वायरल ऑडियो पर डीएसपी ने कहा-फर्जी है ऑडियो:कथित ऑडियो में दिवंगत महिला दारोगा रूपा तिर्की के चरित्र को तार-तार किया,भद्दी-भद्दी गालियां दी,पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पर भी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया
राँची।झारखण्ड के साहिबगंज के बड़हरवा के डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा का एक कथित आडियो से राजनीतिक गलियारे में चर्चा में है।जो ऑडियो वायरल हुई है,साहिबगंज की महिला दारोगा रहीं रूपा तिर्की की संदिग्ध परिस्थिति में मौत के बाद का बताया जा रहा है।इस कथित आडियो में महिला दारोगा रूपा तिर्की के चरित्र को तार-तार किया गया है, भद्दी-भद्दी गालियां दी गई हैं। यहां तक कि रूपा तिर्की के समर्थन में आवाज उठाने वाले झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान विधायक हैं और राज्यसभा सांसद सह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को भी गालियां दी गई है।ऑडियो सुनकर लगता है क्या कोई पुलिस अधिकारी इस तरह भाषा का प्रयोग कर सकता है।
इधर,दावा किया गया है कि कथित आडियो में गाली देने वाला शख्स डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा है, जो वर्तमान में बड़हरवा में पदस्थापित है।यहां आपको बताते चलें कि महिला दारोगा रूपा तिर्की के परिजन पहले भी डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा पर दुर्व्यवहार का आरोप लगा चुके हैं। इस संबंध में परिजन डीएसपी के खिलाफ अदालत पहुंचे थे और आशंका जताई थी कि डीएसपी से उनकी जान को खतरा है। इसके बाद अदालत के आदेश और गृह विभाग के निर्देश पर राँची पुलिस ने रूपा तिर्की के रातू स्थित आवास पर दो सुरक्षा गार्ड तैनात किए हैं।
इधर जब सोशल मीडिया में तेजी से आडियो वायरल हो रहा है तो डीएसपी ने सफाई दी है।डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा से जब झारखण्ड न्यूज की टीम ने बात की तो उनका कहना है।”मेरा आडियो नहीं है। ये फर्जी आडियो है।मैने उसका केस ट्रू कर दिया था इसलिए मुझे फंसाने के लिए एडिटेड आडियो वायरल किया है।जिस केस से मेरा कोई लेना-देना नहीं और न ही जिसका मैं अनुसंधानकर्ता हूं, उस केस में मुझे घसीटा जा रहा है। मैं सीनियर अफसरों के निर्देश पर रूपा तिर्की के परिजन का बयान लेने राँची गया था।”‘
अब सवाल ये उठ रहा है कि आखिर 6 मिनट 31 सेकेंड का आडियो जो वायरल हुआ है।डीएसपी ने फर्जी बता दिया है।आडियो में जो कुछ कहा गया है।क्या एक दिवंगत महिला पुलिस पदाधिकारी के बारे में जो शब्द का प्रयोग किया गया और देश के सबसे बड़े पार्टी के नेताओं के बारे में जिस भाषा का प्रयोग हुआ है क्या उचित है ? क्या सरकार या पुलिस के सीनियर अधिकारी इस पर संज्ञान लेकर आडियो की जांच कराएंगे?