Ranchi:माँ की विदाई सिंदूर खेला के साथ हुई,दुर्गाबाड़ी सहित कई पंडालों में सुहागिनों ने एक-दूसरे सिंदूर लगा सुहाग रक्षा की कामना की,माँ से मांगा आशीर्वाद….
राँची।नौ दिनों तक चले दुर्गोत्सव के बाद आज राजधानी राँची सहित पूरे झारखण्ड से माँ की विदाई हुई। हालांकि कई जगहों पर बुधवार को प्रतिमा विसर्जन का निर्णय लिया गया है। राँची के केतारी बाग़ान में सावर्जनिक दुर्गापूजा पंडाल, मेन रोड स्थित दुर्गाबाड़ी सहित कई पंडालों में मंगलवार को माँ दुर्गे को विदाई दी गई। इस दौरान सुहागिनों ने सिंदूर खेला किया। सिंदूर खेला में महिलाओं ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाए। माँ दुर्गे से अपने सुहाग के लंबी उम्र की कामना की।सुहागिनों ने जम कर सिंदूर खेला किया और माँ से आशीर्वाद मांगे।
शहर के अलग-अलग पूजा पंडालों में भी सिंदूर खेला आयोजित किया गया। सिंदूर खेला बंगाली समुदाय के बीच काफी लोकप्रिय परंपरा है। ऐसे में नामकुम के केतारी बागान, डोरंडा, हिनू, कांटा टोली और धुर्वा इलाके में बने पूजा पंडालों में सिंदूर खेला कर सुखी दांपत्य जीवन की कामना की गई।
सिंदूर खेला नवरात्री के दसवें दिन माँ को विदाई स्वरूप किया गया अनुष्ठान होता है। इसमें सुहागिनें माँ दुर्गा को पान के पत्ते से सिंदूर लगाती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके बाद महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर धूमधाम से ये परंपरा निभाती हैं। रस्म के अनुसार माँ की मांग में सिंदूर लगाकर और उन्हें मिठाई खिलाकर मायके से विदा किया जाता है। सुखद दांपत्य जीवन की कामना के साथ ये अनुष्ठान किया जाता है।
एक सौ साल से अधिक पुरानी है परंपरा
राजधानी राँची के दुर्गा बाड़ी में हर साल होने वाली यह सिंदूर खेला की परंपरा का इतिहास लगभग सौ सालों का है। लगातार इस तरह का भव्य कार्यक्रम का आयोजन राँची के दुर्गा बाड़ी में होता रहा है। आज के दिन मां दुर्गा की विदाई से पहले उन्हें सिंदूर और अलता लगाकर विदाई दी जाती है। इसके बाद बंगाली समुदाय की महिलाएं विजया दशमी के दौरान एक दूसरे को सिंदूर लगाकर बधाई देती हैं।