कुछ तो गड़बड़ है: देश संकट से लड़ रहा और तब्लीगी जमात मजहबी प्रपंच में डूबा रहा
राँची। जब पूरा देश कोरोना वायरस के खतरे से जंग में देश के नागरिकों के सुरक्षा के लिए लॉक डाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों का पालन कर रहा था तो मुस्लिमों का तबलिगी जमात अपने देशी ही नहीं विदेशी प्रचारकों को भी देश के विभिन्न हिस्सों में धर्म का प्रचार-प्रसार करने के काम में जुटा रखा था। उसे देश के सामने खड़े कोरोना जैसे खतरनाक महासंकट के दौर में भी चिंता थी तो सिर्फ अपनी मजहब की। यही वजह है कि उसने न तो प्रधानमंत्री की अपीलों की चिंता रही न हीं देश के राज्यों के मुख्यमंत्री के अपीलों की। उसे केवल अपनी मजहब भी के प्रचार प्रसार की चिंता रही। इन तबलीगी जमात के लोगों ने देश के सामने आज बहुत बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। इन मजहबी प्रपंचकारों को यह भी ख्याल नहीं रहा कि महामारी जात धर्म समुदाय नहीं देखती। तब्लीगी जमात ने जानबूझकर ही अपने समाज के लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर गई। इन्हें न देश की चिंता रही न ही इन्होंने अपने समाज के लोगों की स्वास्थ्य की तनिक भी परवाह की।
राँची में भी पकड़ा चुके हैं दर्जनों विदेशी नागरिक
रांची के तमाड़ में भी धर्म प्रचार की ऐसा ही खेल चल रहा था। राँची जिले के तमाड़ स्थित रड़गांव की मस्जिद से 11 विदेशी मुसलमानों को हिरासत में लिया गया। इन सबको मुसाबनी स्थित कॉन्स्टेबल ट्रेनिंग स्कूल भेजा गया। ये सभी मुस्लिम धर्म प्रचारक चीन, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान के हैं। पुलिस ने इन्हें हिरासत में लेकर इनके पासपोर्ट जब्त कर लिए। इसके बाद चंद दिनों पहले रांची के हिंदपीढ़ी इलाके के बड़ी मस्जिद से एक साथ 18 विदेशी मौलवी पकड़े गए थे। इनमें ब्रिटेन के नागरिक समेत केन्या, पोलैंड, मलेशिया और वेस्टइंडीज के स्कॉलर शामिल थे। इन सभी के बारे में केंद्रीय जांच एजेंसी ने भी जानकारी जुटाई है। एनआइए की टीम ने इन मुस्लिम स्कॉलरों से घंटों पूछताछ की। फिलहाल सभी विदेशी मौलवियों के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए हैं। कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए पकड़े गए सभी विदेशी नागरिकों सहित कुछ भारतीय नागरिकों को क्वारंटाइन किया गया है।
दिल्ली में तबलीगी जमात के आयोजन में इन राज्यों के लोग हुए थे शामिल
तब्लीगी जमात के मरकज पर आयोजित इस आयोजन में 281 विदेशी नागरिकों समेत 19 प्रदेशों के 1830 लोग शामिल हुए थे। झारखंड से 46, अंडमान से 21, असम से 216, बिहार से 86, हरियाणा से 22, हिमाचल से 15, हैदराबाद से 55, कर्नाटक से 45, महाराष्ट्र के 115, मेघालय में 5 और केरल से 15, मध्य प्रदेश से 107, ओडिशा से 15, पंजाब से 9, राजस्थान से 19, तमिलनाडु से 501, उत्तराखंड से 34, उत्तर प्रदेश से 156 और पश्चिम बंगाल से 73 लोग आए थे. इस जमात में इंडोनेशिया, श्रीलंका समेत 15 देशों के 281 लोग भी आए थे. मरकज में शामिल लोगों और उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश शुरू हो गई है.
खुफिया विभाग और केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शुरू की जांच
मामले के उजागर होने के बाद खुफिया विभाग और केंद्रीय जांच एजेंसियां हरकत में आ गई हैं। तबलीगी मरकज के आतंकी कनेक्शन की भी पड़ताल कर रही है। खतरा यह भी है कि कोरोना वायरस को आतंकी बॉयोलॉजिकल हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो यह काफी खतरनाक होगा। अब तक रांची के दो मस्जिदों से कुल 29 विदेशी मौलवी पकड़े जा चुके हैं। इस बारे में खुफिया विभाग पड़ताल में जुटी है। इधर पुलिस की ओर से ऐसे विदेशियों के मस्जिदों में बिना जानकारी के छुपे रहने को लेकर रांची को सुरक्षित पनाहगाह मानने की दिशा में जांच की जा रही है।