Jharkhand:खादी पार्क आमदा में फिर से शुरू हुआ उत्पादन,तसर सिल्क की दिखने लगी है चमक
राँची।खादी पार्क आमदा में फिर से शुरू हुआ उत्पादन, तसर सिल्क की दिखने लगी है चमक।खिरोदिनी तांत 45 महिलाओं के उस समूह से जुड़ी है जो आमदा (सरायकेला-खरसांवा) स्थित खादी पार्क में काम करती है। ये महिलाएं यहां पर सूत कताई और बुनाई का काम कर रही हैं। कोकून से धागा निकालने और धागों की बुनाई कर कपड़े का थान बनाने का काम काफी धैर्य वाला है। इस क्षेत्र की महिलाएं इस काम को काफी दक्षता से करती हैं। काम के एवज में इन महिलाओं को प्रति किलो एक हजार रुपये की कमाई हो रही है। इस काम के जरिये महिलाएं अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधारने में योगदान दे रही हैं।
आमदा खादी पार्क तसर सिल्क के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। खादी पार्क का निर्माण इस सोच के तहत हुआ था कि एक ही जगह पर रेशम के कोकून धागा निकालने, उसकी बुनाई करने और थान बनाने की सुविधा उपलब्ध कराई जाये। इन गतिविधियों के अलावा यहां पर इनसे जुड़ा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस क्षेत्र की महिलाओं को इससे काफी लाभ हुआ है।
कोरोना की वजह से पिछले डेढ़ साल में उत्पादन में कमी आयी थी। अब जबकि जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है तो उत्पादन फिर से शुरू किया गया है। आमदा खादी पार्क में फिलहाल प्रतिमाह 70 से 100 किलो तसर सिल्क का उत्पादन हो रहा है। इस उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं। इससे क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।
बता दें कि सरायकेला-खरसांवा के तसर सिल्क की गुणवत्ता देश में सबसे अच्छी मानी जाती है। यहां की आबोहवा तसर उत्पादन के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल है। अर्जुन के पेड़ों में रेशम के कीटों को पालने और उससे सूत उत्पादन का काम यहां काफी पहले से हो रहा है। झारखंड सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि तसर व इससे जुड़े उत्पादों को लेकर यहां ऋंखलाबद्ध काम हो।
खादी पार्क में एक शानदार इंपोरियम भी है। यहां पर खादी के कई तरह के उत्पाद उपलब्ध है। तसर सिल्क से बने बंडी, कुर्ते, शर्ट सहित अन्य चीजें यहां पर खरीदी जा सकती है। क्षेत्र के कुचाई, मारंगहातू में तसर सिल्क के कपडे बनाये जा रहे हैं।
“आमदा खादी पार्क में कोकून से धागा निकालने व कपड़ों के थान बनाने का काम होता है। यहां का तसर सिल्क अपनी श्रेष्ठ गुणवत्ता के लिए जाना जाता है। कोरोना की वजह से उत्पादन में कमी आयी थी पर अब उत्पादन फिर से शुरू हुआ है। धीरे-धीरे इस उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किये जा रहे हैं।‘’ –राखाल चंद्र बेसरा, मुख्य कार्यपालक,पदाधिकारी, खादी बोर्ड