अमानत में खयानत:राँची जानी मानी कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स विजेता प्रोजेक्ट्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड ने 9.50 करोड़ के धोखाधड़ी की दर्ज कराई प्राथमिकी
— लालपुर थाने में कंपनी के एकाउंट एग्जीक्यूटिव मंतोष कुमार सिंह की ओर पटना के रहने वाले अमित कुमार सिंह के विरुद्ध दर्ज कराई गई है प्राथमिकी
— आरोप कंपनी को बिहार के कुंडघाट जलायश योजना के तहत लछवार डैम बनाने का मिला था 72 करोड़ का काम, उसी दौरान अमित सिंह ने की पैसों की गड़बड़ी
राँची।लालपुर थाने में राँची की जानी मानी कंपनी मेसर्स विजेता प्रोजेक्ट्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड के एकाउंट एग्जीक्यूटिव मंतोष कुमार सिंह की ओर से बिहार पटना निवासी अमित कुमार सिंह के विरुद्ध 9.50 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि मेसर्स विजेा प्रोजेक्ट्स को बिहार में जल संसाधन विकास विभाग की ओर से कुंडघाट जलाशय योजना के तहत लछवार डैम बनाने का काम मिला था। यह काम पहले दूसरे ठेकेदार को मिला था लेकिन वह बीच में ही काम छोड़ दिया था। पहले इस काम आठ करोड़ चालीस लाख का था। लेकिन जब विजेता प्रोजेक्ट्स को इसका ठेका मिला तब इस कार्य का प्रोजेक्ट बढ़कर 72 करोड़ रुपए हो गया। कंपनी को काम मिलने के बाद बिहार के पटना निवासी अमित कुमार सिंह ने उनसे संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उन्हें पेटी कांट्रेक्ट पर काम करने लंबा अनुभव है। इस दौरान अमित सिंह कई बार रांची स्थित कंपनी के कार्यालय आए और काम के सिलसिले में बातचीत की। लंबी बातचीत के बाद कंपनी ने उनपर भरोसा करते हुए पावर अॉफ अॉटर्नी 10 जून 2017 को दिया। इसके बाद उन्होंने 25 जनवरी 2018 को पूरक एकरानामा किया। कंपनी को बिहार सरकार द्वारा कुल 72 करोड़ रुपए का काम करना था। इस काम के लिए कंपनी के प्रबंध निदेश द्वारा एसबीआई पटना मुख्य शाखा का चालू खाता का कुछ सादा चेक हस्ताक्षर कर अमित कुमार सिंह को दिया गया। शुरूआत में अमित सिंह ने अच्छे से काम किया और कंपनी का भरोसा जीता।
एफआईआर में आरोप पहले भरोसा जीता फिर किया अमानत में खयानत
प्राथमिकी में आरोप है कि अमित सिंह ने कंपनी के प्रबंधन को झूठा आश्वासन देकर गलत भरोसा दिला मुख्तारनामा व कंपनी के प्रबंध निदेशक द्वारा हस्ताक्षर युक्त सादा चेक बुक रांची स्थित कंपनी के कार्यालय से हासिल किया। इसके बाद नाजायज तरीके से अमित सिंह ने मंगलमूर्ति कंस्ट्रक्शन के नाम से फर्म बनाकर पांच करोड़ बासठ लाख रुपए अलग अलग तिथियों को उसमें ट्रांसफर कर लिए। कंपनी का पैसा गबन करने के लिए अमानत में खनायत किया। अमित सिंह ने जलाशय परियोजना का काम रोक दिया। कंपनी को जब इसकी पता चला तो जांच हुई। जिसमें यह भी बात सामने आई कि अमित सिंह ने कंपनी के नाम 3 करोड़ 82 लाख रुपए विभिन्न अापूर्तिकर्ताओं का भी पैसा धोखाधड़ी से गबन कर रख लिया।