13 दिन बाद पसीजा बाप का दिल,जुड़वा बेटियों को लेने पहुँचा अस्पताल,बच्चियों के जन्म के बाद माँ की मौत हो गई थी…
डेस्क टीम:बिहारशरीफ के सरकारी अस्पताल में भर्ती जुड़वा बच्चियों के पिता अब उन्हें अपने साथ ले जाने को तैयार हो गए हैं। पिछले महीने 18 मई को जुड़वा बेटियों को जन्म देने के कुछ देर बाद माँ की मौत हो गई थी।माँ की मौत के बाद पिता ने पहले दोनों को साथ ले जाने से इनकार कर दिया था,लेकिन अब उनका दिल पसीजा और अस्पताल पहुँच कर कहा कि पत्नी की मौत के बाद उनकी तबियत खराब हो गई थी। इस कारण से वे नहीं मिलने आए। दोनों बच्चियां अभी अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती हैं।कई अखबार में इस खबर को प्रमुखता से छापी गई थी।
यह मामला बिहार के बिहारशरीफ का है, जहां 18 मई को अस्पताल ले जाने के दौरान महिला ने जुड़वा बेटियों को एंबुलेंस में ही जन्म दिया था। बेटियों को जन्म देने के बाद अस्पताल में माँ की मौत हो गई थी।माँ की मौत के बाद 12 दिनों तक इन बच्चियों को देखने कोई नहीं पहुंचा।
13 दिन बाद पिता हरेंद्र पासवान बच्चियों का हाल जानने सदर अस्पताल पहुंचे। वहां उसने अपनी बेटियों को देखा और दोनों को साथ ले जाने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि खुद दोनों बेटियों को पालेंगे। हालांकि, अस्पताल प्रबंधन ने जुडवां बच्चियों की कमजोर होने का हवाला देते हुए नहीं ले जाने दिया।अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि दोनों बच्चियां अभी बहुत कमजोर हैं। अभी अपने पिता के साथ जाना उनके हेल्थ के लिए ठीक नहीं होगा। जब तक दोनों बच्ची स्वस्थ नहीं हो जाती हैं, तब तक वो अस्पताल से नहीं ले जा सकते हैं।
अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, एक बच्ची का वजन 1 किलोग्राम तो दूसरी बच्ची का वजन 1.2 किलोग्राम के आसपास है। बिहारशरीफ सदर अस्पताल के स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (SNCU) में भर्ती बच्चियों की देखरेख अस्पताल के स्टाफ ही कर रहे हैं।
इधर हरेंद्र पासवान ने बताया कि पत्नी की मौत के बाद मुझे कुछ होश ही नहीं रहा। सदमा ऐसा लगा कि मेरी भी तबीयत बिगड़ गई और पांच दिनों तक पानी चढ़ाना पड़ा। इधर, परिवार के दूसरे लोग पत्नी के श्राद्ध कर्म में लगे थे। हरेंद्र पासवान ने कहा कि जुड़वां बेटी के साथ ही चार और बच्चे हैं। एक लड़का (10) और तीन लड़कियां (7, 5 और 2.5) हैं । इनको भी संभालना था। उन्होंने कहा कि 16 साल पहले मेरी शादी हुई थी।
सदर अस्पताल की जगह भेजा प्राइवेट अस्पताल
पत्रकार से बातचीत के दौरान हरेंद्र पासवान ने बताया कि जिस दिन जुड़वा बेटी का जन्म हुआ था, उसी दिन रात 1 बजे पत्नी को दर्द शुरू हुआ। आशा कार्यकर्ता के माध्यम से पत्नी को नगरनौसा सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे थे।यहां से उन्हें सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। सदर अस्पताल जाने के दौरान एंबुलेंस में दोनों बच्चियों का जन्म हुआ। सदर अस्पताल पहुंचने पर दो नर्स मिली, जिन्होंने प्राइवेट अस्पताल जाने को कहा। उस समय हम अकेले थे। दोनों नर्स से भर्ती करने की गुहार लगाई, लेकिन उन दोनों नर्स ने माँ शीतला अस्पताल में भर्ती करा दिया।हरेंद्र ने बताया- मेरे पास सिर्फ 15 हजार रुपए थे, जो मैंने दे दिए। पैसा खत्म होने के बाद पावापुरी अस्पताल रेफर कर दिया गया। वहां पहुंचने के आधे घंटे बाद पत्नी की मौत हो गई।
साभार:डीबी