#कारगिल विजय दिवस:दो पीढ़ी सेना में देश की सेवा,तीसरी पीढ़ी भी सेना में जाने का मन बना लिया है,

कारगिल विजय दिवस:कारगिल की लड़ाई में तोपखाने से पाकिस्तानी सेना की कमर तोड़ने वाली टीम के सदस्य रहे सूबेदार मेजर ओम प्रकाश मिश्रा का मानना है कि बहुत कम लोगों को देश पर जान कुर्बान करने का मौका मिलता है।हर फौजी जान हथेली पर रखकर इसके लिए तैयार रहता है।कारगिल की लड़ाई के दौरान यही जोश और जज्बा वहां तैनात हर सैनिक के अंदर मौजूद था।धुआं और धूल के गुब्बार के बीच किसी गोली पर आप का नाम लिखा है यह कोई नहीं जानता मगर भारतीय सैनिक अपनी छाती को फौलाद मानकर आगे बढ़ते थे। घायल साथियों को देखकर बस एक बात जहन में आती थी, अब इनका बदला भी हमें लेना है. इससे जोश और उत्साह दोगुना हो जाता था।मां भारती के जयघोष के साथ लोग आगे बढ़ते रहे और पाकिस्तानी सैनिकों को कारगिल से खदेड़ दिया।

अमर उजाला से बातचीत के दौरान पॉली ब्लॉक के भिटिया गांव के रहने वाले सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि कारगिल की लड़ाई में उनकी तैनाती तोपखाने में थी।दुर्गम स्थान पर दुश्मन जो हमसे अच्छी पॉजिशन में थे, उनसे लोहा लेना दुष्कर था।मगर भारतीय सैनिकों ने अपने पराक्रम से असंभव को संभव कर दिखाया।

सेना के प्रति उनकी निष्ठा ऐसी थी, कि अपने दोनों बेटे को आर्मी ज्वाइन करने के लिए प्रेरित किया. इसी का परिणाम है कि बड़ा बेटा लेफ्टिनेंट कर्नल कमलेश मिश्रा आसाम में तैनात हैं तो बड़ी बहू मेजर वंदना मिश्रा बंगाल में तैनात हैं।छोटा बेटा मेजर मनमोहन मिश्रा भी आर्मी एविएशन में पॉयलेट हैं. परिवार की दो पीढ़िया सेना से जुड़कर देश सेवा में जुड़ी है. तो तीसरी पीढ़ी को भी अभी से ही सेना में भेजने का मन बना चुके हैं।

ओम प्रकाश के पिता परशुराम मिश्रा के तीन पुत्र थे. बड़े बेटे कौशल किशोर मिश्रा शिक्षक हैं. उनका बेटा अंबुज मिश्रा भी फौज में हैं. वहीं ओमप्रकाश मिश्रा के दोनों बेटे आर्मी में हैं. तीसरे बेटे सत्यप्रकाश मिश्रा भी आर्मी से धर्मगुरु के पद से रिटायर्ड हैं. परिवार का कोई न कोई सदस्य सेना से जुड़ा है।

ओम प्रकाश मिश्रा ने बताया कि फौज में किसी अभ्यर्थी की नियुक्ति बेहद पारदर्शी तरीके से होती है. कोई जुगाड़ या घूस आप को फौज में प्रवेश नहीं दिला सकती है. दुख होता है जब कुछ लोग फौज में भर्ती होने के नाम पर दलालों को अपनी गाढ़ी कमाई दे बैठते हैं. ऐसे लोगों से गुजारिश है कि वो ऐसा करने से बचें।

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