के आदेशानुसार विधायकों पर नजर भी रखी जा रही है।