राँची:सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गई,अगर काम नहीं कर पा रहे हैं तो इस्तीफ़ा देकर चले क्यों नहीं जाते हैं-हाइकोर्ट
राँची।झारखण्ड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राँची के सिविल सर्जन पर कड़ी टिप्पणी की।कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी है। अगर वह काम नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते। कोर्ट की नाराजगी रिम्स की व्यवस्था से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सिविल सर्जन के जवाब को लेकर थी।
कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट से जुड़े लोगों का सैंपल पिछले 4 दिनों से जांच के लिए नहीं भेजा जा रहा है।। 5 तारीख को सैंपल लिया गया था. अब तक जांच क्यों नहीं हुई. अदालत ने सिविल सर्जन से पूछा कि सैंपल रख कर क्या कर रहे हैं
हाईकोर्ट से जुड़े लोगों के साथ ऐसा सुलूक है, तो सिविल सर्जन आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होंगे. इतना ही नहीं, कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी. अगर वह अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते?
अदालत ने सुनवाई के दौरान उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य सचिव को मौजूदा स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि सिविल सर्जन की लापरवाही के चलते सारे सैंपल सड़ रहे हैं। 80 प्रतिशत सैंपल की जांच नहीं हुई है. इस तरह का रवैया लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है. कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर सिविल सर्जन से विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने को कहा है।इस मामले की अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि निर्धारित की गयी है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के दिन राज्य के स्वास्थ्य सचिव, रिम्स के निदेशक और सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है. राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता और रिम्स की तरफ से अधिवक्ता आकाशदीप अदालत के समक्ष पक्ष रखा।