सावन 2021:इस बार भी सावन बाजार और श्रावणी मेला कोरोना की भेंट चढ़ गया,नहीं गूँजेगी बोल बम के नारे
राँची।इस बार भी बोलबम जाने वाले श्रद्धालुओं को कोरोना को लेकर निराशा हाथ लगी है।वहीं श्रद्धालुओं को लेकर दुकानदार वर्ग तक वर्षभर भगवान शिव का पवित्र महीना सावन मास का इंतजार करते हैं। मगर इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण कांवर यात्रा नहीं होगी। मेला का भी आयोजन नहीं होगा। ऐसे में इस वर्ष भी सावन का बाजार संक्रमण की भेंट चढ़ जाएगा। सावन शुरू होने में एक सप्ताह से कम का वक्त रह गया है। मगर बाजार में हलचल बिल्कुल नहीं दिख रही है। आमतौर पर केसरिया कपड़ों, सुंदर कांवर और पूजा सामग्री से सजा रहने वाला बाजार सुना है। इसका असर बाजार व्यापारियों पर पड़ा है।
चुटिया,अपर बाजार,रातू रोड समेत कई बाजारों में जहां सावन शुरू होने के 15 दिन पहले रौनक रहती थी वहीं पिछले साल और अब इस साल सन्नाटा पसरा है।इधर अपर बाजार के थोक व्यापारी अजय मलकानी बताते हैं कि वे करीब तीस सालों से कांवर यात्रा का सामान बेच रहे हैं। इसमें कांवर से लेकर कपड़ा और जलभरी लोटा भी शामिल है। वो बताते हैं कि अपर बाजार से केवल राँची ही नहीं, बल्कि अनगड़ा, कांके, ओरमांझी, सिल्ली, खूंटी, बुंडू, मांडर, बेड़ो, पतरातू, गोला, तमाड़, मुरहू, खलारी, मुरी सहित कई स्थानों के छोटे बाजारों में माल जाता था। अकेले अपर बाजार में एक महीने में कम से कम दस से पंद्रह करोड़ का थोक काम होता था।
इसके बाद शहर के अलग-अलग हिस्सों में फुटपाथ पर सजने वाली दुकान का अर्थव्यवस्था में अलग से योगदान होता था। मगर दो साल से बड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि बड़े व्यापारियों ने अपने इस मौसमी काम को छोड़कर कुछ और शुरू कर दिया है। मगर फुटपाथ पर सावन का दुकान लगाने वाले छोटे दुकानदारों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। डोरंडा में कांवर बनाने का काम करने वाले सुनील गुप्ता बताते हैं कि कांवर बनाने का काम केवल सावन में करते हैं। वैसे फोटो फ्रेम बनाने का काम है।वे बताते हैं कि पहले चीन से कांवर में सजाने के लिए फूल आदि आता था। अभी दो वर्ष से कोरोना के कारण सब बंद है। सावन में कम से कम एक से दो लाख तक का कांवर बनाकर अलग-अलग जगहों पर सप्लाई देते थे। अभी पिछले वर्ष जो कांवर बनाई गई थी, वह अभी तक गोदामों में पड़ी हुई है। पिछले वर्ष कांवर व अन्य पूजा सामग्री में बेहद नुकसान हुआ था। उसकी भरपाई अभी तक नहीं हो पाई है। सोचा था कि इस वर्ष सरकारी आदेश के अनुसार देवघर का बाबा मंदिर और राँची के पहाड़ी मंदिर को खोलने की अनुमति दी जाएगी। मगर कोरोना की संभावित तीसरी लहर के कारण ऐसा हो नहीं सकेगा।
–मैं बाबा बैजनाथ और बाबा बासुकीनाथ के शरण में हर साल सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से जल भर पैदल कांवर यात्रा कर रहे थे। लगातार 1996 से 2019 तक गए।पिछले साल बोलबम कांवर यात्रा बंद रहा सोचा इस बार फिर बाबा के शरण में पैदल जाने का मौका मिलेगा।लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार भी नहीं जा सकेंगे।थोड़ी निराश जरूर हैं लेकिन बाबा भोलेनाथ के प्रति श्रद्धा और विश्वास पूरा है।कोरोना भागेगा और फिर से बाबा नगरी में पैदल कांवर यात्रा शुरू होगा।बोल बम बोल बम –रोहित सिंह,राँची
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फोटो-2019 की है