Jharkhand:झुमरा पहाड़ के तलहटी में माओवादियों का जमावड़ा,सर्च अभियान में मिली नक्सलियों की वर्दी समेत कई सामान
बोकारो।झारखण्ड में बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत चर्चित झुमरा पहाड़ के तलहटी में नक्सलियों का जमावड़ा होने की सूचना पर गणतंत्र दिवस के मौके पर एहतियातन सीआरपीएफ और चतरोचट्टी पुलिस के सहयोग से सर्च ऑपरेशन चलाया गया।इस ऑपरेशन के दौरान भाकपा माओवादियों की थाना क्षेत्र के मुरपा के निकट दैनिक कार्य के सामान, खाने पीने की सामग्री, सहित काले रंग की वर्दी और बैग मिली है। पुलिस को पहले से सूचना मिल रही थी कि इधर कुछ दिनों से नक्सलियों की गतिविधि होने की आहट है। इसी सूचना पर पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया था।इस सर्च अभियान में सीआरपीएफ 26 बटालियन के डिप्युटी कमांडेंट पंकज मिश्रा, सहायक कमांडेंट मुन्ना लाल, शिबू मलिक, थाना प्रभारी विवेक तिवारी सहित पुलिस के जवान सर्च ऑपरेशन में शामिल थे।
राज्य में इन जिले बोकारो,गिरीडीह और दुमका में पिछले एक माह से माओवादियों का जमावड़ा बढ़ गया है।सीआरपीएफ और पुलिस लगातार दिन-रात अभियान चला रही है. पिछले आंकड़ों के अनुसार जनवरी से मार्च के बीच हर साल नक्सली कहीं न कहीं बड़ी वारदात को अंजाम देते आये हैं।
गोमिया के चुटे पंचायत अंतर्गत राजडेरवा में पिछले वर्ष 2 फरवरी को मुठभेड़ हो चुकी है. लेकिन इस साल के शुरुआती माह में सीआरपीएफ की लगातार चैकसी से वे बड़ी वारदात को अंजाम देने में अभी तक सफल नहीं हो सके हैं. बेरमो अनुमंडल के झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट में भी माओवादी का आना जाना लगा हुआ है।
माओवादियों का जनाधार घटा है:
सूत्रों के अनुसार जोनल कंमाडर नवीन मांझी की गिरफ्तारी, ईनामी माओवादी चिराग उर्फ प्रमोद, निरंजन और शंकर की पुलिस मुठभेड़ हुई मौत के बाद झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट में माओवादियों का जनाधार घटा है. जिससे माओवादियों को इस क्षेत्र से लेवी की वसूली में भी फर्क पड़ा है।सूत्रों का कहना है कि बोकारो,गिरीडीह, हजारीबाग जिला के बॉर्डर एरिया चेचरिया-तिताही और तिलैया-दुमूहान जंगल में संगठन के शीर्ष माओवादी किशन दा, मिथिलेश उर्फ दुर्याधन, बिरसेन मांझी के अलावे महिला माओवादी शांति अपने-अपने प्लाटूनों के साथ एक माह से विचरण कर रहे है।
माओवादी किशन दा संगठन को देता है नयी ऊर्जा:
बताया जाता है कि शीर्ष माओवादी किशन दा झुमरा पहाड़ और ऊपरघाट चार से पांच सालों में एक बार दौरा करता है. माओवादी संस्थापक सदस्य किशन दा उम्र के अंतिम पड़ाव और अस्वस्थ रहने के बाद भी संगठन में नयी ऊर्जा संचार करने पहुंचते है. वैसे पुलिस के लगातार सर्च ऑपरेशन के कारण नक्सली एक स्थान से दूसरे क्षेत्र में मूवमेंट करते रहते हैं।