सीएए एनपीआर एनआरसी को लेकर सदन में हंगामा, लोहरदगा हिंसा को लेकर सदन के बाहर भाजपा विधायकों का प्रदर्शन
राँची। झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र में मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू की गई। ज्ञात हो कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए सरकार की ओर से किए गए बड़े एलानों के बीच विधानसभा में विजिटर्स के आने पर सख्त रोक लगा दी गई है। विधानसभा में यहां अब विधायक, अधिकारी और मीडिया को ही कार्यवाही के दौरान मौजूद रहने की परमिशन दी गई है। इधर लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकाले गए जुलूस पर हिंसक भीड़ के हमले के मामले में भाजपा ने राज्य सरकार से न्यायिक जांच कराने की मांग की है। भाजपा विधायकों ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले मुख्य द्वार पर बैनर-तख्तियों के साथ जोरदार प्रदर्शन किया। सदस्यों ने लोहरदगा दंगे की जांच कराओ, न्यायिक जांच कराओ के नारे लगाए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा विधायकों के हंगामे पर कहा कि विधानसभा को मछली बाजार मत बनाइए।
राजमहल से भाजपा विधायक अनंत ओझा द्वारा लोहरदगा मामले पर आज सदन के अंदर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाया गया, जिसे स्पीकर ने नकार दिया। श्री ओझा ने कहा कि राज्य के अंदर आपराधिक मामले बढ़ गए है। वहीं लोहरदगा की घटना सत्ता प्रस्तावित घटना थी। जब सीएए के समर्थन को लेकर अधिकारियों के संरक्षण में प्रदर्शन किए जा रहे थे तो ऐसे में असामाजिक तत्वों ने कैसे हमला किया? उन्होंने सरकार से मांग कीकि इस पूरे मामले की जांच झारखंड हाईकोर्ट के सिटींग जज से करवाई जाएऔर पीड़ितो को उचित मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी नामजद अभियुक्त पर कठोरता से करवाई की जाए और उनकी गिरफ्तारी की जाए।
चंदनकियारी विधायक अमर कुमार बाउरी ने भी सदन में लोहरदगा मामले को उठाया।उन्होंने कहा कि आजतक जहां-जहां भी राज्य में सीएए के समर्थन में प्रदर्शन या जुलूस निकाल गए हैं, उन सभी पर हमला हुआ है। लोहरदगा में भी सीएए के समर्थन में निकाली गई रैली में अधिकारियों के सामने ही लोगों पर हमला और पथराव किया गया। सरकार का कोई भी नेता या अधिकारी अभी तक लोहरदगा पीड़ितों से मिलने नहीं गए हैं।उन्होंने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की। वहीं उन्होंने सरकार के कार्यनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले पांच वर्ष की सरकार में कभी भी… कही भी राज्य में कर्फ्यू नहीं लगा लेकिन मात्र तीन महीने में हेमन्त सरकार को कर्फ्यू लगाने की जरूरत पड़ गयी। सरकार को इसपर गम्भीरता से विचार करने की जरूरत है।