राँची:महिला दिवस पर सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली खबर:झाड़ियों में मिली बच्ची,इलाज के दौरान मौत
झाड़ियों में मिली बच्ची,इलाज के दौरान मौत,आज महिला दिवस है,लेकिन बेटियों को झाड़ियों में फेंक रहे हैं
राँची।ये कैसा नारी दिवस जहां बेटियों को झाड़ी में फेंक दिया जाता है। हमारे शास्त्रों में लिखा गया है,जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा नहीं होती, उनका सम्मान नहीं होता, वहां किए गए समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।आज हम नारी के प्रति अपने सम्मान के भाव को प्रकट करने के लिए महिला दिवस मना रहे हैं। जगह-जगह आयोजन हो रहे हैं, सभाएं आयोजित हो रही हैं। संगोष्ठी की जा रही है। इन सबके बावजूद जमीनी हकीकत यह है कि महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया पूरी तरह नहीं बदल रहा। आज भी समाज के लोगों में लड़का-लड़की का भेद बना हुआ है। कन्या भ्रूण हत्या तथा लड़कियों को उपेक्षित करने की खबरें अक्सर आती रहती हैं।
महिला दिवस पर सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली खबर आई है
राँची जिले के बुढमू प्रखंड के ठाकुरगांव गांव में रविवार की देर रात एक तीन माह की मासूम बच्ची को झाड़ी में ले जाकर फेंक दिया गया।बताया गया कि रात लगभग एक बजे के बाद ठाकुरगांव निवासी जतरु नायक की पत्नी शौच के लिए घर से बाहर निकली। इस बीच घर के बगल की झाड़ी में बच्ची के रोने की अवाज सुनाई दी। इस बात की जानकारी उसने परिजनों को दी।लोग टार्च एवं मोबाइल की लाइट की रोशनी में शिशु को खोजने निकले। झाड़ी में झांका तो पाया कि कपड़ा में लपेट कर लगभग तीन चार माह की एक बच्ची पड़ी हुई है। लाइट देखकर बच्ची चुप हो गई।
लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी।उसके बाद बच्ची को वहां से बरामद किया गया।सोमवार की सुबह बच्ची को रानी चिल्ड्रेन अस्पताल लाया गया। लेकिन यहां इलाज के क्रम में बच्ची की मौत हो गई। पुलिस मामले की जांच के साथ आगे की प्रक्रिया करने में जुटी है।अब तक पता नहीं चल पाया है कि बच्ची का असली परिवार कहां है। घटना को ले कई बुद्धिजीवियों का कहना था कि आज भी कुछ लोग बेटे और बेटी के बीच फर्क समझ रहे हैं। बेटों को सिर आंखों पर रखने वाला समाज बेटियों को झाड़ी में फेंकने तक से परहेज नहीं कर रहा।