#मंगल कामना:पति की लंबी उम्र और घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना के लिए हरितालिका तीज व्रत आज…
राँची।सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना के लिए हरितालिका तीज व्रत करती हैं।हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज आज 21 अगस्त,शुक्रवार को मनाई जाएगी।मान्यता है कि जो सुहागन स्त्रियां इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं, उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना से हरतालिका तीज व्रत करती हैं।
पति की लंबी उम्र की कामना लिए आज होगा तीज पर्व
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते हर पर्व त्योहार फीका पड़ते जा रहा है फिर भी कोरोना काल मे धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं लेकिन जो उमंग और बाजारों में रौनक रहती थी वो सब गायब है।तीज को लेकर तैयारी पूरी हो चुकी है। आज तीज का त्योहार मनाया जाएगा। पति की लंबी उम्र की कामना को लेकर सुहागिन महिलाएं तीज की पूजा करेंगी। हरितालिका व्रत को लेकर सुहागिन महिलाओं का उत्साह चरम पर है।
तीज व्रत को लेकर बाजार में सुबह से चहल-पहल है।शारीरिक दूरी का पालन करते हुए तीज की पूजा होगी। तीज को लेकर महिलाओं ने अपनी ओर से पूरी तरह से तैयारी कर ली है। महिलाओं द्वारा कपड़ा, पूजन सामग्री, श्रृंगार के संसाधन सहित अन्य सामानों की खरीद कर ली गई है।तीज को लेकर महिलाओं में उत्साह है। शारीरिक दूरी के नियमों के पालन के तहत शुक्रवार को तीज का त्योहार मनाया जाएगा। भगवान की पूजा-अर्चना करते हुए पति की दीर्घायु की कामना की जाएगी। तीज को लेकर महिलाओं में एक अलग ही उत्साह नजर आ रहा है।
इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन ही देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए व्रत और पूजन किया था। तब से ही सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र का वरदान पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन माता पार्वती को सुहाग का सभी श्रृंगार अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे प्रसन्न हो देवी पार्वती भी व्रती स्त्री के सुहाग की लंबी उम्र होने का आशीर्वाद देती हैं।
देवी पार्वती का सुहाग का सामान
इस व्रत को रखने वाली महिलाएं पूरे दिन गौरी शंकर की पूजा में लीन रहती हैं। मां पार्वती का श्रृंगार करती हैं। महिलाएं इस दिन मां पार्वती को सुहाग का सामान चढ़ाती हैं। मां पार्वती को अर्पित किये जाने वाली सामग्रियों में सिंदूर, बिंदी, काजल, लिपिस्टिक, इत्र, लाल चुनरी, गले का हार, कानों के झुमके, नाक की लौंग, कंघी, शीशा, तेल, नाखून पेंट, चूड़ियां, मेहंदी, कमरबंद, बिछुए, पायल, महावर जैसी महत्वपूर्ण चीजें शामिल हैं।
बता दें कि इस त्योहार को बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, और भी दूसरे उत्तरी राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है।
हरतालिका तीज व्रत पूजा की सामग्री
कुमकुम
बेलपत्र
कलावा
गुड़हल का फूल
धतूरे का फल एवं फूल
शमी की पत्तियां या फूल
अकांव का फूल
पांच तरह के फल
पांच तरह के मेवे
पांच तरह की मिठाई
श्रीफल
जयफल
सुपारी
लौंग
इलायची
चंदन
गंगाजल
शहद
दूध
दही
गन्ने का रस
घी/तेल
ज्योत
चंदन की लकड़ी की अगरबत्ती
दक्षिणा
हरतालिका तीज शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि आरंभ – 21 अगस्त, शुक्रवार सुबह 02 बजकर 13 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त – 21 अगस्त, शुक्रवार रात 11 बजकर 02 मिनट तक
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त
सुबह 05 बजकर 54 मिनट से साढ़े 8 बजे तक
प्रदोष काल हरतालिका पूजा मुहूर्त – शाम 06 बजकर 54 मिनट से 09 बजकर 06 मिनट तक
घर पर ही बनाएं प्रतिमा
घर पर ही मिट्टी या बालू की भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की जाती है. इसके साथ ही सोलह शृंगार की सामग्री मां पार्वती को अर्पण कर अखंड सुहाग की कामना करें.
आज महिलाओं का करें सम्मान
आज हरतालिका तीज है. इस दिन पति को स्त्रियों का सहयोग करना चाहिए, उनका सम्मान करें और इस दिन पति अपनी पत्नी के लिए अच्छे संदेश दें. बोलते समय अपशब्दों का बिल्कुल प्रयोग न करें. पत्नी का सहयोग करें और उनकी पूजा में शामिल भी हों.
कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं निर्जला व्रत
इस दिन पार्वती जी ने निर्जला व्रत रखकर शिव जी को प्राप्त किया था. इसलिए इस दिन शिव पार्वती की पूजा का विशेष विधान है. जो कुंवारी कन्याएं अच्छा पति चाहती हैं या जल्दी शादी की कामना करती हैं उन्हें भी आज के दिन व्रत रखना चाहिए. इससे उनके विवाह का योग बन जाएगा.
आज हरे रंग का है विशेष महत्व
तीज व्रत में दुल्हन की तरह सजें और हरे कपड़े और जेवर पहनें. व्रती महिलाओं को पानी नहीं पीना चाहिए. हरितालिका व्रत निर्जला रखी जाती है. इस दिन मेहंदी लगवाना शुभ माना जाता है. नवविवाहित महिलाएं अपनी पहली तीज पर मायके जाती हैं.
हरतालिका तीज पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठें और स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- अब बालू रेत से भगवान गणेश, शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं।
- एक चौकी पर अक्षत (चावल) से अष्टदल कमल की आकृति बनाएं।
- एक कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, अक्षत, सिक्के डालें।
- उस कलश की स्थापना अष्टदल कमल की आकृति पर करें।
- कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाकर नारियल रखें।
तीज के दिन सोलह श्रृंगार करें और गीत गाएं
हरियाली तीज के दिन सौभाग्यवती व्रती स्त्रियों को श्रृंगार अवश्य करने चाहिए। सभी 16 श्रृंगारों काे करने से देवी प्रसन्न होती हैं। मेहंदी, चूड़ी और हरी साड़ी अवश्य पहनने चाहिए। साथ ही श्रृंगार रस वाले गीत भी गाएं।
काले, सफेद वस्त्र नहीं पहनें
अशुभ होते हैं, लाल, हरा, गुलाबी, पीले रंग के कपड़ पहनें
हरियाली तीज के अवसर पर महिलाओं को सफेद और काले रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। ये अशुभ होते हैं। इस दिन हरियाली के प्रतीक हरे, लाल, गुलाबी या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होती हैं।
मां पार्वती की शृंगार की वस्तुएं दान करें
हरितालिका तीज पूजा के बाद व्रती महिलाओं को मां पार्वती की शृंगार की वस्तुएं और वस्त्र आदि ब्राह्मण को दान करना चाहिए। इससे बड़ा पुण्य मिलता है।
तीजोत्सव पर मां की प्रतिमा को पालकी में बिठाकर झांकी भी निकाली जाती है
तीजोत्सव व्रत में हाथों में नई चूड़ियां, पैरों में आलता और मेहंदी लगाती है। इस दौरान मां पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। इस व्रत में कई स्थानों पर मां की प्रतिमा को पालकी में बिठाकर झांकी भी निकाली जाती है.
तीज पर झूला झूलने की भी है परंपरा
तीज पर झूला झूलने, हरियाली का प्रतीक हरे रंग की साड़ी पहनने, गीत गाने और रात में जागरण कर पार्वती और शिव की महिमा बखानने और बताने की परंपरा रही है।
हरियाली तीज की कथा से मिलती है व्रत की प्रेरणा
हरियाली तीज की पूजा करते समय सभी व्रती महिलाओं को पर्व की कथा जरूर सुननी चाहिए। इससे उनको व्रत की प्रेरणा मिलती है और दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए त्याग और तपस्या का भाव पैदा होता है।
विधि-विधान से करें हरितालिका पूजा
हरितालिका व्रत रखने वाली स्त्री को भगवान शंकर और पार्वती की पूजा विधि-विधान से और पूरे श्रद्धाभाव से करनी चाहिए। व्रत कठिन है, लेकिन फल अधिक है।
एक व्रत आरंभ कर देने के बाद जीवन पर्यंत निभाने का है विधान
इस व्रत की पात्र कुमारी कन्यायें या सुहागिन महिलाएं दोनों ही हैं परन्तु एक बार व्रत रखने बाद जीवन पर्यन्त इस व्रत को रखना पड़ता है। यदि व्रती महिला गंभीर रोगी हालात में हो तो उसके वदले में दूसरी महिला या उसका पति भी इस व्रत को रख सकने का विधान है। ज्यादातर यह व्रत उत्तरप्रदेश और बिहार के लोग मनाते हैं ।
पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित करने का विधान
व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और स्नान करने के बाद पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।
नकारात्मक विचारों का होता है नाश
सुखद दांपत्य जीवन और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है। व्रत करने वाले को मन में शुद्ध विचार रखने चाहिए। यह व्रत भाग्य में वृद्धि करने वाला माना गया है। इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। नकारात्मक विचारों का नाश होता है।
कथा के बिना होता है अधूरा…
यह व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए। इस व्रत में कथा का विशेष महत्व है। कथा के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।
सुहाग का सभी श्रृंगार करें अर्पित
इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन ही देवी पार्वती ने भगवान शंकर को पति रूप में पाने के लिए व्रत और पूजन किया था। तब से ही सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र का वरदान पाने के लिए यह व्रत करती हैं। इस दिन माता पार्वती को सुहाग का सभी श्रृंगार अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे प्रसन्न हो देवी पार्वती भी व्रती स्त्री के सुहाग की लंबी उम्र होने का आशीर्वाद देती हैं।