टेंडर कमीशन घोटाला:ईडी का दावा 3000 करोड़ का है घोटाला,मंत्री आलमगीर से पांच दिन और होगी पूछताछ…
–मनरेगा घोटाला में आईएएस पूजा सिंघल, जमीन घोटाला में आईएस छवि रंजन की गिरफ्तारी के बाद अब टेंडर कमीशन घोटाला में मनीष रंजन की बढ़ी गिरफ्तारी की संभावना
–ईडी ने कोर्ट को दिए टेंडर कमीशन घोटाला के साक्ष्य, मंत्री आलमगीर के रिमांड पिटिशन में बताया कमीशन की राशि बांटने के लिए कोड का होता था इस्तेमाल
राँची।टेंडर कमीशन घोटाला में गिरफ्तार ग्रामीण विकास विभाग मंत्री आलमगीर आलम की 6 दिन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद ईडी ने उन्हें पीएमएलए की विशेष कोर्ट में प्रस्तुत किया। ईडी ने कोर्ट में प्रस्तुत करते हुए उनकी आठ दिन का और रिमांड देने का आग्रह किया। जिस पर ईडी की विशेष कोर्ट ने पूछताछ के लिए और पांच दिन का रिमांड स्वीकृत किया। ईडी ने कोर्ट को आलमगीर आलम के रिमांड पिटिशन में बताया है ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर में बड़े पैमाने पर कमीशन का खेल हुआ है। टेंडर में वसूले गए कमीशन की राशि में से एक बड़ा हिस्सा मंत्री आलमगीर आलम को भी जाता था। यह भी बताया है कि पिछले दिनों 6 मई को हुई छापेमारी में मिले दस्तावेज, जिसमें मंत्री को भी कमीशन की राशि दी जाती थी, इससे संबंधित दस्तावेज मिले थे, जिसे ईडी ने कोर्ट को साक्ष्य के रूप में दिया है। ईडी की ओर से कोर्ट को दिए गए एक और दस्तावेज में बताया गया है कि “साहब” को कितनी राशि दी गई। उसमें यह भी जिक्र है कि स्पेशल डिवीजन ने कितनी राशि दी और आरईओ से कितनी राशि ली गई। कोड में लिखा गया है कि “साहब” को 2.50 करोड़ दिया गया। “एम” को एक करोड़ अलग से दिया गया। अब ये “एम” मिनिस्टर के लिए लिखा गया है या फिर पूर्व सचिव मनीष रंजन के लिए इसका ईडी जांच कर रहा है। इस संबंध में मंत्री आलमगीर के आप्त सचिव रहे संजीव लाल से पूर्व में ईडी पूछताछ कर चुका है। दस्तावेज में टेंडर लेने वाले उन ठेकेदारों का भी जिक्र किया गया है जिनसे पैसे लेने है या फिर जिसने दे दिए है। राँची, बोकारो, चतरा, डालटनगंज, देवघर, गढ़वा, गिरिडीह, जमशेदपुर, लातेहार और पाकुड़ जिले के अलग अलग संवेदक जिन्हें विभाग से टेंडर मिला था, उनके लिए अलग अलग कोड का इस्तेमाल किया गया है। किसी के लिए “टी” तो किसी के लिए “वी” का इस्तेमाल किया गया है। कोर्ट में जिस दस्तावेज का जिक्र किया गया है उक्त कमीशन की राशि सिर्फ दो माह अगस्त और सितंबर 2023 की सिर्फ दी गई है। ईडी ने कोर्ट से बताया है कि इस लिए आलमगीर आलम से पूछताछ जरूरी है।
अपराध की अनुमानित आय करीब 3000 करोड़ रुपए
सर्वोच्च न्यायालय में भी झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के अंतरिम जमानत से जुड़े मामले में दाखिल हलफनामे में ईडी ने दावा किया है कि झारखण्ड में 3000 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर घोटाला हुआ है। टेंडर कमीशन में भी बड़ा खेल हुआ है। टेंडर कमीशन घोटाला मामले में ही ईडी ने राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम को गत 15 मई को पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था। वे 17 मई से ईडी की रिमांड पर हैं, जिनसे पूछताछ चल रही है। मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी वर्क आर्डर आवंटन के बदले ठेकेदारों, इंजीनियरों से कमीशन वसूलने के मामले में हुई है। कमीशन की राशि मंत्री से लेकर विभाग के अन्य नौकरशाहों तक पहुंचता था। इससे पहले ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले मामले में गत वर्ष 23 फरवरी को ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था। उनके विरुद्ध जांच में पता चला था कि वीरेंद्र राम ने करीब सवा सौ करोड़ की अवैध संपत्ति अर्जित की है। इसके बाद छानबीन में पता चला कि इस टेंडर कमीशन घोटाले में ग्रामीण विकास विभाग के नेता भी शामिल हैं।
मनीष रंजन ग्रामीण विकास विभाग में थे सचिव
टेंडर कमीशन घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अनुसंधान कर रहे ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव आईएएस मनीष रंजन को समन किया है। उन्हें 24 मई को पूछताछ के लिए ईडी ऑफ़िस बुलाया गया है। मनीष रंजन वर्तमान में भू-राजस्व, सड़क व भवन निर्माण विभाग में सचिव हैं। ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन में शामिल बड़े गिरोह के खुलासे के क्रम में ही मनीष रंजन का नाम सामने आया है। अब एक बार फिर चर्चा का बाजार गर्म है कि जिस तरह ईडी ने मनरेगा घोटाला में आईएस पूजा सिंघल, जमीन घोटाला में आईएएस छवि रंजन को गिरफ्तार किया। कहीं टेंडर कमीशन घोटाला में अब अब आईएएस मनीष रंजन की तो बारी नहीं। क्योंकि इसी माह ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम, उनके निजी सचिव संजीव लाल व संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया है। इन सबसे जुड़े ठिकानों से ईडी ने करीब 37.5 करोड़ रुपये नकदी के अलावा भारी मात्रा में लेन-देन से संबंधित दस्तावेज, डिजिटल उपकरण आदि बरामद किया था। इन सभी दस्तावेजों की छानबीन, रुपयों के बारे में आरोपितों से पूछताछ में यह बात सामने आई है कि इस टेंडर कमीशन गैंग में मनीष रंजन भी शामिल थे, जिनके निर्देश पर भी टेंडर में कमीशन की वसूली हुई है।
कोर्ट में दिए गए लेने देने के दस्तावेज में कोड में नामों को जिक्र
ईडी ने कोर्ट को जो दस्तावेज उपलब्ध कराए है उनमें जिन्हें कमीशन दिया जाता था उनके नाम की जगह कोड का इस्तेमाल किया गया है। इसमें “डीएस” यानि डिप्टी सेक्रेटरी, “यू” यानि अंडर सेक्रेटरी, “एम” यानि मनीष, “एच” यानि ऑनरेबल मिनिस्टर और “सीई” यानि चीफ इंजीनियर इनका जिक्र है। उन्हें कितनी राशि दी गई ये भी कोड में जिक्र किया गया है।
डायरी के अनुसार किसे कितना भुगतान
डीएस (डिप्टी सेक्रेटरी) : 21.07 करोड़।
यू (उमेश) : 5.95 करोड़।
एम (मनीष) : 4.22 करोड़।
एच (आनरेबल मिनिस्टर) : 7.30 करोड़।
सीई (चिफ इंजीनियर) : 1.33 करोड़