कोरोना के आगे मानवता बेबस, हिंदपीढ़ी के बुजुर्ग को 20 घंटे बाद नसीब दो गज जमीन
राँची। कोरोना ने मानवता को भी घुटने के बल ला दिया है, जि हाँ रविवार को कुछ यही नजारा रहा राजधानी रांची का। दरअसल हिंदपीढ़ी निवासी कोरोना संक्रमित 60 वर्षीय बुजुर्ग का शव दफनाने को लेकर रविवार को दिनभर खूब हंगामा हुआ। आखिर देर रात मौत के लगभग 20 घंटे के बाद दो गज जमीन नसीब हुई। रविवार की सुबह बुजुर्ग की मौत हुई थी। देर रात करीब 2 बजे हिंदपीढ़ी के बच्चा कब्रिस्तान में शव को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इससे पहले शव पूरे दिन रिम्स परिसर के एंबुलेंस पर पड़ा रहा। सुबह से ही शव को दफनाए जाने की प्रक्रिया चलती रही। प्रशासन कब्र खोदवाता रहा। विरोध के चलते शव को दफनाने का कार्य टलता रहा। आखिरकार शव को चौथे कब्र में दो गज जमीन नसीब हुई।
सबसे पहले बरियातू स्थित कब्रिस्तान में कब्र खोदी गई। वहां हंगामा और कब्रिस्तान को छोटा बताकर रातू रोड कब्रिस्तान में दफनाने का फैसला किया गया। रातू रोड कब्रिस्तान के पास रहने वाले कुछ स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। वहां भी कब्र खोदी जा चुकी थी। पूरे दिन अलग-अलग कब्रिस्तान के आसपास हंगामे और विरोध होते रहे। देर रात पुलिस ने शव को जुमार पुल के पास भी दफनाने का प्रयास किया लेकिन वहां भी विरोध के कारण उसे लौटना पड़ा। इसके बाद हिंदपीढ़ी स्थित बच्चा कब्रिस्तान में मृतक को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। मृतक वहीं का रहने वाले था। प्रशासन ने इस कब्रिस्तान का चुनाव आखिरी विकल्प के रूप में किया। हिंदपीढ़ी के लोग आगे आए और दिया मानवता का परिचय, शव को दफनाने पर सहमति दी।
डोरंडा में भी स्थानीय लोगों ने किया विरोध
रातू रोड के बाद पुलिस प्रशासन ने मुस्लिम समाज के बुद्धिजीवियों और गण्यमान्य लोगों से लगातार बातचीत करने के बाद डोरंडा कब्रिस्तान में शव दफन करने की योजना बनाई। वहां भी कब्र खोदी जा चुकी थी। लेकिन, देर शाम में स्थानीय लोगों ने विरोध कर दिया। पुलिस प्रशासन असमंजस की स्थिति में रहा। इसके बाद प्रशासन बुंडू के तैमारा घाटी में दफन करने की योजना बना रही थी। इस बीच हिंदपीढ़ी के लोग आगे आए और बच्चा कब्रिस्तान में दफन करने की बात कही।
लोगों की मांग शहर से दूर अंतिम संस्कार हो
हर जगह स्थानीय लोगों ने शव दफनाए जाने के लिए आबादी से दूर वाले इलाके में कब्रिस्तान चुनने या दाह संस्कार की मांग रखी। स्थानीय लोगों का कहना था कि अगर आबादी वाली जगह में शव दफनाया गया तो इससे संक्रमण हो सकता है। मांग की गई कि हिंदू हों या मुसलमान, जिनकी भी मौत कोरोना से हो उनका शव जलाया जाए न कि दफनाया जाए। इससे संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। ये काम भी शहर से 20 किमी दूर किया जाए।
200 मीटर की दूरी पर थे लोग, चार लोगों ने दी मिट्टी
मिट्टी देने वालों में मृतक के चार परिजन शामिल हुए। इन्हें व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहनाकर शव के साथ मिट्टी देने ले जाया गया। शव को पूरी तरह से पैक रखा गया था। गाइडलाइन के अनुसार शव को करीब 20 फीट की गहराई वाले कब्र में डाला गया। इससे पहले कब्र को सैनिटाइज किया गया, शव को कब्र में डालने के बाद भी सैनिटाइज कर जेसीबी से मिट्टी डालकर ढक दिया गया। इसके साथ ही मिट्टी में शामिल चार परिजनों को क्वारंटाइन कर दिया गया है।
इनकी रही भूमिका
पूर्व पार्षद व अमन यूथ सोसाइटी के जिम्मेदार मोहम्मद असलम, नदीम इकबाल व मिल्लत पंचायत के अध्यक्ष मोहम्मद निसार तथा शाहिद अयूबी ने पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद हिंदपीढ़ी के बच्चा कब्रिस्तान में शव दफनाने की बात पर सहमति दी। वहां लोगों ने खुद कब्र खोदवाया और देर रात शव को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।
उपायुक्त,एसएसपी,एसडीएम, ट्रैफिक एसपी, कोतवाली डीएसपी,सिटी डीएसपी,सदर डीएसपी सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद थे।