डॉक्टरों ने कहा-मर गई है, फिर खुद करने लगा का इलाज, दुर्गंध फैली तो पड़ोसियों ने पुलिस बुलाई,माँ का शव बेटे ने 4 दिन घर में रखा था…
धनबाद।झारखण्ड के धनबाद में मरी माँ को जिंदा बताकर एक युवक ने चार दिनों तक शव घर में रखा। इन चार दिनों में जब महिला की लाश डिकंपोज होने लगी, तो उसकी दुर्गंध पूरे मोहल्ले में फैलने लगी। फिर पड़ोसियों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद पुलिस ने मृतक महिला के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।बताया जा रहा है कि डॉक्टरों के कहने पर भी उसे यकीन नहीं हुआ है और मृतक माँ को घर में रखकर खुद इलाज करने लगा। इसके लिए वह इंटरनेट का सहारा ले रहा था। जानकारी के मुताबिक, महिला का बेटा दूसरे शहर में नौकरी करता है।
मृतका की पहचान आशा देवी (70 साल) के रूप में की गई है। वह अपनी बहन और बेटे सौरभ उपाध्याय (38) के साथ दो मंजिला मकान में रहती थी। घटना जिले के हीरापुर थाना क्षेत्र के मास्टरपाड़ा की है।
मिली जानकारी के मुताबिक, आशा देवी की मौत चार दिन पहले ही हो चूकी थी, लेकिन बेटे को लगा की उसकी मां बीमार है। फिर वह अपनी मां को सदर अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने भी महिला को मृत घोषित कर दिया। सौरभ को यकीन नहीं हुआ और अपनी मां को एंबुलेंस से निजी अस्पताल ले गया। वहां भी डॉक्टरों ने जवाब दे दिया।
अभी भी सौरभ को यकीन था कि उसकी मां जिंदा है। वह एंबुलेंस से मां को घर छोड़ने की जिद करने लगा। उसकी हरकत से परेशान होकर एंबुलेंस चालक ने उसे वापस घर छोड़ दिया। इसके बाद भी सौरव को मां के निधन का विश्वास नहीं हुआ। उसने मां को घर पर ही रख कर इंटरनेट से जानकारी लेकर खुद ही इलाज करना शुरू कर दिया।
चार दिनों तक शव को घर में रखने पर शुक्रवार को मास्टरपाड़ा क्षेत्र में तेज दुर्गंध फैल गई। दुर्गंध से परेशान स्थानीय लोगों ने जानकारी हासिल की, तो पता चला कि मोहल्ले के सौरव उपाध्याय के घर से दुर्गंध आ रही है। लोगों ने घर जाकर देखा तो सौरभ की मां की डेड बॉडी पड़ी थी।
इसके बाद स्थानीय लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। लोगों ने पुलिस की मदद से शनिवार शाम मृत आशा देवी को एक बार फिर शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भिजवाया। वहां डॉक्टरों ने कहा कि इनकी मौत हो चुकी है। इधर पुलिस का कहना है कि शव का पोस्टमार्टम कराकर मौत के कारणों का पता लगाया जाएगा। फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पड़ोसियों का आरोप है कि युवक की मानसिक स्थिति सही नहीं है। स्थानीय लोग दुर्गंध की वजह से खाना नहीं खा पा रहे। सभी इंतजार में थे कि कब यहां से शव हटे।लोगों की माने तो दो मंजिला घर में पुत्र सौरव उपाध्याय, मां आशा देवी और सौरव की मौसी रहती थी। जबकि पिता के बारे में कहा जाता है कि वह किसी दूसरे शहर में निजी कंपनी में कार्यरत हैं। घटना की सूचना पाकर सौरव उपाध्याय के मामा आसनसोल बंगाल से धनबाद पहुंचे हैं।