प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी का निधन,नागपुरी साहित्यकारों में शोक की लहर
डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो
राँची। विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ हरि उराँव ने हिन्दी और नागपुरी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका जाना हमारे लिए बहुत बड़ी क्षति है।जिसकी भरपाई कभी संभव नहीं है. उन्होंने नागपुरी भाषा को एक नयी पहचान दिलायी. उन्होंने बताया कि रांची विश्वविद्यालय में उनके द्वारा लिखी गयी नागपुरी व्याकरण की किताब पढ़ाई जाती थी।
प्राध्यापक डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी के द्वारा नागपुरी भाषा को स्थापित करने में किये गए बहुमूल्य योगदान को युगों युगों तक याद किया जायेगा. उन्होंने बताया कि डॉ गोस्वामी नागपुरी भाषा में पीएचडी शोध करने वाले पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने अपने शोध के माध्यम से नागपुरी भाषा को स्वतंत्र रूप में स्थापित किया. उन्होंने अपने शोध के माध्यम से इस बात को सिद्ध कर दिया था कि नागपुरी भोजपुरी की उपबोली नहीं है. बल्कि इसका अपना स्वतंत्र व्याकरण, भाषा और व्याकरणिक विशेषताएं हैं।
प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो ने बताया कि डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी ने अपने पीएचडी शोध प्रबंध को दो भागों में में यथा ‘नागपुरी भाषा’ और ‘नागपुरी भाषा का शिस्ट साहित्य’ के रूप में प्रकाशित कर नागपुरी भाषा व साहित्य को एक नयी दिशा प्रदान किया. जो शोधकर्ताओं एवं भाषा प्रेमियों के लिये सहज ही वरदान साबित हुआ. उन्होंने बताया कि अभिज्ञान शकुंतलम नाटक का नागपुरी अनुवाद भी किया जिसका मंचन 18 सितंबर 2016 को रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में मंचित किया गया था. ऐसे महान भाषाविद और साहित्यकार का हम सबों के बीच से चले जाना पूरे नागपुरी जगत के लिये बहुत ही दुख की बात है।
डॉ श्रवण कुमार गोस्वामी के निधन पर नागपुरी भाषा के प्राध्यापक डॉ खालिक अहमद, डॉ सविता केशरी, मेजर डॉ महेश्वर सारंगी, डॉ. अंजु कुमारी साहु, डॉ पूनम सिंह चौहान, डॉ अशोक कुमार बड़ाईक, इलियास मजिद के अलावा कई अन्य प्राध्यापकों व साहित्यकारों ने दुख व्यक्त किया है।