#JHARKHAND:डीजीपी की नियुक्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, यूपीएससी,झारखण्ड सरकार और झारखण्ड के वर्तमान प्रभारी डीजीपी एमवी राव को नोटिस जारी किया,प्रभारी डीजीपी बनाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की।
राँची।झारखण्ड के नये पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) की नियुक्ति पर गुरुवार 13 अगस्त, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, यूपीएससी,झारखण्ड सरकार और झारखण्ड के वर्तमान प्रभारी डीजीपी एमवी राव को नोटिस जारी किया।एमवी राव को झारखण्ड का प्रभारी डीजीपी बनाने के हेमंत सोरेन सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि इस मामले में पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे को भी पार्टी बनायें।सुप्रीम कोर्ट ने पीटिशनर को याचिका से संबंधित कुछ दस्तावेज संलग्न करने के भी निर्देश दिये हैं।चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई की।
झारखण्ड गिरिडीह के रहने वाले और सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रह्लाद नारायण सिंह ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर कहा था कि डीजी (होमगार्ड) एमवी राव को झारखण्ड का प्रभारी डीजीपी बनाने से वह दुखी हैं।उन्होंने इस नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले की अवमानना बताया।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से पहले ही यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर दो साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही डीजीपी के पद से केएन चौबे को हटाने की वजह पूछी।
यूपीएससी ने राज्य सरकार की ओर से भेजे गये पांच आइपीएस अधिकारियों के पैनल पर विचार करने से भी इन्कार कर दिया।यूपीएससी ने मुख्य सचिव से पूछा है कि कमल नयन चौबे का दो साल का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ, तो उन्हें पद से क्यों हटाया गया।
यूपीएससी ने झारखण्ड सरकार को स्पष्ट कर दिया कि जब तक कमल नयन चौबे को पद से हटाये जाने की वजह स्पष्ट नहीं होगी, यूपीएससी राज्य सरकार की ओर से भेजे गये पैनल पर कोई विचार नहीं करेगा।कमीशन ने पूछा है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के दायरे में आने वाली किसी वजह से उन्हें (केएन चौबे को) हटाया गया है।
उल्लेखनीय है कि झारखण्ड की हेमंत सोरेन सरकार ने 16 मार्च, 2020 को अचानक ही केएन चौबे को महज नौ माह के कार्याकाल के बाद हटाकर दिल्ली में आधुनिकीकरण का ओएसडी बना दिया।उनकी जगह एमवी राव को प्रभारी डीजीपी नियुक्त कर दिया गया
दो साल के भीतर डीजीपी को हटाना गलत
हेमंत सोरेन की सरकार ने झारखण्ड के संभावित डीजीपी के रूप में 5 आइपीएस अधिकारियों की लिस्ट यूपीएससी को भेजी थी। यूपीएससी ने इसके जवाब में कहा है कि 31 मई, 2019 को राज्य सरकार ने केएन चौबे का नोटिफिकेशन बतौर डीजीपी निकाला था।
इसमें आगे कहा गया है कि यूपीएससी के इम्पैनलमेंट कमेटी मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अंतर्गत भेजे गये नामों के आधार पर यह चयन दो साल के लिए हुआ था।यूपीएससी ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि यूपीएससी की ओर से राज्य के तीन वरीय अफसरों के नाम का पैनल भेजा जायेगा।
अफसरों की बेहतर सर्विस रिकॉर्ड, सेवा की अवधि और पुलिस विभाग में अनुभवों के आधार पर इन तीन वरीय अफसरों में एक को राज्य सरकार को डीजीपी के पद पर दो सालों के लिए चुनना होगा।
कब हटाया जा सकता है पुलिस महानिदेशक को
दो साल के भीतर इन पुलिस अधिकारियों को तभी हटाया जा सकता है, जब इन्हें ऑल इंडिया सर्विस रूल्स में दोषी पाया गया हो, किसी मामले में कोर्ट ने उन्हें कोई सजा सुनायी हो या अधिकारी शारीरिक वजहों से काम करने में अक्षम हो।
इन 5 लोगों की सरकार ने भेजी थी सूची
वर्तमान कार्यकारी पुलिस महानिदेशक एमवी राव, एसएन प्रधान, केएन चौबे, नीरज सिन्हा और अजय कुमार सिंह के नाम यूपीएससी को मंजूरी के लिए भेजे गये थे। एमवी राव को कार्यकारी पुलिस महानिदेशक बनाये जाने से पहले केएन चौबे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक थे।
इस वक्त श्री चौबे दिल्ली में पुलिस आधुनिकीकरण का काम देख रहे हैं. एसएन प्रधान सेंट्रल डेप्युटेशन पर हैं और एनडीआरएफ के महानिदेशक हैं।वहीं, अजय कुमार सिंह वायरलेस एडीजी हैं और नीरज सिन्हा एसीबी के डीजी। जुलाई के अंत में रेल डीजी वीएस देशमुख के रिटायर होने के बाद अजय कुमार सिंह को डीजी के पद पर प्रोन्नति मिलना तय है।हालांकि, अभी इसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई है।