मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी ने कृषि व स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की चल रही और आगे की योजनाओं और उनकी कार्ययोजना की समीक्षा की
★क्षेत्रीय जरूरत के अनुसार पैदावार बढ़ाने की योजना पर काम करे
★शिक्षा को लेकर अपना माइंडसेट बदलें
राँची। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने कृषि विभाग को निर्देश दिया है कि वह कृषि की योजनाओं को पूरे राज्य में एक समान लागू करने की जगह क्षेत्र विशेष की जरूरतों के अनुसार उसे लागू करे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जहां धान की खेती होती है, वहां ड्रिप सिंचाई योजना की जरूरत नहीं होगी। इसी तरह कई फसल के लिए कुछ खास किस्म की जमीन और मौसम ज्यादा बढ़िया होते हैं। उन्होंने निर्देश दिया कि योजना बनाते समय तथा उसे लागू करते वक्त इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा जिस इलाके में जिस योजना की उपयोगिता कम होगी, वहां उसका हम योजनानुसार लाभ भी नहीं ले पाएंगे। उन्होंने कृषि विभाग की राज्य में चल रही 24 योजनाओं को इसी आधार पर वर्गीकृत कर और ज्यादा उपयोगी इलाके (जिले) का चयन कर लागू करने का निर्देश दिया। मुख्य सचिव डॉ. डी के तिवारी झारखंड मंत्रालय में कृषि व स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की चल रहे कार्यों और आगामी योजनाओं और उनकी कार्ययोजना की समीक्षा कर रहे थे।
केंद्रीय योजनाओं के फंड का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करें
मुख्य सचिव ने कृषि क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाओं की राशि के अधिकतम उपयोग पर बल देते हुए कहा कि राज्य के विकास में यह महत्वपूर्ण कारक होता है। उन्होंने कहा कि जो राज्य को चाहिए कि अधिक से अधिक केंद्र सरकार की योजनाओं का फंड प्राप्त कर कर उसका उपयोग करें। मुख्य सचिव ने दक्षिण के राज्यों का हवाला दिया और कहा कि इसी पैटर्न अपनाया जाना चाहिए। उन्होंने कार्य में कोताही बरतने वाले अधिकारियों से कारणपृच्छा पूछा जाना चाहिए। उन अधिकारियों को चिह्नित कर उनके एसीआर में भी यह दर्ज होना चाहिए।
अपनी संपदा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करें
मुख्य सचिव ने कृषि विभाग को निर्देश दिया है कि वह अपनी संपदा का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करे। उन्होंने प्रखंडों में दो-दो एकड़ के 200 से ज्यादा अनुपयोगी प्लॉटों पर नर्सरी बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि फलदार पौधों की नर्सरी को इच्छुक स्थानीय लोंगों द्वारा विकसित कराएं। इसमें सरकारी धन भी नहीं लगेगा और बेकार पड़ी जमीन का उपयोग होने के साथ पौधे भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पौधे की राज्य में काफी डिमांड है और अभी अधिकांश पौधे बाहर के राज्यों से आ रहे हैं। उन्होंने सीड विलेज योजना को और कारगर बनाने पर जोर दिया। वहीं कृषि फार्मों की उपयोगिता बढ़ाने को कहा। कहा, इनफार्मों में भी बीज उत्पादन कराया जाये, जो पीपीपी मोड के रूप में हो सकता है। इसके लिए उन्होंने नीति बनाने का निर्देश दिया।
राज्य स्तर पर आयोजित करें कृषि मेला
मुख्य सचिव ने राज्य के किसानों को उन्नत व तकनीकी खेती से अवगत कराते रहने पर बल दिया। स्थानीय स्तर पर लगने वाले छोटे छोटे कृषि मेला के अलावा राज्य स्तर पर एक वृहद कृषि मेला की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने मेले में अन्य राज्यों की भागीदारी भी सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि मेले में कृषि की आधुनिक तकनीक और रोज हो रहे नए प्रयोगों से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। मुख्य सचिव ने योजना के तहत कृषकों को कृषि यंत्र देने के बाद उन यंत्रों की वर्तमान स्थिति, यंत्रों के उपयोग से हुए फायदे, किसानों की बढ़ी आमदनी आदि का डाटा बेस तैयार करने का भी निर्देश दिया। वहीं कृषि विभाग द्वारा रबी फसलों का दायरा बढ़ाने संबंधी किए गये कार्यों की सेटेलाइट मैपिंग (जीआइएस) कराने का निर्देश दिया। इससे योजना क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा।
कृषि प्रयोगशाला में सिर्फ जरूरी परीक्षण करें
मुख्य सचिव ने समीक्षा के दौरान कृषि प्रयोगशाला में वही जांच करे, जिसका उपयोग हम कृषि विकास में कर सकें। उन्होंने झारखंड की मिट्टी के अनुसार चार-पांच तरह के जरूरी परीक्षण पर जोर देते हुए कहा कि हमें वही परीक्षण करना चाहिए, जिसका इलाज जरूरी है। इसका यह फायदा होगा कि हमारे परीक्षण राज्य के अधिकतम भू-भाग में उपयोगी साबित होंगे। ज्यादा क्षेत्र का कवरेज होगा और अधिकतम किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही अनावश्यक परीक्षण से सरकारी धन का अपव्यय भी रूकेगा।
कृषि से जुड़े निगमों, एजेंसियों और मिशन की आवश्यकता अनुसार ही रखें
मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि कृषि विभाग निगमों, एजेंसियों और मिशन की कार्य उपयोगिता को देखते हुए समीक्षा करे। कृषि के विकास में जरूरी हो तभी रखें।
शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा रोजगारपरक बनाएं
मुख्य सचिव ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि विभाग कुछ चयनित स्कूलों में कक्षा एक से बच्चे की मातृभाषा के साथ हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की शिक्षा भी देने पर जोर दें। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे शहरी बच्चों के मुकाबले में आएं यह सुनिश्चित करें। वहीं शिक्षा को ज्यादा से ज्यादा रोजगारपरक बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि हम हर स्तर पर शिक्षा को लेकर अपना माइंडसेट बदलें। हर प्रखंड में एक लीडर स्कूल की परिकल्पना पर तेजी से काम करने का निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि प्रमंडल स्तर पर विज्ञान और कॉमर्स की विशेष पढ़ाई का इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएं। उन्होंने शिक्षकों के अनावश्यक तबादला करने से बचने का निर्देश देते हुए कहा कि जो अच्छे शिक्षक हैं उन्हें प्रोत्साहित करें। वहीं जिनका प्रदर्शन घटिया हो, उन्हें कार्यमुक्त करें। साथ ही तमाम स्कूलों में मध्याह्न भोजन पकाने-खाने के बर्तनों को नया करने का भी निर्देश दिया।
बैठक में ये थे मौजूद
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संपन्न समीक्षा बैठक में विकास अयुक्त श्री सुखदेव सिंह, योजना सह वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री केके खंडेलवाल, स्कूली शिक्षा के प्रधान सचिव श्री एपी सिंह, कृषि सचिव श्रीमती पूजा सिंघल समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।